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                                            इस भव्य धरती पर कई जीव अपना जीवन यापन करने के लिए विभिन्न प्रकार से दूसरे जीव जंतुओं का सेवन करते हैं, जैसे शाकाहारी जीव पेड़ पौधों का, मांसाहारी जीव शाकाहारी जीवों का इत्यादि। ऐसे ही प्रकृति में पाए जाने वाले परजीवी कीट भी अन्य जीवों पर निर्वाह करते हैं, लेकिन निर्वाह के लिए वे उनका वध किए बिना ही उनसे भोजन प्राप्त करते हैं और प्राय: एक ही पोषक पर निर्भर रहते हैं। परजीवीवाद एक प्रकार का सहजीवन होता है, जो एक परजीवी और उसके मेज़बान के बीच एक लंबी और लगातार दीर्घकालिक जैविक क्रिया पर निर्भर करता है। परजीवी जीवित मेज़बानों का सेवन करते हैं, हालांकि कुछ परजीवी कवक मेज़बानों का मरने के बाद भी सेवन करते रहते हैं। समानता और पारस्परिकता के विपरीत, परजीवी संबंध मेज़बान को नुकसान पहुंचाते हैं। या तो ये उसका धीमे-धीमे सेवन करते हैं या आंतों में रहने वाले परजीवी मेज़बान के भोजन में से कुछ का उपभोग करते हैं। क्योंकि परजीवी अन्य प्रजातियों के साथ परस्पर क्रिया करते हैं, वे आसानी से रोगजनकों के संचालक के रूप में कार्य कर सकते हैं, जो बीमारी का कारण बन सकता है।
वर्गीकरणकर्ता विभिन्न प्रकार की अतिव्यापी योजनाओं में परजीवियों को वर्गीकृत करते हैं, जो उनके मेज़बानों के साथ और उनके जीवन-चक्रों के साथ परस्पर क्रिया पर आधारित होते हैं। ये कभी-कभी बहुत जटिल हो जाता है। एक बाध्य परजीवी अपने जीवन चक्र को पूरा करने के लिए पूरी तरह से मेज़बान पर निर्भर रहता है, जबकि एक ऐच्छिक परजीवी ऐसा नहीं करता है। वहीं एक अंतः परजीवी मेज़बान के शरीर के अंदर रहता है; जबकि एक बहि:परिजीवी मेज़बान की सतह पर रहता है। साथ ही मध्य-परजीवी जैसे कोपेपोड्स (Copepods) जो मेज़बान के शरीर के खुले भाग में आंशिक रूप से सन्निहित रहते हैं। इसका एक उदाहरण एमराल्ड तिलचट्टा ततैया (Emerald Cockroach Wasp) है जो अपने मेज़बान, यानि अमेरिकी तिलचट्टे का अपने बढ़ते लार्वा (Larva) के लिए एक खाद्य स्रोत के रूप में परजीवीकरण करते हैं। ये ततैया कॉकरोच को दो बार डंक मारती है: पहले उसके वक्ष नाड़ीग्रन्थि में, जिससे उसका आगे वाले पैर में लकवा हो जाता है और फिर दूसरा डंक वो कॉकरोच के मस्तिष्क में मारती है जिससे कॉकरोच में हाइपोकिनेसिया (Hypokinesia - इस अवस्था में शारीरिक हलचल कम हो जाती है) की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसके बाद ततैया द्वारा उस कॉकरोच को खींचकर अपने बिल में लेकर जाया जाता है, जहां वो कॉकरोच के पेट में अंडे देती है और लार्वा के बाहर आने के बाद वे उस कॉकरोच का सेवन करते हैं। हाइपोकिनेसिया की अवस्था कॉकरोच को अधिक समय तक ताज़ा रखती है।
मानव परजीवी जिनमें राउंडवॉर्म (Roundworm), गिनी वर्म (Guinea Worm), थ्रेडवर्म (Threadworm) और टेपवर्म (Tapeworm) शामिल हैं, जिसका उल्लेख मिस्र के पेपिरस रिकॉर्ड (Papyrus Records) में 3000 ईसा पूर्व में किया गया है। साथ ही ईबर्स पेपिरस (Ebers papyrus) में हुकवर्म (Hookworm) का वर्णन मिलता है। वहीं स्तनधारियों में परजीवी का सबसे अच्छा अध्ययन टॉक्सोप्लाज्मोसिस (Toxoplasmosis) का है जो प्रोटोज़ोआ परजीवी टोक्सोप्लाज्मा गोंडी (Protozoan parasite Toxoplasma gondii) के कारण होने वाली बीमारी है। यह चूहों को संक्रमित करता है और उनसे अंतिम मेज़बान बिल्ली को संक्रमित कर अपने जीवन चक्र को पूरा करता है। ये परजीवी मस्तिष्क बनाने वाले कोष को संक्रमित करता है जो टायरोसीन हाइड्रॉक्सिलेस (Tyrosine hydroxylase - डोपामाइन बनाने के लिए सीमित एंजाइम) नामक एंज़ाइम (Enzyme) का उत्पादन करता है। ये परजीवी स्वयं से ही मध्यवर्ती मेज़बान को अंतिम मेज़बान के पास जाने के लिए विवश कर देते हैं, यानि वे उनके मस्तिष्क को नियंत्रित करते हैं। हालांकि मनुष्य परजीवी के लिए अंत मेज़बान होते हैं। जी हाँ हम भी इन परजीवी से संक्रमित हो सकते हैं और कुछ वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि टोक्सोप्लाज्मा गोंडी के संक्रमण के बाद मनुष्य के व्यवहार में काफी बदलाव आ सकता है। क्योंकि परजीवी मस्तिष्क को संक्रमित करता है, यह लोगों को अधिक लापरवाह बना देता है, यहां तक कि इनसे संक्रमित कुछ लोगों में पागलपन के कुछ मामले भी देखे जा सकते हैं।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Parasitism
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Behavior-altering_parasite#By_insects
3. https://www.frontiersin.org/articles/10.3389/fpsyg.2018.00572/full
4. http://theconversation.com/parasites-inside-your-body-could-be-protecting-you-from-disease-83068