चंद्र दिवस पर जानिए, चंद्रमा पर पहुंचने की हमारी तैयारी कैसी है?

गतिशीलता और व्यायाम/जिम
20-07-2022 08:34 AM
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चंद्र दिवस पर जानिए, चंद्रमा पर पहुंचने की हमारी तैयारी कैसी है?

इंसान को अपनी गलतियों को "हार" की संज्ञा देने के बजाय, सबक मानते हुए उनमें सुधार करके और भी अधिक कुशलता से कार्य को संपन्न करना चाहिए! इस कथन को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जल्द ही सार्थक करने जा रही है। क्यों की 2019 में, चंद्रयान 2 मिशन के दुर्घटना ग्रस्त हो जाने के बाद इसरो अपनी पिछली गलतियों से सबक लेते हुए, एक बार फिर से चंद्रयान 3 मिशन के जरिये चंद्रमा पर फ़तेह हासिल करने की महत्वकांशी योजना पर काम कर रहा है। आज विश्व के प्रथम अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस के अवसर पर, हम इसरो की चांद पर खोज करने की इसी महत्वकांशा के भविष्य को समझेंगे।
2019 में, चंद्रयान 2 मिशन का विक्रम लैंडर (Vikram Lander), लैंडिंग प्रक्रिया में देरी के कारण चंद्रमा में ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया था! हालांकि इसके साथ वाला ऑर्बिटर (orbiter) अभी भी दूर से चंद्रमा का अध्ययन कर रहा है। इस घटना के तुरंत बाद, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization (ISRO) ने घोषणा की कि वह फिर से चंद्रमा पर लैंडिंग का प्रयास करने के लिए, एक उत्तराधिकारी मिशन को जल्दी से लॉन्च करने की योजना बना रहे है। लेकिन घोषणा करने के बाद COVID-19 महामारी दुनिया भर में फैल गई, जिसने सभी प्रकार के अंतरिक्ष मिशनों पर ब्रेक लगा दिया और भारत के कई नियोजित प्रक्षेपणों को स्थगित भी कर दिया दिया। लेकिन विस्फोट के तीन साल बाद अब, इसरो चंद्रमा पर अपनी वापसी की एक नई तारीख लिखने को तैयार है। अंतरिक्ष मंत्री जितेंद्र सिंह के अनुसार "इस बार, हम अधिक सतर्क रहेंगे", "मैं आपको बता दूं कि कोई भी देश पहले प्रयास में चांद पर उतरने में सफल नहीं हुआ। 1960 के दशक में तीन बार फेल होने के बाद अमेरिका चांद पर उतर सका।"
दुर्घटनाग्रस्त विक्रम लैंडर की तुलना में चंद्रयान 3 की सफलता में बाधाओं को दूर करने के लिए इसरो ने सावधानी से कई डिज़ाइनों में परिवर्तन किया है। उदाहरण के लिए, नए मिशन में अंतरिक्ष यान (चंद्रयान 2) जैसा विज्ञान-सक्षम ऑर्बिटर दोबारा शामिल नहीं किया जायेगा, जो अभी भी चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है। "इस ऑर्बिटर को पिछले वाले की तरह वैज्ञानिक उपकरणों से लोड नहीं किया जाएगा।" "इसका काम केवल लैंडर को चंद्रमा तक ले जाने, उसकी कक्षा से लैंडिंग की निगरानी करने और लैंडर और पृथ्वी स्टेशन के बीच संचार करने तक ही सीमित होगा।"
इसके अलावा, नए लैंडर में केवल चार इंजन शामिल होंगे। दूसरी पीढ़ी का लैंडर भी, लैंडिंग लेग्स (landing legs) के लिए थोड़े अलग डिज़ाइन पर निर्भर करेगा, साथ ही इसमें एक ऐसा उपकरण शामिल होगा जो लैंडर की गति को अधिक सटीक रूप से माप सकता है। चंद्रयान 3 मिशन, सतीश धवन स्पेस सेंटर से जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क III रॉकेट (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle Mark III Rocket) के साथ लॉन्च होगा। चंद्रयान 3 चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में, उसी लैंडिंग साइट के लिए लक्ष्य निर्धारित कर रहा है, जिसे विक्रम ने 2019 में लक्षित किया था। यदि सब कुछ ठीक रहा, तो भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट-लैंड (soft-land) करने वाला चौथा देश बन जाएगा। हालांकि इन देशों में से कोई भी अभी तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं उतर सका है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस.सोमनाथ के अनुसार, "वर्तमान में, हम प्रणोदन प्रणाली का परीक्षण कर रहे हैं।" यह टिप्पणी 2019 चंद्रयान 2 मिशन को संदर्भित करती है, जिसमें एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर शामिल था। मून ऑर्बिटर (moon orbiter) दो साल से अधिक समय से सफलतापूर्वक काम कर रहा है, लेकिन अंतरिक्ष यान पर नियंत्रण खोने के बाद विक्रम लैंडर को हार्ड लैंडिंग का सामना करना पड़ा। चंद्रयान 3 के साथ ऐसी ही घटना से बचने के लिए इसरो ने लैंडर में बदलाव किया है।
इसरो टीम प्रणोदन, कंप्यूटर और सेंसर सिस्टम के एकीकरण का भी परीक्षण कर रही हैं। चंद्रयान के साथ ही इसरो का क्रू गगनयान (Crew Gaganyaan) मिशन भी आगे बढ़ रहा है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Limited), एक राज्य के स्वामित्व वाली एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी, ने 4 अप्रैल के दिन इसरो को गगनयान हार्डवेयर का पहला सेट दिया था। गगनयान के लिए भी सभी प्रणालियों और उप-प्रणालियों के डिज़ाइन का काम पूरा हो चुका है। आने वाले वर्षों में चंद्रमा सौरमंडल में सबसे लोकप्रिय स्थलों में से एक होगा। नासा का 93 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आर्टेमिस कार्यक्रम (Artemis Program) भी इस साल अपने पहले लॉन्च के साथ लाइमलाइट में बना हुआ है, क्योंकि यह चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की दिशा में पहला कदम है। दक्षिण कोरिया का कोरियाई पाथफाइंडर लूनर ऑर्बिटर (KPLO), "कोरिया की अंतरिक्ष अन्वेषण क्षमता को सुरक्षित और सत्यापित करने और चंद्रमा के नए वैज्ञानिक माप प्राप्त करने के लिए पहला कदम माना जा रहा है। इनके अलावा चार अन्य राष्ट्र भी 2022 में चंद्रमा तक पहुंचने का लक्ष्य बना रहे हैं।
जापान का स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेशन द मून (SLIM) Smart Lander for Investigation of the Moon) के भी इस साल के बाद लॉन्च होने की संभावना है। भारत का चंद्रयान -3, वर्तमान में आधिकारिक तौर पर एक अगस्त लॉन्च के लिए स्लेट किया गया है, जिसमें देरी हो सकती है।
संयुक्त अरब अमीरात भी राशिद नामक रोवर के साथ अपने चंद्र मिशन की पहली शुरुआत कर रहा है। दुनिया की अन्य कंपनियां भी नासा कार्यक्रम के हिस्से के रूप में चंद्रमा पर जा रही हैं, जो अन्य दुनिया के लिए वाणिज्यिक यात्राओं की शुरुआत को भी चिह्नित करती है। चन्द्रमा पर पहुंचने के संदर्भ में चीन के चांग'ई -4 और चांग'ए -5 (Chang'e-4 and Chang'e-5) मिशन बहुत अधिक सफल रहे थे, जिन्होंने 2019 से लैंडर और रोवर के साथ सतह से डेटा एकत्र किया, और 2020 में चंद्र रेजोलिथ (lunar regolith), या मिट्टी के नमूने, भी पृथ्वी पर भेजे हैं।चादं की यात्रा में रूचि रखने वाले लोगों के लिए एक बड़ी खुशखबरी यह भी है कि, आज यानी 20 जुलाई, 2022 से 20 जुलाई को प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय चंद्रमा दिवस (international moon day) के रूप में मनाने की घोषणा की गई है।
दरसल 20 जुलाई 1969 के दिन ही नील आर्मस्ट्रांग (Neil Armstrong) ने चंद्रमा पर अपना पहला कदम रखा था। और 53 साल बाद दुनिया का पहला अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस 20 जुलाई, 2022 को मनाया जा रहा है। यह दिन शानदार चंद्रमा में उतरने की यादों को पुनर्जीवित करेगा, और इंसानों को स्थायी चंद्रमा अन्वेषण तथा चंद्रमा के उपयोग जैसे विषयों के बारे में अधिक जानने के लिए प्रेरित भी करेगा। मून विलेज एसोसिएशन (Moon Village Association) और उसके संगठन के एक समूह ने पहली बार अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा। इस दिन को मनाने का उद्देश्य आम जनता, विशेष रूप से हमारी युवा पीढ़ी तक पहुंचना और उन्हें ज्योतिष तथा खगोल विज्ञान के बारे में सिखाना एवं जागरूक करना भी है।

संदर्भ
https://bit.ly/3AZkIt1
https://bit.ly/3PrRwim
https://go.nature.com/3IQaVaK
https://bit.ly/3o9FNcA

चित्र संदर्भ
1. कृत्रिम उपग्रह को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. विक्रम लैंडर (चंद्रयान 2) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड पर जीएसएलवी एमके III पर चंद्रयान 2 मॉड्यूलको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. चाँद और , चंद्रयान 2 को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. नासा के मून मिशन की तैयारियों, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)