आइये समझें लखनऊ के इस प्राचीन चित्र को

दृष्टि III - कला/सौंदर्य
11-09-2018 02:26 PM
आइये समझें लखनऊ के इस प्राचीन चित्र को

हम सभी जानते हैं कि चित्रकारी एक प्राचीन कला है, जो कि काफी वर्षों से चली आ रही है। लखनऊ के नवाबों को भी खुद के चित्र को कैनवास (Canvas) में देखना काफी पसंद था। तो आइये आज आपको बताते हैं अवध के नवाब असफ-उद-दौला के समय में प्रसिद्ध हुए जोहान ज़ोफानी के बारे में।

जर्मनी में पैदा हुए चित्रकार जोहान ज़ोफानी, जो सितंबर 1783 में भारत आए और 1789 तक भारत में रहे, इनकी यूरोपीय कला की उत्कृष्ट कृतियों में से एक- कर्नल मोरडोंट द्वारा आयोजित ‘कॉक फाइटिंग मैच’ (Cock Fighting Match) अर्थात ‘मुर्गों की लड़ाई’ की है। इन्होंने असफ-उद-दौला (यह अवध के चौथे नवाब थे, जो कि रूमी दरवाजा और बड़ा इमाम्बरा के निर्माण के लिए प्रसिद्ध हैं और अत्यधिक उदार होने के लिए भी जाने जाते हैं) के शासनकाल के दौरान अवध के दरबार में प्रवेश किया, उस दौरान यह प्रसिद्ध निर्माता बने। असफ-उद-दौला के दरबार में अन्य काफी यूरोपीय चित्रकारी देखने को मिलती थी, जिनमें नवाब के अंगरक्षकों के प्रमुख कर्नल जॉन मोरडोंट, कंपनी के एकाउंटेंट जॉन वॉम्बवेल और निवासी आर्किटेक्ट कर्नल एंटोइन पॉलियर भी शामिल थे।

प्रस्तुत सूची और उसके नीचे दिए चित्र के माध्यम से इन किरदारों को पहचाना जा सकता है:

1. नवाब असफ-उद-दौला
2. कर्नल जॉन मोरडोंट
3. लेफ्टिनेंट गोल्डिंग
4. रोबर्ट ग्रेगोरी (रेजीडेंसी में सहायक)
5. कर्नल क्लाउड मार्टिन
6. ट्रेवर वीलर
7. कर्नल एंटोइन पॉलियर
8. जॉन वॉम्बवेल
9. जोहान ज़ोफानी


जून 1784 में जोहान ज़ोफानी ने लखनऊ की अपनी यात्रा वॉरेन हेस्टिंग्स के साथ की थी। तभी, हेस्टिंग्स ने ज़ोफनी को लखनऊ में आयोजित होने वाली कॉक फाइटिंग मैच को पेंट करने के लिए साधिकार (Commission) दिया था। उनकी यह पेंटिंग काफी प्रसिद्ध हुई। इसमें उन्होंने असफ-उद-दौला (केंद्र में खड़े) और कर्नल जॉन मोर्डैंट (सफेद बाएं ओर) के द्वारा आयोजित मुर्गों के बीच लड़ाई के खेल को दर्शाया है। इसमें नवाब और कर्नल मोर्डैंट को स्पष्ट रूप से पहचाना जा सकता है। नवाब को मोर्डैंट की ओर इशारा करते हुए दिखाया गया है। वहीं कई यूरोपीय लोग खेल के नतीजे के बारे में अनिश्चित लगते हैं और जो पेंटिंग के दाहिने तरफ हैं। और तीन यूरोपीय लोगों का एक समूह पक्षियों के बारे में बात कर रहा है, जिनमें से दो ने दो पक्षी पकड़े हुए भी हैं। हमेशा की तरह, ज़ोफनी ने खुद को सबसे पीछे अपनी कुर्सी पर बैठे, दाहिना हाथ कुर्सी के पीछे टिकाये हुए और साथ ही उस हाथ में पेंसिल और पेंट ब्रश लिये दिखाया है। लखनऊ के बाज़ार का दृश्य लोगों के पीछे छिपा हुआ दिखाया है।

संदर्भ:
1.https://timesofindia.indiatimes.com/city/lucknow/Nawabs-and-their-love-to-see-self-on-canvas/articleshow/45008828.cms
2.http://www.tornosindia.com/zoffanys-works-in-lucknow/
3.https://georgianera.wordpress.com/2016/02/16/5658-a-closer-look-at-colonel-mordaunts-cock-match/ 4.https://www.telegraphindia.com/1120325/jsp/7days/story_15292206.jsp
5.https://www.tate.org.uk/art/artworks/zoffany-colonel-blair-with-his-family-and-an-indian-ayah-t12610
6.https://www.bbc.com/news/av/entertainment-arts-17315219/johan-zoffany-s-india-paintings-at-the-royal-academy
7.https://www.telegraph.co.uk/culture/art/art-features/9119353/Johan-Zoffany-The-lovable-artist-who-ate-a-sailor.html