लखनऊवासियों के पर्यटन के लिए प्राकृतिक नैसर्गिकता का धनी माउंट आबू

पर्वत, पहाड़ियाँ और पठार
27-05-2019 11:00 AM
लखनऊवासियों के पर्यटन के लिए प्राकृतिक नैसर्गिकता का धनी माउंट आबू

गर्मियों का मौसम मतलब ढेर सारी छुट्टियां और परिवार के साथ बिताने के लिए ढेर सारा समय। ऐसे में कहीं घूमना फिरना न हो तो छुट्टियां अधूरी रह जाती हैं, वह भी भारत जैसे देश में रहने के बाद जो अपनी अलौकिक खूबसूरती के कारण वर्ष भर विश्‍व के आगंतुकों को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है। आज हम आपको भारत के एक ऐसे ही खूबसूरत स्‍थान के विषय में बताने जा रहे हैं, जहां आप सीमित बजट में भी खूबसूरत वादियों का आनंद लेते हुए अपनी यात्रा को अविस्‍मरणीय बना सकते हैं।

अक्‍सर लोग गर्मियों के मौसम में पहाड़ी क्षेत्रों की ओर ही जाना पसंद करते हैं, जिसके लिए माउंट आबू एक अच्‍छा विकल्‍प है। माउंट आबू भारत की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला अरावली में स्थित एक हिल स्‍टेशन (Hill Station) है। गुजरात और राजस्‍थान सीमा से लगे माउंट आबू को नदियों, झीलों, झरनों और सदाबहार जंगलों से सराबोर होने के कारण रेगिस्‍तान का नखलिस्‍तान (मरुस्थल के बीच हरित भूमि) भी कहा जाता है।

राजस्‍थान के ऐतिहासिक पृष्‍ठों में भी हम माउंट आबू का एक विशेष अध्‍याय देख सकते हैं। इसका प्राचीन नाम अर्बुदांचल था। पुराणों में, इस क्षेत्र को अर्बुदारण्य ("अर्बुदा का जंगल") कहा गया है। प्राचीन भारत के प्रसिद्ध ऋषि मुनियों (जैसे ऋषि वशिष्ठ) का इस स्‍थान से संबंध रहा है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, ऋषि वशिष्ठ ने माउंट आबू के शिखर पर एक महान यज्ञ किया जिसमें देवताओं से पृथ्‍वी पर धर्म की रक्षा हेतु आह्वान किया गया। जिसके परिणामस्‍वरूप अग्निकुंड से पहले अग्निवंश राजपूत का जन्‍म हुआ। 1311 ईस्वी में देवरा-चौहान वंश के राव लुंबा की माउंट आबू पर विजय के बात परमार के शासनकाल की समाप्ति हुयी। 1405 में चंद्रावती के विनाश के बाद, राव शास्मल ने सिरोही को अपना मुख्यालय बनाया। बाद में इसे सिरोही के तत्कालीन महाराजा द्वारा ब्रिटिश सरकार को मुख्‍यालय के रूप में प्रयोग करने के लिए पट्टे पर दे दिया गया था। यह क्षेत्र प्रसिद्ध गुर्जरों की मूल भूमि भी रहा है।

माउंट आबू में घूमने वाले स्‍थान:
1. दिलवाड़ा जैन मंदिर-
11 वीं और 13 वीं शताब्दी ईस्वी में निर्मित, इस मंदिर में 5 जैन मंदिरों की एक जटिल श्रृंखला है, जो अपनी अद्भुत नक्‍काशी और वास्‍तुकला के लिए प्रसिद्ध है।
2. नक्की झील- इसके विषय में मान्‍यता है कि इसे देवताओं द्वारा खोदा गया था, यह स्‍वच्‍छ पानी की झील आकाश के रंग के साथ अपना रंग बदलती है। इस झील में गांधी जी की अस्थियों का एक हिस्सा भी विसर्जित किया गया था।
3. पीस पार्क (Peace Park)- भागदौड़ भरे जीवन में शांति प्राप्‍त करने के लिए यह एक अच्‍छा स्‍थान है। ध्‍यान लगाने के लिए इसे एक श्रेष्‍ठ स्‍थान माना जाता है।
4. माउंट आबू वन्यजीव अभयारण्य- उष्णकटिबंधीय जीवों के लिए यह स्‍थान स्‍वर्ग के समान है, इसे तेंदुओं का घर भी कहा जाता है। उष्णकटिबंधीय दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों को आप यहां देख सकते हैं।
5. गुरु शिखर चोटी- माउंट आबू वन्यजीव अभयारण्य के अंदर स्थित गुरु शिखर चोटी, संपूर्ण अरावली पर्वत श्रृंखला और माउंट आबू की सबसे ऊँची चोटी है। जहां से आप प्रकृति के मनोरम दृश्‍यों को निहार सकते हैं।
6. सनसेट प्‍वाइंट (Sunset Point)- माउंट आबू के सनसेट प्‍वाइंट से आप सूर्यास्‍त के दृश्‍य को बड़े करीब से देख सकते हैं, यहां पहुंचने के लिए आप पैदल या घुड़सवारी का सहारा ले सकते हैं।
7. आबू रोड- बनास नदी के पास स्थित, आबू रोड वास्‍तव में आश्चर्यजनक परिवेश के बीच यहां स्थित एक रेलवे स्टेशन को संदर्भित करती है। साथ ही आप यहां हिंदू पौराणिक कथाओं से संबंधित कई मंदिरों के भी दर्शन कर सकते हैं।
8. अचलगढ़ किला- परमार वंश के शासकों द्वारा निर्मित और बाद में मेवाड़ साम्राज्य के महाराणा कुंभा द्वारा पुनर्निर्माण कराया गया यह किला आज भी तत्‍कालीन समाज की भव्‍यता को बयान करता है। यहां आप भगवान शिव को समर्पित अचलेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं।
9. टोड रॉक (Toad Rock)- टोड रॉक एक अद्वितीय चट्टान की बनावट है जो टोड (स्‍थलीय मेढक) से मिलती-जुलती है, जिसमें आसानी से चढ़ा जा सकता है तथा यहां से नक्‍की झील के आस पास का नज़ारा देखा जा सकता है।
10. तिब्बती बाज़ार: यहां से आप नये सुन्दर कपड़ों के साथ आभूषण इत्‍यादि भी खरीद सकते हैं।

कैसे पहुंचे?
रेल मार्ग: मांउट आबू का निकटतम रेलवे स्‍टेशन आबू रोड में है, जो मुख्‍य शहर से मात्र 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह रेलवे स्‍टेशन नई दिल्ली, अहमदाबाद, जयपुर और मुंबई के रेल मार्गों से जुड़ा हुआ है। आबू रोड़ से आबू पर्वत पर चढ़ने के लिए आप परिवहन सेवा ले सकते हैं। लखनऊ और मांउट आबू के बीच साप्‍ताहिक रूप से पांच ट्रेनें चलती हैं।

हवाई मार्ग: मांउट आबू का निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर (185 किमी की दूरी) में स्थित है। अहमदाबाद से इसका बेहतर संयोजन है जो मांउट आबू से मात्र 221 किमी की दूरी पर स्थित है जहां देश के विभिन्‍न हिस्‍सों से दैनिक उड़ानें भरी जाती हैं। अहमदाबाद या उदयपुर हवाई अड्डे से माउंट आबू के लिए पहले से टैक्सी बुक करा सकते हैं।

सड़क मार्ग: माउंट आबू देश के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, निकटतम राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 14 केवल 24 किमी दूर है।

माउंट आबू पहुंचने के लिए आपके पास रेल, वायुयान और वाहन तीनों विकल्‍प उपलब्‍ध हैं। किंतु अपनी यात्रा के लिए रेल मार्ग सही चुनाव होगा, जो कम समय और कम पैसों में आपकी यात्रा को ज्‍यादा आनंददायी बना देगा। माउंट आबू में आसानी से 800-900 (डबल बेडरूम/Double Bedroom) से लेकर 1200-1500 के बीच बेहतर सुविधा वाले होटल लिए जा सकते हैं।

संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Mount_Abu
2. https://traveltriangle.com/blog/places-to-visit-in-mount-abu/
3. http://www.mountabu.com/how_to_reach.html
4. https://www.cleartrip.com/tourism/train/routes/lucknow-to-abu-road-trains.html
5. https://en.wikipedia.org/wiki/Abu_Road_railway_station
6. https://www.makemytrip.com/routeplanner/lucknow-mt-abu.html
7. https://www.irctc.co.in/nget/train-search