प्रागैतिहासिक चित्रकारी और लखनऊ

दृष्टि III - कला/सौंदर्य
05-04-2017 12:00 AM
प्रागैतिहासिक चित्रकारी और लखनऊ
चित्रकारी इतिहास जानने का एक अहम् एवं सुगम जरिया है। इससे हमें एक समयकाल के बारे मे जानकारी तो प्राप्त होती है। साथ ही साथ उस समयकाल मे प्रचलित चित्रकारी एवं उसमे प्रयुक्त रंग, कूंचों के प्रकार व चित्रकारी के प्रद्योगिकी पर भी प्रकाश पड़ता है। संपूर्ण भारत मे कई प्रकार कि चित्रकारियां पाई जाती हैं जो कि पाषाण काल से लेकर के वर्तमान तक हैं। भीमबेटका कि गुहा चित्रकारी, अजंता के फ्रेस्को भित्ति चित्र तथा बाघ के भित्ति चित्र, राजस्थानी लघु चित्रकारी तथा पहाड़ी शैली, तन्जौर कि चित्रकारी तथा मुग़ल कला आदि इनमे प्रमुख हैं। चित्रकारी से व्यक्ति के जीवनकाल से जुड़े तथ्यों के बारे मे भी एक उत्तर प्रस्तुत करता है। लखनऊ मे उत्तर मुग़ल कालीन चित्रकारी तथा अंग्रेजी चित्रकारी का मिश्रण मिलता है। यहाँ के प्रमुख चित्रकलाओं और यहाँ कि चित्रकारियों मे नवाबों व अन्य कुलीन वर्ग के जीवन तथा उससे जुडी मुख्य कहानियों व उनके जीवन का अंकन प्रमुखता के साथ अंकित किया गया है। 1. मार्ग, लखनऊ- देन एंड नाउ, संस्करण ५५-१, २००३