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पंछियों को देखने के इस विषय को हम अंग्रेजी (English) भाषा मे बरडिंग (Birding) या बर्ड वाचिंग (Bird Watching) के नाम से जानते हैं। अब यह जो दो शब्द अभी बताया गया इसके विषय मे आइए पहले जानने कि कोशिश करते हैं। बर्ड वाचर (Bird Watcher) शब्द का पहला प्रयोग सन 1891 ईस्वी में किया गया था, इसके अलावा कई 15 वीं और 16 वीं शताब्दी के लेखक भी हैं जो कि पंछियों आदि के खूबसूरती को निहारने के विषय मे किसी न किसी शब्द का प्रयोग किए ही हैं। शेक्सपियर (Shakespeare) ने पहली बार ’बरडिंग’ शब्द का इस्तेमाल किया था। मध्यकाल के इस दौर में पंछियों को देखना एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण शौक बन चुका था और यही कारण है कि उस दौर में बड़े पैमाने पर इस शौक से जुड़े यंत्रों का जन्म होता है। आखिर यह बरडिंग क्या है इस विषय में जब हम जानने कि कोशिश करते हैं तो, जो सबसे महत्वपूर्ण बिन्दु हमारे समीप आता है, वह है पंछियों को देखकर आनंद कि प्राप्ति। पंछियों को देखने के इस शौक या वृत्ती से जो सबसे महत्वपूर्ण कार्य प्रगति पर होता है उसे पंछियों के संरक्षण को लेकर है। इस शौक से ही पूरे विश्व भर में नई प्रजातियों कि खोज तथा कई विलुप्त प्रजातियों के विषय में भी जानकारी प्राप्त हो जाती है। 
अब आइए बात करते हैं भारत मे बरडिंग के इतिहास के विषय में। भारत में बरडिंग के लिए यदि सबसे महत्वपूर्ण कार्य यदि किसी ने किया है तो उसके लिए पछी विज्ञानी सलीम अली (Salim Ali) का नाम शीर्ष पर आता है। सलीम अली के कार्यों का ही प्रतिफल है कि उनको आज बर्डमैन ऑफ इंडिया (Bird Man of India) के नाम से जाना जाता है। अली द्वारा लिखित पुस्तक बुक ऑफ इंडियन बर्ड्स (Book Of Indian Birds) आज इस क्षेत्र के लिए एक भागवत गीता के रूप में जानी जाती है। 
	
बर्डिंग के विषय में यदि और अध्ययन करें तो हमे कुछ बिंदुओं पर चर्चा जरूर कर लेनी चाहिए। पहले हम फायदे कि बात करें तो बर्डिंग से सेहत व मस्तिष्क दोनों शांत और मनोरम होते हैं तथा साथ ही साथ यह एक ऐसा विषय है जिसमे हर उम्र के व्यक्ति अपनी सहभागिता प्रदान कर सकते हैं। जैसा कि ऊपरी पंक्तियों में बर्डिंग से जुड़े फ़ायदों के बारे मे चर्चा की जा चुकी है तो हमे यह भी जान लेना चाहिए कि इससे नुकसान क्या-क्या हो सकता है? बर्डिंग से स्थल के पारिस्थितिकी संबंधी समस्याएं हमारे समीप आ सकती हैं अतः हमे पंछियों के पारिस्थितिकी तंत्र के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।  
	लखनऊ के समीप ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां पर बर्डिंग का लुफ्त उठाया जा सकता है जैसे दुधवा अरण्य, गोमती नदी के किनारे आदि।