टीकाकरण के विज्ञान को समझिए और अपने प्रियजनों की सुरक्षा कीजिए !

विचार II - दर्शन/गणित/चिकित्सा
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टीकाकरण के विज्ञान को समझिए और अपने प्रियजनों की सुरक्षा कीजिए !

टीकाकरण, आपको और आपके पूरे परिवार को गंभीर बीमारियों से बचाने का एक आसान और प्रभावी तरीका साबित होता है। यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करता है, जिससे आपका शरीर संक्रमण से पहले ही लड़ने के लिए तैयार हो जाता है। बच्चों से लेकर बुज़ुर्गो तक, जीवन के हर चरण में टीके महत्वपूर्ण होते हैं। ये खसरा, पोलियो और इनफ़्लुएंज़ा जैसी बीमारियों के साथ-साथ, नई बीमारियों से भी सुरक्षा प्रदान करते हैं। 
आज के इस लेख में हम यह जानेंगे कि भारत में टीकाकरण क्यों जरूरी है? इसके अलावा हम यह भी समझेंगे कि अलग-अलग टीके क्या काम करते हैं? साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि टीके झुंड प्रतिरक्षा (हर्ड इम्युनिटी (Herd Immunity)) कैसे बनाते हैं।
आइए, सबसे पहले यह जानते हैं कि टीकाकरण क्या है?
टीकाकरण, खुद को गंभीर बीमारियों से बचाने का एक सुरक्षित और आसान तरीका है। यह आपके शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाता है। टीका लगने के बाद, आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी (Antibody) बनाना सीखती है। यह प्रक्रिया वैसी ही होती है जैसी किसी बीमारी के संपर्क में आने पर होती है। हालाँकि, टीकों में कमज़ोर या मारे गए कीटाणु (जैसे वायरस या बैक्टीरिया) होते हैं। इसलिए, वे बीमारी का कारण नहीं बनते।
भारत में टीकाकरण क्यों जरूरी है?
बीमारियों से सुरक्षा: टीकाकरण खसरा, तपेदिक और हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों से बचाता है। ये बीमारियाँ आज भी भारत में आम हैं।
स्वास्थ्य तंत्र को मज़बूत बनाना: टीकाकरण अभियान संक्रामक रोगों के फैलाव को रोकते हैं। वे स्थानीय प्रकोपों और महामारी से निपटने में मदद करते हैं।
प्रकोप रोकथाम: टीकाकरण उन बीमारियों के प्रकोप को कम करता है, जिन्हें रोका जा सकता है। इससे स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ घटता है और अनावश्यक कष्ट से बचा जा सकता है।
सस्ती और सुलभ सेवाएँ: कई स्वास्थ्य बीमा योजनाएँ टीकाकरण को कवर करती हैं। इससे गरीब और कमज़ोर वर्ग के लोगों को भी टीका लगवाने का मौका मिलता है।
व्यक्तिगत और सामुदायिक लाभ: टीकाकरण, न केवल व्यक्ति की सुरक्षा करता है, बल्कि पूरे समुदाय में बीमारियों के फैलने से रोकता है।
टीकाकरण सभी के लिए ज़रूरी है। यह न केवल आपकी रक्षा करता है, बल्कि आपके परिवार और समुदाय को भी सुरक्षित रखता है। टीके लगवाना, स्वास्थ्य का ध्यान रखने का सबसे सरल और प्रभावी तरीका है।
टीकों के कई प्रकार होते हैं और हर प्रकार का टीका अलग तरीके से काम करता है। उदाहरण के तौर पर:
लाइव-एटेन्यूएटेड टीके (Live-attenuated vaccines): इन टीकों में कमज़ोर किए गए रोगाणु का उपयोग होता है। यह रोग पैदा नहीं कर सकते लेकिन शरीर में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया शुरू करते हैं।
निष्क्रिय टीके: इनमें मारे गए रोगाणु का उपयोग होता है। ये भी रोग पैदा नहीं करते, लेकिन प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करते हैं।
सबयूनिट, रीकॉम्बिनेंट, पॉलीसेकेराइड और कंजुगेट टीके (Subunit, recombinant, polysaccharide and conjugate vaccines): इन टीकों में रोगाणु के केवल खास हिस्से जैसे प्रोटीन, शर्करा, या आवरण आदि इस्तेमाल किए जाते हैं।
टॉक्सोइड टीके (Toxoid vaccines): इन टीकों में रोगाणु द्वारा बनाए गए विषैले पदार्थों का उपयोग किया जाता है। ये पदार्थ, बीमारी का कारण बन सकते हैं, लेकिन टीके में इनका उपयोग शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।
एम आर एन ए टीके (mRNA vaccines): ये टीके, मैसेंजर आर एन ए का उपयोग करते हैं। यह आर एन ए आपकी कोशिकाओं को निर्देश देता है कि वे रोगाणु का प्रोटीन या उसके हिस्से बनाएं।
वायरल वेक्टर टीके (Viral Vector Vaccines): इन टीकों में आनुवंशिक सामग्री होती है। यह सामग्री, कोशिकाओं को रोगाणु का प्रोटीन बनाने के लिए कहती है। इसमें एक हानिरहित वायरस होता है, जो इस सामग्री को कोशिकाओं तक पहुँचाने में मदद करता है।
हर टीका, अपने तरीके से काम करता है, लेकिन सभी का मुख्य उद्देश्य प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करना होता है। यह प्रक्रिया शरीर को उन चीजों से बचाने में मदद करती है, जिन्हें वह हानिकारक मानता है, जैसे कि रोग उत्पन्न करने वाले रोगाणु।
टीके, न केवल व्यक्ति को स्वस्थ रखते हैं, बल्कि पूरे समुदाय को भी सुरक्षित बनाते हैं। हम सभी जानते हैं कि बीमारियाँ बहुत ही तेज़ी के साथ फैलती हैं और कई लोगों को प्रभावित कर सकती हैं। लेकिन जब किसी बीमारी के लिए पर्याप्त लोगों को टीका लगाया जाता है, तो वह रोगाणु आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे तक नहीं पहुँच पाता। इससे बीमारी के फैलने की संभावना कम हो जाती है और पूरा समुदाय सुरक्षित रहता है।
इस प्रक्रिया को "सामुदायिक प्रतिरक्षा" या "झुंड प्रतिरक्षा" कहा जाता है। जब ज़्यादा से ज़्यादा, लोगों को टीका लगाया जाता है, तो बीमारी का फैलाव रुक जाता है। इस तरह, हम न सिर्फ़ खुद को, बल्कि उन शिशुओं को भी सुरक्षित रखते हैं जिन्हें अभी पूरी तरह टीका नहीं लगाया गया है। साथ ही, उन लोगों को भी मदद मिलती है जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर है।
सामुदायिक प्रतिरक्षा कैसे काम करती है?
रोगाणु, तेज़ी के साथ फैलते हैं और लोगों को बीमार कर सकते हैं। लेकिन जब बहुत सारे लोग टीका लगवाते हैं, तो रोगाणु को एक से दूसरे तक फैलना मुश्किल हो जाता है। नतीजतन, पूरे समुदाय में बीमारी फैलने का खतरा कम हो जाता है। जो लोग टीका नहीं लगवा सकते, उन्हें भी अप्रत्यक्ष रूप से सुरक्षा मिलती है। जब बीमारी फैलने के मौके कम हो जाते हैं, तो प्रकोप की संभावना भी घट जाती है। समय के साथ, बीमारी दुर्लभ हो सकती है और कभी-कभी पूरी तरह समाप्त भी हो जाती है। टीकाकरण हमारी और हमारे समुदाय की सुरक्षा के लिए बेहद ज़रूरी है।

संदर्भ 
https://tinyurl.com/ybqh6n3g
https://tinyurl.com/yz52vns7
https://tinyurl.com/yfxkacuj
https://tinyurl.com/y5azlsx8

चित्र संदर्भ

1. एक टीकाकरण अभियान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. एक महिला कि गोद में बैठे खसरे से पीड़ित बच्चे को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. वैक्सीन विकास और वितरण पर व्याख्याकारों की एक श्रृंखला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. वायरल वेक्टर वैक्सीन की एक शीशी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. टीका लगवाते हुए लोगों के समूह को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)