लखनऊवासियों की रोज़मर्रा ज़िंदगी में ग्रेफ़ाइट: शिक्षा से तकनीक तक की अहम भूमिका

खनिज
27-09-2025 09:11 AM
लखनऊवासियों की रोज़मर्रा ज़िंदगी में ग्रेफ़ाइट: शिक्षा से तकनीक तक की अहम भूमिका

लखनऊवासियो, बचपन में आपने पेंसिल (pencil) से लिखना ज़रूर सीखा होगा। उस पेंसिल की नोक, जिसे हम अक्सर ‘लेड’ (Lead) कहकर पुकारते हैं, वास्तव में ग्रेफ़ाइट (Graphite) होती है। यही ग्रेफ़ाइट आज हमारे जीवन का एक ऐसा हिस्सा बन चुकी है, जो केवल शिक्षा तक सीमित नहीं बल्कि घर, बाज़ार और आधुनिक तकनीक से भी गहराई से जुड़ी हुई है। लखनऊ जैसे शिक्षा और संस्कृति से समृद्ध शहर में, ग्रेफ़ाइट का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। यहाँ के बच्चे पेंसिल से अपनी पढ़ाई की शुरुआत करते हैं, तो बड़े-बुज़ुर्ग मोबाइल फ़ोन (mobile phone), लैपटॉप (laptop) और इनसे चलने वाली बैटरियों में इसकी उपयोगिता महसूस करते हैं।
ग्रेफ़ाइट की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह धातु न होते हुए भी बिजली का बहुत अच्छा संवाहक है और ऊष्मा को सहन करने की क्षमता रखता है। यही कारण है कि लखनऊ की गलियों में दौड़ती गाड़ियों के इंजन और मशीनों के पुर्ज़ों में इसका इस्तेमाल होता है, ताकि वे लंबे समय तक मज़बूती और सुचारु रूप से काम करते रहें। घरेलू जीवन की बात करें तो, रसोई में इस्तेमाल होने वाले नॉन-स्टिक (non-stick) बर्तन ग्रेफ़ाइट की देन हैं, जिनसे खाना बनाना आसान हो जाता है। इसके अलावा, शहर के औद्योगिक और व्यावसायिक क्षेत्रों में ग्रेफ़ाइट का प्रयोग इलेक्ट्रोड (electrode), सीलिंग (sealing) सामग्री और स्नेहक (lubricants) बनाने में भी होता है। लखनऊ के रोज़मर्रा जीवन में ग्रेफ़ाइट की उपस्थिति इतनी स्वाभाविक है कि हम अक्सर इसे पहचान भी नहीं पाते। पेंसिल से लिखते बच्चे, बैटरी पर चलने वाले उपकरण, रसोई के बर्तन, गाड़ियों की रफ़्तार और उद्योगों की मशीनरी - इन सबके पीछे ग्रेफ़ाइट ही वह खनिज है जो सबको मज़बूती और निरंतरता देता है। इसीलिए कहा जा सकता है कि ग्रेफ़ाइट न केवल विज्ञान की प्रयोगशालाओं तक सीमित है बल्कि लखनऊवासियों की रोज़मर्रा ज़िंदगी का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।
इस लेख में हम ग्रेफ़ाइट के महत्व और इसके दैनिक जीवन में उपयोग पर चर्चा करेंगे। इसके बाद खनन की विधियों को विस्तार से जानेंगे और फिर इसके गुण और औद्योगिक उपयोगों का विश्लेषण करेंगे। इसके साथ ही दुनिया के प्रमुख उत्पादक देशों और उनके योगदान पर भी नज़र डालेंगे। इसके बाद भारत के प्रमुख उत्पादक राज्यों को समझेंगे और अंत में जानेंगे कि भारत से किन-किन देशों को ग्रेफ़ाइट का निर्यात किया जाता है।

ग्रेफ़ाइट का महत्व और इसके दैनिक जीवन में उपयोग
ग्रेफ़ाइट का महत्व समझना हो तो सबसे पहले हमें इसकी सर्वव्यापकता पर ध्यान देना चाहिए। यह हमारी शिक्षा की शुरुआत का हिस्सा है क्योंकि पेंसिल में इसका प्रयोग सबसे अधिक होता है। लेकिन ग्रेफ़ाइट केवल पेंसिल तक सीमित नहीं है। बैटरियों के निर्माण में यह बेहद अहम है, ख़ासकर लिथियम-आयन (Lithium-Ion) बैटरियों में जहाँ इसका उपयोग एनोड (Anode) बनाने में किया जाता है। यही कारण है कि मोबाइल फ़ोन, लैपटॉप और इलेक्ट्रिक गाड़ियों (Electric Vehicles) की बैटरियों में ग्रेफ़ाइट की खपत लगातार बढ़ रही है। ऑटोमोबाइल (automobile) उद्योग में भी ग्रेफ़ाइट के बिना काम नहीं चलता। गाड़ियों के ब्रेक लाइनिंग (brake lining), क्लच (clutch) और अन्य हिस्सों में यह आवश्यक है क्योंकि यह घर्षण को नियंत्रित करता है। मशीनों में लुब्रिकेंट्स (lubricants) के रूप में ग्रेफ़ाइट का इस्तेमाल घर्षण और तापमान को कम करने के लिए किया जाता है। इतना ही नहीं, हमारी रसोई में नॉन-स्टिक बर्तनों की चिकनी सतह भी ग्रेफ़ाइट की कोटिंग (coating) से तैयार होती है। इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि ग्रेफ़ाइट हमारे जीवन में गहराई तक जुड़ा हुआ है और इसका महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है।

ग्रेफाइट

ग्रेफ़ाइट का खनन कैसे किया जाता है?
ग्रेफ़ाइट को धरती से निकालने की प्रक्रिया जटिल और विविध है। जब यह खनिज सतह के निकट पाया जाता है तो ओपन पिट माइनिंग (Open Pit Mining) का प्रयोग किया जाता है। इस विधि में बड़े गड्ढे खोदकर चट्टानों को विस्फोटक और भारी मशीनों की मदद से तोड़ा जाता है। इससे बड़ी मात्रा में ग्रेफ़ाइट आसानी से निकाला जा सकता है। लेकिन जब यह गहराई में दबा होता है तो भूमिगत खनन की ज़रूरत पड़ती है। ड्रिफ़्ट माइनिंग (Drift Mining) में क्षैतिज सुरंग बनाकर खनिज तक पहुँचा जाता है। शाफ़्ट माइनिंग (Shaft Mining) में गहराई तक लंबवत सुरंग बनाई जाती है ताकि गहरे भंडार तक पहुँचा जा सके। स्लोप माइनिंग (Slope Mining) में तिरछी सुरंगें बनाई जाती हैं जो सतह और खनिज भंडार को जोड़ती हैं। वहीं, कठोर चट्टानों से भरे क्षेत्रों में हार्ड रॉक माइनिंग (Hard Rock Mining) की तकनीक अपनाई जाती है। इन सभी विधियों में सुरक्षा और दक्षता का विशेष ध्यान रखा जाता है ताकि ग्रेफ़ाइट को बड़े पैमाने पर औद्योगिक उपयोग के लिए उपलब्ध कराया जा सके।

ग्रेफ़ाइट के प्रमुख गुण और इसके औद्योगिक उपयोग
ग्रेफ़ाइट की पहचान उसके अद्वितीय गुणों से होती है। यह एकमात्र ऐसा प्राकृतिक खनिज है जो मुलायम भी है और उच्च तापमान में भी स्थिर रहता है। इसका विद्युत और ऊष्मा संचरण उच्च स्तर का होता है, जिसके कारण इसका इस्तेमाल कई महत्वपूर्ण औद्योगिक प्रक्रियाओं में किया जाता है। धातु उद्योग में ग्रेफ़ाइट से बने इलेक्ट्रोड का प्रयोग स्टील (steel) पिघलाने वाले भट्टों में होता है क्योंकि यह उच्च तापमान सहन कर सकता है। रिफ़्रैक्टरी उत्पादों (Refractory Products) में भी ग्रेफ़ाइट आवश्यक है, जो ऊष्मा-प्रतिरोधी ईंटें और पात्र बनाने में उपयोग होते हैं। बैटरियों में इसका उपयोग तो आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है, विशेषकर इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग के कारण। मशीनों में लुब्रिकेंट के रूप में यह घर्षण और ऊर्जा की बर्बादी कम करता है। फाउंड्री उत्पादों (Foundry Products) में धातु ढालने और ढलाई की गुणवत्ता सुधारने में ग्रेफ़ाइट का योगदान है। इसके अतिरिक्त, ऊर्जा उपकरणों जैसे फ्यूल सेल (Fuel Cell), सेमीकंडक्टर (semiconductor) और न्यूक्लियर रिएक्टरों (nuclear reactors) में भी इसका उपयोग होता है। इस प्रकार, ग्रेफ़ाइट आधुनिक उद्योग की रीढ़ की हड्डी की तरह काम करता है।

दुनिया के प्रमुख ग्रेफ़ाइट उत्पादक देश और उनका योगदान
आज दुनिया में ग्रेफ़ाइट की खपत इतनी बढ़ गई है कि इसके उत्पादन और भंडार वाले देश वैश्विक अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाते हैं। सबसे ऊपर है चीन, जो हर साल लगभग 1.23 मिलियन टन (million tons) ग्रेफ़ाइट उत्पादन करता है और इसके पास 78 मिलियन टन का विशाल भंडार है। मेडागास्कर (Madagascar) में भी उच्च गुणवत्ता वाला ग्रेफ़ाइट निकलता है, जिसका वार्षिक उत्पादन 1,00,000 टन है। मोज़ाम्बिक (Mozambique) 96,000 टन उत्पादन और 25 मिलियन टन भंडार के साथ तेज़ी से उभरता हुआ उत्पादक देश है। ब्राज़ील (Brazil) 73,000 टन उत्पादन और 74 मिलियन टन के विशाल भंडार के लिए प्रसिद्ध है, जो इसे वैश्विक स्तर पर टिकाऊ आपूर्ति का स्रोत बनाता है। दक्षिण कोरिया ने हाल के वर्षों में 27,000 टन उत्पादन के साथ अपनी स्थिति मजबूत की है। इन देशों का योगदान न केवल औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर रखता है, बल्कि तकनीकी नवाचारों और ऊर्जा क्षेत्र की माँग पूरी करने में भी अहम है।

भारत में ग्रेफ़ाइट उत्पादक राज्य और उनके संसाधन
भारत ग्रेफ़ाइट संसाधनों के मामले में एक समृद्ध देश है। यहाँ अरुणाचल प्रदेश में देश के कुल संसाधनों का लगभग 43% पाया जाता है, जो पूर्वोत्तर भारत को इस खनिज के लिहाज़ से विशेष महत्व देता है। जम्मू-कश्मीर में 37% संसाधन हैं, जो उत्तरी भारत को ग्रेफ़ाइट का एक बड़ा केंद्र बनाते हैं। झारखंड में 6% संसाधन हैं, जहाँ विशेष रूप से पलामू ज़िला उल्लेखनीय है। तमिलनाडु और ओडिशा में क्रमशः 5% और 3% संसाधन मौजूद हैं। हालाँकि, वास्तविक उत्पादन में तमिलनाडु सबसे आगे है, जो 37% ग्रेफ़ाइट का उत्पादन करता है। इसके बाद झारखंड 30% और ओडिशा 29% उत्पादन करते हैं। यह आँकड़े दिखाते हैं कि भारत के अलग-अलग राज्यों में ग्रेफ़ाइट का वितरण संतुलित है और इन क्षेत्रों की खदानें घरेलू और औद्योगिक आवश्यकताओं की पूर्ति में महत्वपूर्ण हैं।

भारत से ग्रेफ़ाइट निर्यात: किन देशों को और कितना?
भारत केवल घरेलू उपयोग के लिए ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ग्रेफ़ाइट का एक अहम सप्लायर (supplier) है। 2023 में भारत ने जिन देशों को ग्रेफ़ाइट निर्यात किया, उनमें सबसे ऊपर संयुक्त अरब अमीरात (UAE) रहा, जिसने कुल निर्यात का 43% हिस्सा खरीदा, जिसकी कीमत लगभग 4.36 लाख अमेरिकी डॉलर थी। इसके बाद तुर्की 12.8% (1.27 लाख डॉलर), जर्मनी (Germany) और मलेशिया (Malaysia) दोनों लगभग 6% हिस्सेदारी के साथ क्रमशः 60 हज़ार डॉलर के आयातक रहे। दक्षिण अफ़्रीका ने 3.59% (35 हज़ार डॉलर), नाइजीरिया (Nigeria) ने 3.21% (32 हज़ार डॉलर) और सऊदी अरब ने 3.1% (30 हज़ार डॉलर) के ग्रेफ़ाइट का आयात किया। इसके अतिरिक्त बहरेन (Bahrain), तंज़ानिया (Tanzania) और रूस भी भारत से ग्रेफ़ाइट ख़रीदने वाले देशों में शामिल हैं। ये आँकड़े बताते हैं कि भारत का निर्यात नेटवर्क (Export Network) विविध है और इससे देश की विदेशी मुद्रा आय तथा व्यापारिक संबंध दोनों को मजबूती मिलती है।

संदर्भ- 
https://shorturl.at/SZbGs 

पिछला / Previous


Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Messaging Subscribers - This is the total viewership from City Portal subscribers who opted for hyperlocal daily messaging and received this post.

D. Total Viewership - This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

E. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.