क्या कभी जौनपुर में भी जंगल थे?

वन
04-03-2018 09:32 AM
क्या कभी जौनपुर में भी जंगल थे?

विश्वास करना मुश्किल होगा मगर जौनपुर जनपद में भी कभी जंगल हुआ करते थे। अब बस कहीं-कहीं सड़कों और नदियों के किनारे ताड़ आदि के कुछ पेड़ दिख जाते हैं। देखा जाये तो अब यहाँ कोई जंगल नहीं हैं जहाँ पर जंगली जानवर रह सकें।

जंगली जानवर जैसे सियार, भेड़िया, लोमड़ी, जंगली सूअर आदि बगीचों, खेतों, और नदियों के किनारे नालों में, भीटों के झुरमुटों आदि में अपना शरण स्थल बनाकर रहने लगे हैं। सड़कों और जनसंख्या की वृद्धि हो जाने के कारण जंगली जानवरों में काफी कमी नज़र आती है। ढ़ाक के जंगलों में पहले जंगली सूअर काफी मात्रा में दिखाई देते थे लेकिन अब वह भी धीरे-धीरे समाप्त हो गया तथा सूअर भी समाप्त होने लगे हैं। जब जौनपुर जनपद में जंगल होते थे तब यहाँ लोमड़ी, नीलगाय, भेड़िया, सियार आदि अधिक मात्रा में देखने को मिलते थे। अब कभी-कभी नालों, नदियों और खेतों में नीलगायों का समूह देखने को मिल जाता है।

कुछ समय पहले तक यहाँ नीलगायों की अच्छी संख्या थी लेकिन फसलों के नुकसान की वजह से इन्हें मारने का आदेश दे दिया गया। इसी वजह से इनकी भी संख्या अब बहुत कम हो गयी है। जंगलों की अंधाधुंध कटाई भी जानवरों के विलुप्त होने की एक वजह है। इससे जंगली जानवर तो भाग ही जाते हैं बल्कि पक्षी भी अपना स्थान बदल देते हैं। कहा जाता है कि पहले जौनपुर जनपद में गिद्ध भी अधिक संख्या में थे लेकिन अब ये भी देखने को नहीं मिलते हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए जंगलों की लापरवाह कटाई को रोकना होगा अतः ऐसे नियम बनाने होंगे जो मानव व प्रकृति, दोनों के हित में हों। देखा जाये तो जो कदम प्रकृति के हित की ओर बढ़ाया जाएगा वह स्वयं ही मानव के लिए भी लाभदायी साबित होगा।

1. जौनपुर का गौरवशाली इतिहास - डॉ. सत्य नारायण दूबे 'शरतेन्दु'