समय - सीमा 261
मानव और उनकी इंद्रियाँ 1059
मानव और उनके आविष्कार 833
भूगोल 241
जीव-जंतु 306
लखनऊ, जिसे उसकी नवाबी तहज़ीब, शायराना अंदाज़ और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए दुनिया भर में जाना जाता है, आज केवल इतिहास और अदब तक ही सीमित नहीं है। यह शहर आधुनिक शिक्षा, अनुसंधान और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी लगातार आगे बढ़ रहा है। लखनऊवासी अच्छी तरह जानते हैं कि इंसान के जीवन में सबसे बड़ी पूँजी उसका स्वास्थ्य है, और जब बात जीवन रक्षक दवाओं की आती है तो यह महत्व और भी बढ़ जाता है। दुनिया भर में जब कोई नई दवा खोजी जाती है और वह लाखों लोगों को नई ज़िंदगी देती है, तो यह केवल विज्ञान की सफलता नहीं होती, बल्कि पूरी इंसानियत के लिए उम्मीद की एक नई किरण बनती है। आज फार्मास्युटिकल (Pharmaceutical) उद्योग दवाओं के अनुसंधान और नवाचार के जरिए चिकित्सा जगत को नई ऊँचाइयों पर ले जा रहा है। यही कारण है कि इस उद्योग की भूमिका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। इस सफ़र में स्विट्ज़रलैंड की दो अग्रणी कंपनियाँ - रोशे (Roche) और नोवार्टिस (Novartis) - ने दुनिया के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव छोड़ा है। कैंसर जैसी घातक बीमारियों से लेकर दिल की बीमारियों और नज़र से जुड़ी समस्याओं तक, इन कंपनियों द्वारा विकसित दवाओं ने लाखों मरीजों के जीवन में सुधार लाया है। लखनऊ जैसे शहरों के लोग भी इन नवाचारों का लाभ उठा रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि किसी शहर की भौगोलिक सीमाएँ चिकित्सा के प्रभाव को बाँध नहीं सकतीं।
आज हम इस लेख में फार्मास्युटिकल उद्योग और वैश्विक स्वास्थ्य में दो अग्रणी स्विस कंपनियों - रोशे (Roche) और नोवार्टिस - के योगदान पर गहराई से चर्चा करेंगे। हम समझेंगे कि यह उद्योग कैसे वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके बाद, रोशे कंपनी के स्थापना के शुरुआती संघर्ष और उसके नवाचारों को जानेंगे, जिन्होंने दुनिया भर में लाखों लोगों की ज़िंदगी बदलने में मदद की। फिर हम नोवार्टिस कंपनी के इतिहास और उसके गठन के पीछे की कहानी देखेंगे, साथ ही उसकी प्रमुख दवाओं और वित्तीय सफलता पर भी नजर डालेंगे। अंत में, हम समझेंगे कि ये स्विस फार्मा कंपनियाँ वैश्विक स्वास्थ्य के क्षेत्र में किस तरह जीवन रक्षक दवाओं और आधुनिक चिकित्सा सेवाओं के माध्यम से लोगों की ज़िंदगी में सुधार ला रही हैं।
फार्मास्युटिकल उद्योग का महत्व और वैश्विक भूमिका
फार्मास्युटिकल उद्योग केवल दवाओं के निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानव जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में एक केंद्रीय स्तम्भ की तरह कार्य करता है। यह उद्योग अनुसंधान, परीक्षण, दवा निर्माण और उनके व्यावसायीकरण तक की लंबी प्रक्रिया को पूरा करता है। इस प्रक्रिया के हर चरण में वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं का समर्पण झलकता है, जो नई बीमारियों के उपचार ढूँढने और पुराने उपचारों को अधिक प्रभावी बनाने के लिए निरंतर कार्यरत रहते हैं। आज इस उद्योग की वजह से कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह और अन्य गंभीर बीमारियों के लिए ऐसी आधुनिक दवाएँ उपलब्ध हैं, जिनसे करोड़ों लोगों का जीवन बचाया जा रहा है। स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ और उन्नत बनाने में फार्मास्युटिकल उद्योग का योगदान वास्तव में अमूल्य है।
रोशे कंपनी की स्थापना और शुरुआती संघर्ष
रोशे की नींव 1896 में फ्रिट्ज़ हॉफमैन-ला (Fritz Hoffmann-la) रोशे ने रखी थी। उस समय यह विचार ही नया था कि दवाओं का औद्योगिक और मानकीकृत उत्पादन किया जा सकता है। इस दृष्टिकोण ने चिकित्सा जगत को एक नई दिशा दी। कंपनी ने शुरुआती वर्षों में ही जर्मनी, इटली, रूस, अमेरिका और इंग्लैंड जैसे देशों में अपने कार्यालय खोलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपस्थिति दर्ज कराई। हालांकि, प्रथम विश्व युद्ध और रूसी क्रांति जैसी ऐतिहासिक घटनाओं ने कंपनी की प्रगति को गहरी चुनौती दी। जर्मनी में उत्पादों का बहिष्कार और रूस में संपत्तियों की ज़ब्ती जैसी परिस्थितियाँ कंपनी को भारी संकट में ले आईं। बावजूद इसके, रोशे ने दृढ़ निश्चय और निरंतर प्रयासों से इन मुश्किलों को पार किया और अपने अस्तित्व को बनाए रखा। यही संघर्ष उसकी आगे की सफलता की नींव बना।
रोशे के प्रमुख नवाचार और उपलब्धियाँ
रोशे का नाम वैश्विक स्तर पर नवाचार और अनुसंधान से जुड़ा है। 1934 में कंपनी ने ‘रेडॉक्सन’ (Redoxon) ब्रांड के तहत पहली बार बड़े पैमाने पर सिंथेटिक (synthetic) विटामिन सी का उत्पादन किया, जो विटामिन से जुड़ी चिकित्सा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर था। इसके बाद कंपनी ने कैंसर की कीमोथेरेपी, अवसादरोधी और प्रतिसूक्ष्मजीवी दवाओं के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। रोशे ने अपने अनुसंधान नेटवर्क को मज़बूत करने के लिए अमेरिका, जापान और स्विट्ज़रलैंड में प्रमुख रिसर्च इंस्टीट्यूट स्थापित किए। हाल के वर्षों में भारत में भी रोशे सक्रिय है और यहाँ उसने वैबिस्मो (Vabysmo) नामक दवा लॉन्च की है। यह दवा बुज़ुर्गों और मधुमेह रोगियों में दृष्टि हानि के प्रमुख कारणों को लक्ष्य करके, लाखों मरीजों के जीवन में आशा की किरण बन रही है। इस तरह, रोशे ने वैश्विक स्वास्थ्य सेवाओं में अपने योगदान को लगातार विस्तारित किया है।

नोवार्टिस कंपनी का इतिहास और गठन
नोवार्टिस का गठन 1996 में हुआ जब स्विट्ज़रलैंड की दो बड़ी कंपनियाँ - सीबा-गाएगी (Ciba-Geigy) और सैंडोज़ (Sandoz) - आपस में विलय कर एक स्वतंत्र इकाई बनीं। यह उस समय का सबसे बड़ा कॉर्पोरेट (corporate) विलय था, जिसने फार्मास्युटिकल उद्योग का चेहरा बदल दिया। इस विलय से बनी नोवार्टिस ने न केवल दवाओं के क्षेत्र में, बल्कि अनुसंधान और नवाचार में भी अपना व्यापक प्रभाव डाला। शुरुआती वर्षों में सैंडोज़ ब्रांड को बंद कर दिया गया था, लेकिन 2003 में नोवार्टिस ने अपने जेनेरिक दवाओं के कारोबार को सैंडोज़ नाम से फिर से शुरू किया और इस तरह इसे पुनर्जीवित किया। यह कदम नोवार्टिस की दूरदर्शिता और रणनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। आज नोवार्टिस दुनिया की सबसे बड़ी बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों में से एक है और यह लगातार वैश्विक स्तर पर शीर्ष स्थान बनाए हुए है।![]()
नोवार्टिस की प्रमुख दवाएँ और वित्तीय सफलता
नोवार्टिस की सफलता केवल उसके इतिहास तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी आधुनिक दवाएँ इसकी पहचान बनी हैं। कंपनी की एंट्रेस्टो (Entresto) दवा हृदय विफलता के उपचार में विश्वसनीय समाधान बन चुकी है, जबकि कॉसेंटेक्स (Cosentyx) ने सोरायसिस और अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज में बड़ी सफलता दिलाई है। इन दोनों दवाओं की वैश्विक बिक्री अरबों डॉलर तक पहुँच चुकी है। इसके अतिरिक्त, नोवार्टिस ने कैंसर उपचार के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। प्रोस्टेट कैंसर के लिए ‘प्लुविक्टो (Pluvicto)’ और न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर (Neuroendocrine tumors) के लिए ‘लुटेथेरा (Lutathera)’ जैसी दवाओं ने इसे और भी मज़बूत बनाया है। हाल ही में, केवल एक तिमाही में कंपनी ने $11.8 बिलियन (billion) की बिक्री दर्ज की, जो इसकी वित्तीय स्थिरता और वैश्विक बाज़ार में विश्वास का प्रमाण है।
स्विस फार्मा कंपनियों की वैश्विक स्वास्थ्य में भूमिका
रोशे और नोवार्टिस, दोनों ही कंपनियाँ यह साबित करती हैं कि चिकित्सा अनुसंधान और नवाचार से दुनिया में वास्तविक बदलाव लाया जा सकता है। इन कंपनियों ने जीवन रक्षक दवाओं के विकास से लेकर स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता बढ़ाने तक, हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी है। आज इनके अनुसंधान के कारण ही लाखों लोग गंभीर बीमारियों से नई ज़िंदगी पा रहे हैं। स्विस फार्मा कंपनियाँ केवल व्यापारिक संस्थाएँ नहीं हैं, बल्कि ये आशा, विश्वास और बेहतर भविष्य की प्रतीक भी हैं। इनके प्रयास यह दिखाते हैं कि समर्पण और विज्ञान का मेल, मानवता की सेवा के लिए कितना कारगर हो सकता है।
संदर्भ-
https://tinyurl.com/3bkp3ht7
https://tinyurl.com/yrxrubhf
https://tinyurl.com/329yus43
https://tinyurl.com/42bkz8n9
https://tinyurl.com/4hak9dys
A. City Readerships (FB + App) - This is the total number of city-based unique readers who reached this specific post from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Messaging Subscribers - This is the total viewership from City Portal subscribers who opted for hyperlocal daily messaging and received this post.
D. Total Viewership - This is the Sum of all our readers through FB+App, Website (Google+Direct), Email, WhatsApp, and Instagram who reached this Prarang post/page.
E. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.