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                                            फोटोजर्नलिज्म (Photojournalism)‚ पत्रकारिता है‚ जिसमें समाचार बताने के लिए
छवियों का उपयोग किया जाता है। आमतौर पर यह केवल स्थिर छवियों को ही
संदर्भित करता है‚ लेकिन ये प्रसारण पत्रकारिता में उपयोग किए जाने वाले वीडियो
को भी संदर्भित कर सकता है। फोटोजर्नलिज्म दो शब्दों को जोड़ता है‚ ‘फोटोग्राफी’
और ‘पत्रकारिता’। यह शब्द 1940 के दशक में यूनिवर्सिटी ऑफ मिसौरी‚ स्कूल
ऑफ जर्नलिज्म (University of Missouri‚ School of Journalism) के डीन
फ्रांसिस लूथर मॉट (Frances Luther Mott) द्वारा गढ़ा गया था। हालांकि‚
आधुनिक फोटोजर्नलिज़्म की उत्पत्ति 1920 के दशक के आसपास हुई, क्योंकि तब
तक कैमरा उपकरण अधिक पोर्टेबल और कम भारी हो गए थे‚ इस प्रकार
फोटोग्राफर्स विवेकपूर्ण तरीके से तस्वीरें ले सकते थे।
फोटोजर्नलिज्म‚ फोटोग्राफी की अन्य शाखाओं‚ जैसे; दस्तावेजी फोटोग्राफी‚
सामाजिक वृत्तचित्र फोटोग्राफी‚ स्ट्रीट फोटोग्राफी और सेलिब्रिटी फोटोग्राफी से अलग
है। इसमें एक कठोर नैतिक ढांचा होता हैं‚ जिसमें ईमानदारी तथा निष्पक्ष
दृष्टिकोण एक नैतिक तत्व हैं‚ जो दृढ़ता से पत्रकारिता को संदर्भित करता है।
फोटो पत्रकार‚ समाचार मीडिया में योगदान करते हैं‚ तथा समुदायों को एक दूसरे
से जोड़ने में मदद करते हैं। वे अच्छी सूझ-बूझ वाले तथा जानकार होते हैं और
रचनात्मक तरीके से समाचार देने में सक्षम होते हैं। जिससे समाचार सूचनात्मक
के साथ मनोरंजक भी लगता है।
एक फोटो जर्नलिस्ट‚ एक लेखक की तरह‚ एक रिपोर्टर होता है‚ लेकिन उन्हें
अक्सर तुरंत निर्णय लेने पड़ते हैं तथा फोटोग्राफिक उपकरणों को अपने साथ ले
जाना पड़ता है‚ जिसके कारण अक्सर उन्हें कुछ महत्वपूर्ण बाधाओं के संपर्क में
आना पड़ता है जिसमें; खराब मौसम‚ ज्यादा भीड़‚ अपने विषयों तक सीमित
भौतिक पहुंच‚ तत्काल शारीरिक खतरा आदि शामिल हैं।
तस्वीरों के साथ समाचारों को चित्रित करने की प्रथा को‚ 19वीं शताब्दी के मध्य
में हुई छपाई और फोटोग्राफी नवाचारों द्वारा संभव बनाया गया था। हालाँकि
अखबारों में कुछ शुरुआती चित्र छपे थे‚ जैसे; 1806 में‚ लंदन के द टाइम्स (The
Times) में‚ लॉर्ड होरेशियो नेल्सन (Lord Horatio Nelson) के अंतिम संस्कार
का चित्रण‚ जबकि पहला साप्ताहिक सचित्र समाचार पत्र‚ इलस्ट्रेटेड लंदन न्यूज
(Illustrated London News) था‚ जिसे पहली बार 1842 में छापा गया था।
जिनमें चित्र उत्कीर्णन के उपयोग से मुद्रित किए गए थे। एक अखबार की कहानी
के चित्रण में इस्तेमाल की जाने वाली पहली तस्वीर‚ 25 जून 1848 को ली गई‚
‘जून डेज विद्रोह’ के दौरान‚ पेरिस (Paris) में बाड़ (बाधा) का चित्रण थी‚ इस
फोटो को 1-8 जुलाई 1848 के इलस्ट्रेशन (L'Illustration) में उत्कीर्णन के रूप में
प्रकाशित किया गया था।
1925 में 35 मिमी लीका कैमरे के विकास के साथ जर्मनी (Germany) में
फोटोजर्नलिज़्म की शुरुआत हुई‚ इसके बाद 1927 में फ्लैशबल्ब (flashbulbs) ने
पत्रिकाओं की एक पूरी नई शैली को जन्म दिया‚ जो कवर के अंदर तस्वीरें
प्रकाशित करती थीं। जो वास्तव में अब सामान्य लग सकता है‚ वह उस समय
एक क्रांतिकारी घटना थी। फ़ोटोग्राफ़र बड़ी संख्या में तस्वीरें लेते थे और अपने
संपादकों के साथ उन चित्रों का चयन करते थे‚ जो उस विषय की कहानी के लिए
सबसे बेहतर हो। फिर तस्वीरों को कहानी बनाने के लिए कैप्शन या छोटे टेक्स्ट
(Text) के साथ जोड़ा जाता था।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान तक फोटोजर्नलिज्म का अस्तित्व उभर कर आ
चुका था‚ जहां क्रूरता‚ त्रासदी और मानव अस्तित्व की विजय को फिल्म में जल्दी
से कैद किया जा सकता था। इस फोटोग्राफिक क्रांति में‚ जीवन पत्रिका (Life
Magazine) सबसे आगे थी। युद्ध के दौरान और उसके तुरंत बाद ली गई तस्वीरें
आज भी प्रसिद्ध हैं।
फोटोजर्नलिज्म‚ नैतिकता एक ऐसा विषय है जो हर फोटोग्राफर के दिमाग में सबसे
आगे रहना चाहिए‚ जब वह एक तस्वीर खींचता है तथा उसे सच्चाई के रूप में
प्रस्तुत करता है। फोटो संपादन सॉफ्टवेयर और रिपोर्टिंग की सनसनीखेज शैली के
आगमन के साथ‚ क्षेत्र में नए व्यक्ति के लिए फोटोजर्नलिज्म नैतिकता को
समझना मुश्किल हो सकता है। फिर भी यह विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है‚ क्योंकि
एक फोटो जर्नलिस्ट की विश्वसनीयता खतरे में होती है‚ जब वह एक फोटो को
समाचार योग्य घटनाओं की एक सच्ची छवि के रूप में प्रस्तुत करता है।
 नेशनल
प्रेस फ़ोटोग्राफ़र एसोसिएशन (National Press Photographers Association
(NPPA)) की आचार संहिता‚ सदस्य पत्रकारों को नौ नैतिक मानक प्रदान करती
है। 
एनपीपीए (NPPA) के नौ मानकों के मूल आधार हैं:
1- सटीक रूप में विषयों का प्रतिनिधित्व करें‚
2- मंचित तस्वीरों से छेड़छाड़ न करें‚
3- काम में पूर्वाग्रह और रूढ़िबद्धता से बचें; पूरी जानकारी और संदर्भ प्रदान
करें‚
4- विषयों के लिए विचार-विमर्श दिखाएं‚
5- फोटोग्राफिक विषय के कार्यों को प्रभावित करने से बचें‚
6- संपादन से‚ फोटो में विषयों का गलत प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए‚
7- फोटो खिंचवाने या तस्वीरों में शामिल व्यक्तियों को मुआवजा न दें‚
8- फोटो में शामिल लोगों से उपहार या अन्य एहसान‚ स्वीकार न करें‚
9- अन्य पत्रकारों के काम में जान बूझकर दखल न दें।
ये दिशानिर्देश न केवल एनपीपीए (NPPA) के सदस्यों के लिए‚ बल्कि अन्य
फोटो जर्नलिस्टों के लिए भी एक ढांचा प्रदान करते हैं। नौ मानकों के अलावा‚
एक प्रस्तावना और सात आदर्श भी‚ इस कोड में सम्मिलित हैं‚ जो नैतिक
फोटो जर्नलिस्टिक रिपोर्टिंग के संबंध में एनपीपीए की अपेक्षाओं को और स्पष्ट
करते हैं। नैतिकता के उल्लंघन से बचने का सबसे अच्छा तरीका फोटो
जर्नलिज्म एथिक्स क्लास (Ethics Clause) लेना‚ या फोटो जर्नलिज्म में
सच्चाई को कायम रखना है।
फोटोजर्नलिस्ट को मीडिया हाउस या प्रकाशन एजेंसी द्वारा नियोजित किया जाता
है। हालाँकि‚ कई फोटो जर्नलिस्ट फ्रीलांसर के रूप में भी काम करते हैं। कुछ को
स्वच्छंद पक्ष में‚ समाचार पत्र द्वारा भी नियोजित किया जाता है। भारत में
वीडियो भी फोटोजर्नलिज्म का एक बड़ा हिस्सा बन रहा है‚ खासकर इंटरनेट के
समाचारों को प्रसारित करने का महत्वपूर्ण रूप होने के कारण। कुछ फोटो
जर्नलिज्म करियर हैं जिनका अन्वेषण किया जा सकता हैं‚ जैसे; समाचार पत्र
फोटोग्राफर‚ पत्रिका फोटोग्राफर‚ फ्रीलांस फोटोजर्नलिस्ट‚ स्टॉक फोटोग्राफर‚ ग्राफिक
आर्टिस्ट‚ लेआउट एडिटर‚ मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट‚ वेब डिजाइनर‚ वीडियो एडिटर‚
डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता।
एक फोटो जर्नलिस्ट का काम मुश्किल हो सकता है‚ खासकर जब बात स्थापित
होने की हो। हालाँकि‚ यह काफी सुविधाओं के साथ‚ तथा रोमांचक भी होता है‚
जैसे; फोटो जर्नलिस्ट को दुनिया घूमने का मौका मिलता है।‚ फोटोजर्नलिस्ट एक
पुरस्कृत करियर है‚ जो इस बात पर निर्भर करता है कि आपको कितना अनुभव
प्राप्त हुआ है।‚ फोटो जर्नलिस्ट वास्तव में तब उपस्थित हो सकते हैं‚ जब इतिहास
बनाने वाली घटनाएं घटित हो रही हों।‚ यह काम क्रियाशील तथा रोमांचकारी है‚
जिसमें हर दिन कुछ नया करने को मिलता है।‚ फोटो जर्नलिस्ट के पास प्रसिद्ध
लोगों और मशहूर हस्तियों तक पहुंच होती है‚ जो कि अधिकांश लोगों के पास नहीं
होती हैं। भारत में इस समय फोटो जर्नलिज्म का दायरा बहुत बड़ा है। फोटो
जर्नलिज्म के लिए जरूरी है‚ कि व्यक्ति फोटोग्राफी तथा पत्रकारिता के क्षेत्र में
अभिज्ञ हों‚ तथा उसे कैमरा संचालित करना आता हो‚ क्योंकि उनके द्वारा ली गई
तस्वीरों को संपादित किया जाता है। इस क्षेत्र में करियर के लिए‚ फोटोग्राफी के
कई अच्छे कोर्स द्वारा मदद ली जा सकती है। पत्रकारिता तथा फोटोग्राफी के बीच
सही संतुलन बनाने के लिए एक पेशेवर प्रसारण पत्रकारिता पाठ्यक्रम में दाखिला
लिया जा सकता है‚ जो पत्रकारिता के क्षेत्र की गहरी समझ देगा तथा फोटो
जर्नलिज्म में विशेषज्ञता का चयन करेगा।
संदर्भ:
https://bit.ly/3uD1KDo
https://bit.ly/2WFInwV
https://bit.ly/3mq0TCk
https://bit.ly/3a7LPTW
चित्र संदर्भ
1. युद्ध के मैदान में तस्वीरें खींचती महिला पत्रकार का एक चित्रण (istock)
2. युद्ध के हालातों को दर्शाता श्यामशवेत चित्रण (monovisions)
3. पलायन की शिकार माँ के दर्द को उजागर करता एक चित्रण (enviragallery)
4. राजकुमारी डायना (Diana) का एक चित्रण (artsindustry)
5. भारत के ग्रामीण परिदृश्य को संदर्भित करती एक तस्वीर (behance)