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पूरे विश्व भर में हिंदू देवी-देवताओं की सार्वभौमिकता और लोकप्रियता की कोई सीमा नहीं है। प्रत्येक देवी-देवता किन्हीं विशिष्ट गुणों के कारण विशेष रूप से जाने जाते हैं। हम अक्सर ऐसे धार्मिक पौराणिक किरदारों के बारे में सुनते हैं, जो अपनी भक्ति के लिए जाने जाते हैं तथा इन्हीं प्रतिष्ठित व्यक्तित्व में से एक नाम भगवान हनुमान का भी है। भगवान हनुमान प्रसिद्ध महाकाव्य रामायण के प्रमुख किरदारों में से एक हैं, जिन्हें भगवान विष्णु के 7वें अवतार अर्थात भगवान राम, के एक उत्साही और प्रिय भक्त के रूप में जाना जाता है। यदि उन्हें समकालीन युग का पहला सुपरहीरो (Superhero) कहा जाए तो यह कहना गलत नहीं होगा क्योंकि, भगवान हनुमान न केवल भारत में बल्कि विश्व के अनेकों क्षेत्रों में अपनी वीरता, साहस, भक्ति आदि के लिए जाने जाते हैं और शायद यही कारण है कि उनके मंदिर तथा उनके भक्त भारत सहित विश्व के अनेक देशों में मौजूद हैं। इन देशों में भगवान हनुमान के कई प्रसिद्ध मंदिर भी मौजूद हैं। त्रिनिदाद (Trinidad) का हनुमान मंदिर, भारत के बाहर भगवान हनुमान का सबसे बड़ा मंदिर है। इसके अलावा फ्रिस्को (Frisco) में कार्य सिद्धि हनुमान मंदिर, मलेशिया (Malaysia) का श्री वीर हनुमान मंदिर, संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) का संकट मोचन हनुमान मंदिर, न्यूयॉर्क (Newyork) का श्री हनुमान मंदिर, काठमांडू (Kathmandu) में हनुमान धोका मंदिर, जॉर्जिया (Georgia) में श्री हनुमान मंदिर, कनाडा (Canada) में श्री हनुमान मंदिर आदि विश्व के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक हैं। भगवान हनुमान का एक प्रसिद्ध मंदिर लखनऊ में भी स्थित है, जहां बड़ा मंगल उत्सव बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। यहां हर मंगलवार (आमतौर पर) मेले और भंडारे आयोजित किए जाते हैं।
भगवान हनुमान, भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार, माने जाते हैं, जो बलवान तो हैं ही साथ ही बुद्धिमान भी हैं। भगवान हनुमान उन सात मनीषियों में से भी एक हैं, जिन्हें अमरत्व का वरदान प्राप्त है। उनके पराक्रम की असंख्य कथाएं विश्व भर में प्रचलित हैं। माना जाता है कि उनका जन्म त्रेतायुग के अंतिम चरण में हुआ। वे पवन देवता और माता अंजना के पुत्र हैं, जो अपने विभिन्न गुणों के कारण विभिन्न नामों से जाने जाते हैं। उनका उल्लेख कई अन्य ग्रंथों जैसे महाकाव्य महाभारत और विभिन्न पुराणों में भी किया गया है। उनके प्रति भक्ति के साक्ष्य प्राचीन और अधिकांश मध्ययुगीन काल के ग्रंथों और पुरातत्व स्थलों से गायब हैं, किंतु माना जाता है कि भगवान हनुमान की पूजा रामायण की रचना के लगभग 1,000 साल बाद अर्थात भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लामी शासन के आगमन के बाद दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व में शुरू हुई। समर्थ रामदास जैसे भक्ति आंदोलन के संतों ने हनुमान को राष्ट्रवाद और उत्पीड़न के प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में व्यक्त किया। आधुनिक युग में, उनकी आइकनोग्राफी (Iconography) और मंदिर तेजी से सामान्य हो रहे हैं। उन्हें ‘शक्ति, वीरता और मुखर उत्कृष्टता’ तथा शक्ति और भक्ति के संयोजन के रूप में देखा जाता है। बाद के साहित्य में, वे कुश्ती, कलाबाजी जैसी मार्शल आर्ट (Martial Arts), ध्यान आदि के संरक्षक देवता रहे हैं। वह आंतरिक आत्म-नियंत्रण, विश्वास और सेवा के मानव उत्कर्ष का प्रतीक हैं। 
अपने विभिन्न गुणों के कारण भगवान हनुमान विश्व भर में प्रसिद्ध हैं तथा उनके किरदार को विभिन्न रूपों में प्रस्तुत किया जाता है। फिलीपींस (Philippines) में हुए एशियन (Asian) शिखर सम्मेलन में विश्व भर के प्रमुख नेताओं ने भाग लिया, इस दौरान कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें रामायण की कहानी और भगवान हनुमान के किरदार को संगीत के रूप में प्रस्तुत किया गया। विश्व भर में प्राचीन महाकाव्य रामायण के लगभग 300 संस्करण मौजूद हैं, जिनमें भगवान हनुमान के किरदार को विभिन्न तरीकों से दर्शाया गया है। भारत के अलावा, रामायण के संस्करण बर्मा, इंडोनेशिया, कंबोडिया, लाओस, फिलीपींस, श्रीलंका, नेपाल, थाईलैंड, मलेशिया, जापान, मंगोलिया, वियतनाम और चीन में पाए जा सकते हैं, और इसलिए इसके महत्वपूर्ण किरदार इन देशों में भी अत्यधिक लोकप्रिय हैं। थाईलैंड का संस्करण रामकेन (Ramakein) भगवान हनुमान के चरित्र को अधिक महत्व देता है। सिख धर्म में, हिंदू भगवान राम को श्री राम चंद्र के रूप में संदर्भित किया गया है, और एक सिद्ध के रूप में हनुमान की कहानी प्रभावशाली रही है। 1699 में मार्शल सिख खालसा आंदोलन के जन्म के बाद, 18वीं और 19वीं शताब्दी के दौरान, हनुमान जी को खालसा द्वारा श्रद्धा और प्रेरणा का व्यक्तित्व माना गया। बौद्ध धर्म में हनुमान तिब्बती (दक्षिण-पश्चिम चीन) और खोतानी (Khotanese - पश्चिम चीन, मध्य एशिया और उत्तरी ईरान) रामायण के संस्करणों में एक बौद्ध चमक के साथ दिखाई देते हैं। खोतानी संस्करणों में जातक कथाएँ जैसे विषय होते हैं, लेकिन आमतौर पर हनुमान की कहानी और चरित्र में हिंदू ग्रंथों के समान होते हैं। विमलसूरि द्वारा रचित रामायण के जैन संस्करण पौमचार्य (Paumacariya - जिसे पौमा चारु (Pauma Chariu) या पद्मचरित के नाम से भी जाना जाता है) में हनुमान का उल्लेख एक दिव्य वानर के रूप में नहीं, बल्कि एक विद्याधर (एक अलौकिक प्राणी) के रूप में किया गया है।
पौराणिक ग्रंथों में भगवान हनुमान एक ऐसे देवता हैं, जिनकी आकृति बंदर के समान है। उन्हें विशाल शक्ति, गहरी बुद्धि, वेदों और सीखने की अन्य शाखाओं पर महारत हासिल हैं, जो महाकाव्य रामायण के नायक, भगवान राम के निर्विवाद भक्त भी हैं। वे अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी रूप को धारण करने में सक्षम हैं।