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संपूर्ण विश्व में चावल एक मुख्य और आवश्यक खाद्य फसल है। एक उष्णकटिबंधीय पौधा होने के कारण, यह नम और गर्म वातावरण में तेजी से बढ़ता है और यहीं गुण चावल को किसानों की पसंदीदा फसलों में से एक बना देता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत अकेले पूरी दुनिया के 24% चावल का उत्पादन करता है। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर, उत्तर प्रदेश राज्य चावल उत्पादन में दूसरा सबसे बड़ा राज्य बन गया है। 
चावल वैश्विक स्तर पर आधी से अधिक आबादी के लिए एक मुख्य भोजन है। यह एशिया (Asia), लैटिन अमेरिका (Latin America), अफ्रीका (Africa) और कैरेबियन (Caribbean) में लोगों के लिए विशेष रूप से भोजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
 संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन कॉर्पोरेट सांख्यिकीय डाटाबेस (The Food and Agriculture Organisation Corporate Statistical Database (FAOSTAT) और संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2019 में, चीन, भारत, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, थाईलैंड, पाकिस्तान, वियतनाम, म्यांमार, फिलीपींस और ब्राजील, दुनिया के 10 सबसे बड़े चावल उत्पादक देश थे। इन देशों ने मिलकर 756 मिलियन टन चावल का उत्पादन किया, जिससे यह गन्ना और मकई के बाद तीसरी सबसे अधिक उत्पादित कृषि फसल बन गई। 
शीर्ष दो चावल उत्पादक देश, चीन और भारत, 389 मिलियन टन के साथ वैश्विक उत्पादन के आधे से अधिक चावल का उत्पादन करते हैं। इसके अलावा अन्य शीर्ष उत्पादक, इंडोनेशिया और बांग्लादेश, प्रत्येक ने लगभग 54.6 मिलियन टन का उत्पादन किया। दसवें स्थान पर ब्राजील को छोड़कर लगभग सभी शीर्ष उत्पादक एशिया में ही स्थित हैं। चूंकि, 84% चावल सिर्फ 10 देशों में उगाया जा रहा है, इसलिए कई अन्य देशों को अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। हालाँकि, अनुमान बताते हैं कि खराब बुनियादी ढांचे और अन्य समस्याओं के कारण 8% से 26% चावल नष्ट हो जाता है।
2019 में, भारत, थाईलैंड, पाकिस्तान और वियतनाम चावल के प्रमुख निर्यातक रहे, जिन्होंने कुल मिलाकर लगभग 16 बिलियन डॉलर मूल्य के चावल का निर्यात किया। वहीँ इसके विपरीत अन्य देश जैसे ईरान, चीन, सऊदी अरब और फिलीपींस भी चावल की अपनी मांग को पूरा करने के लिए आयात पर ही निर्भर हैं, क्योंकि वे उत्पादन से अधिक खपत करते हैं। भारत दुनिया में चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राष्ट्र होने के साथ-साथ विश्व स्तर पर चावल का सबसे बड़ा निर्यातक भी है। पिछले कुछ दशकों में, भारत में चावल के उत्पादन में बढ़ोतरी देखी गई है। भारत का चावल उत्पादन 1980 में 53.6 मिलियन टन से बढ़कर 2021 में 120 मिलियन टन हो गया है। चावल भारत में भी एक प्रमुख अनाज है और देश के एक बड़े क्षेत्र में उगाया जाता है। यह विशेष रूप से देश के गर्म और आर्द्र जलवायु के लिए उपयुक्त माना जाता है, जिसमें 25 °C या उससे अधिक तापमान और कम से कम 100 सेमी की वर्षा को प्राथमिकता दी जाती है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में ‘वर्षा आधारित और सिंचाई द्वारा’ दोनों तरीकों से चावल उगाया जाता है। चावल की कटाई के लिए अभी भी पारंपरिक तरीकों का उपयोग किया जाता है, जिसमें खेतों की जुताई, उर्वरक लगाना, बीजों को हाथ से रोपना और उचित सिंचाई प्रदान करना शामिल है।
 चावल विभिन्न प्रकार की मिट्टी पर उगाया जा सकता है , जिसमें गाद, दोमट और बजरी आदि शामिल हैं। भारत में चावल की खेती के लिए कई उपयुक्त क्षेत्र हैं, जिनमें पश्चिमी और पूर्वी तटीय पट्टी, प्राथमिक डेल्टा, असम के मैदान और आसपास की निचली पहाड़ियाँ, हिमालय के साथ-साथ ‘तलहटी और तराई क्षेत्र’ और पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तरी आंध्र प्रदेश जैसे पूर्वी राज्य शामिल हैं। 
 चावल पश्चिम बंगाल, असम और उड़ीसा जैसे राज्यों की मुख्य फसल है, जहां हर साल चावल की दो फसलें उगाई जाती हैं। इसके अलावा यह भारत के तटीय और पूर्वी क्षेत्रों में भी एक प्रमुख फसल है। भारत में पश्चिम बंगाल में चावल का सर्वाधिक उत्पादन होता है। इसकी करीब आधी कृषि योग्य भूमि पर चावल की खेती की जाती है । 2020 में, पश्चिम बंगाल में चावल का उत्पादन 15.57 मिलियन टन था। यह चावल का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है, जिसकी उपज प्रति हेक्टेयर 2600 किलोग्राम है। भारत में धान के सबसे बड़े उत्पादक की इस सूची में उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर आता है। 2020 में, उत्तर प्रदेश द्वारा 15.52 मिलियन टन चावल का उत्पादन किया गया था। हालांकि, उसके बाद, उत्तर प्रदेश में चावल की वृद्धि काफी कम हो गई। उत्तर प्रदेश के 70 जिलों में पंथ-4, जया, महसूरी, कस्तूरी बासमती चावल और पूसा बासमती चावल आदि विभिन्न प्रकार के चावल उगाए जाते हैं ।
 इन जिलों को उनकी उत्पादकता के आधार पर पाँच समूहों (उच्च, मध्यम, मध्यम-निम्न, निम्न और बहुत निम्न) में विभाजित किया गया है। उच्च उत्पादकता समूह, जिसमें सात जिले शामिल हैं, जो प्रति हेक्टेयर 2,500 किलोग्राम से अधिक की उपज देते है,राज्य में कुल चावल उगाने वाले क्षेत्र का 10.4% क्षेत्र है, जिसमें त्रैवार्षिक औसत क्षेत्र 5.91 लाख हेक्टेयर है। त्रैवार्षिक औसत उत्पादन 15.56 लाख टन है, जो राज्य में त्रैवार्षिक औसत उत्पादन (116.20 लाख टन) का 13.4% है। उच्च उत्पादकता समूहके बिजनौर जिले में सबसे अधिक चावल (2792 किग्रा/ हेक्टेयर) का उत्पादन किया जाता है।  मध्यम उत्पादकता समूह, जिसमें 29 जिले शामिल हैं, वहाँ प्रति हेक्टेयर 2,000 और 2,500 किलोग्राम के बीच चावल का उत्पादन होता है, और यह समूह राज्य के कुल चावल का 45.1% उत्पादन करता है। मध्यम-निम्न उत्पादकता समूह, जिसमें 26 जिले शामिल हैं, वह प्रति हेक्टेयर 1,500 और 2,000 किलोग्राम के बीच उत्पादन करते है, जहां राज्य के कुल चावल का 39.4% उत्पादन किया जाता है। कम उत्पादकता समूह, जिसमें पांच जिले शामिल हैं और प्रति हेक्टेयर 1,000 और 1,500 किलोग्राम के बीच उत्पादन होता है, जहाँ राज्य के कुल चावल का 2% उत्पादन किया जाता है।
 राज्य में चावल उगाए जाने वाले कुल क्षेत्रफल का 52% उच्च और मध्यम उत्पादकता समूहों में है, जो राज्य के कुल चावल का लगभग 59% उत्पादन करते हैं। राज्य में अधिकांश चावल सिंचित क्षेत्रों में और उच्च उपज वाली किस्मों का उपयोग करके उगाया जाता है। राज्य में चावल की औसत उत्पादकता 2,042 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, जो राष्ट्रीय औसत 1,947 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से भी अधिक है।
 
 
संदर्भ  
https://bit.ly/3BTavOf 
https://bit.ly/3GepFAh 
https://bit.ly/3VlrSyl 
https://bit.ly/3GgewPw 
 
चित्र संदर्भ  
1. धान के साथ खड़े किसान को दर्शाता एक चित्रण (flickr) 
2. भारत में राज्यों के अनुसार चावल के उत्पादन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia) 
4. धान के खेत को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia) 
5. धान की कच्ची बालियों को दर्शाता एक चित्रण (flickr) 
6. राज्यों द्वारा चावल का उत्पादन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. खाद बनाते किसान को दर्शाता एक चित्रण (flickr)