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                                            लखनऊ गंगा के मैदानी भाग पर बसा हुआ एक शहर है। यह अत्यंत उर्वर क्षेत्र है जिस कारण यहाँ पर अनेकों प्रकार के पेड़-पौधे पाए जाते हैं। वृक्षों का अपना एक विशेष गुणधर्म होता है। डीएनए एक वंशानुगत या अनुवांशिक संरचना है जो पेड़ से लेकर जीवों के सभी कोशिकाओं में मौजूद होता है जिसमें जीवित चीजों की संरचना और कार्य की जानकारी उपलब्ध होती है। पौधे का डीएनए न्यूक्लियस (Nucleus), माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria) और क्लोरोप्लास्ट्स (Chloroplasts) की झिल्ली से बंधी कोशिकीय संरचनाओं के भीतर उपस्थित होता है।
यह सभी जीवित जीवों के लिए सार्वभौमिक है, जिसमें प्रत्येक में समान संरचना और कार्य होता है। यह आत्म-प्रतिकृति नाम की प्रक्रिया द्वारा खुद को पुन: उत्पन्न करने में सक्षम होते हैं। यदि देखा जाए तो पौधों और जानवरों के बीच बहुत स्पष्ट भेद होता है लेकिन यह भेद मात्र रासायनिक स्तर पर देखा जाता है। सभी पौधों और सभी जानवरों की कोशिकाओं में एक ही आकार में डीएनए होता है। शोध से पता चलता है कि पौधे और जानवर आम तौर पर कुछ प्रोटीन पैदा कर सकते हैं।
एक प्रमुख उदाहरण को साइटोक्रोम सी (Cytochrome C) के रूप में जाना जाता है। लेकिन डीएनए की यह प्रतिलिपि प्रक्रिया अपूर्ण है और इसमें समय के साथ गलतियां जमा हो जाती हैं, जिससे विभिन्न जीवों में साइटोक्रोम सी थोड़ा अलग होता है। प्रत्येक प्रजाति में क्रोमोसोम (Chromosome) नामक गुणसूत्र संख्या होती है। जानवरों में अधिक गुणसूत्र होते हैं; तथा पौधे में कम हैं। इस प्रकार से हम पाते हैं कि पेड़ भी ज़िंदा होते हैं और उनमें भी जीवन का संचार अन्य प्राणियों की तरह होता है। जिस प्रकार से जीव जगत के डीएनए की संरचना होती है ठीक उसी प्रकार से वृक्षों की भी संरचना होती है।
1. http://earthsky.org/earth/dna-animals-plants
2. http://lifeofplant.blogspot.com/2011/04/dna-in-plants.html