दुनिया के सबसे नम स्थानों में आप उन पुलों को पार नहीं कर पायेंगे, जो सीमेंट (Cement) से बनाये गए हैं बल्कि आप उन पुलों को पार कर पाएंगे, जो अपने आप उग आये हैं। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Guinness World Records) के अनुसार, बांग्लादेश की सीमा के साथ पूर्वोत्तर भारत में स्थित मेघालय राज्य पृथ्वी पर सबसे अधिक वार्षिक वर्षा वाले दो शहरों का घर है। मौसिनराम (Mawsynram) गांव 467 इंच या लगभग 39 फीट प्रति वर्ष वर्षा के साथ इस सूची में सबसे ऊपर है। इस सूची में दूसरा स्थान चेरापूंजी शहर का है, जहां हर साल 463 इंच बारिश होती है। इस क्षेत्र में इन स्थितियों में जीवित रहने के लिए स्वदेशी खासी लोग अपनी सरलता या कौशलता पर निर्भर हैं। पेड़ की जड़ों से बने हुए पुल इस सरलता या कौशलता का एक उदाहरण है। जीवित सेतु और पुल का निर्माण एक धारा या नदी के आर-पार, फिकस इलास्टिका (Ficus Elastica) पेड़ की लचीली जड़ों के द्वारा निर्मित होता है, और फिर समय के साथ ये जड़ें अपने आप बढ़ती जाती हैं तथा इतनी मजबूत हो जाती हैं, कि वह मानव के वजन को सहन कर सकें। युवा जड़ें कभी-कभी एक साथ बंध जाती हैं, और अक्सर इनोस्क्यूलेशन (Inosculation) की प्रक्रिया के माध्यम से एक-दूसरे के साथ संयोजन को बढ़ावा देती हैं। चूंकि फिकस इलास्टिका का पेड़ अच्छी तरह से ढलान और चट्टानी सतहों के लिए खुद को ढालने के लिए अनुकूल है, इसलिए इसकी जड़ों को नदी के किनारों पर पकड़ बनाने के लिए प्रोत्साहित करना मुश्किल नहीं है। जैसा कि वे जीवित, बढ़ते, जीवों से बने होते हैं, इसलिए किसी भी जीवित जड़ से बने पुलों का उपयोगी जीवन काल परिवर्तनशील या अस्थायी है।
संदर्भ:
https://en.wikipedia.org/wiki/Living_root_bridge
https://www.youtube.com/watch?v=37Qc4_pX_Ts
https://www.youtube.com/watch?v=B7EaHtF-hk4