लंबे समय से यह सामान्य धारणा रही है कि, मनुष्य वास्तविक रूप से स्वार्थी होता है। संसाधनों और शक्ति तथा संपत्ति को प्राप्त करने के लिए एक दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने की मजबूत इच्छाओं के साथ मनुष्य स्पष्ट रूप से निर्दयी है। यद्यपि हमारा एक दूसरे के लिए दयालु स्वभाव भी होता है, लेकिन उसके पीछे हमारे खुद के अप्रत्यक्ष उद्देश्य निहित होते हैं। यदि हम दूसरों के लिए अच्छा स्वभाव प्रदर्शित करते हैं, तो वो केवल इसलिए, क्यों कि, हम अपने कुदरती स्वार्थ और क्रूरता को नियंत्रित करना चाहते हैं या उससे पार पाना चाहते हैं। मानव प्रकृति का यह स्पष्ट दृश्य विज्ञान, लेखक रिचर्ड डॉकिंस (Richard Dawkins) के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है, जिनकी पुस्तक “द सेलफिश जीन (The Selfish Gene)” अत्यधिक लोकप्रिय हुई क्यों कि, यह 20 वीं सदी के अंत के समाजों में व्याप्त प्रतिस्पर्धी और व्यक्तिवादी लोकाचार पर बिल्कुल सही बैठती है। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है, कि वास्तव में ऐसा नहीं है। जो व्यक्ति स्वार्थी और निर्दयता से व्यवहार करते हैं, उनके जीवित रहने की संभावना कम होगी, क्यों कि, वे लोग अपने समूहों से बहिष्कृत हो गये होंगे। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि, सहयोग, समतावाद, परोपकारिता और शांति मानव के स्वाभाविक गुण हैं। जादू से भरपूर इस त्यौहारी भावना के समय में, “सोर” (Soar), चमचमाती और टिमटिमाती कल्पना के साथ अंधकारमय आकाश को रोशन करती है, और हमें मानव स्वभाव के इस उज्ज्वल पक्ष को भी दिखाती है।