लखनऊ में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं द्वारा कमजोर या सरल पासवर्ड बना साइबर हमलों का प्रमुख कारण

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लखनऊ में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं द्वारा कमजोर या सरल पासवर्ड बना साइबर हमलों का प्रमुख कारण

लखनऊ में 2019 में साइबर अपराध की कुल 1313 घटनाएं हुईं, यह भारत के 750 से ज्यादा जिलों में साइबर अपराधों के मामलों में 5वीं श्रेणी पर आता है, साथ ही यह उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में साइबर अपराध में दूसरे स्थान पर है। वर्ष 2019 में उत्तर प्रदेश में कुल साइबर अपराध 11,416 थे, जिनमें से 11.5% लखनऊ में हुए। उत्तर प्रदेश के हर जिले में 2019 में साइबर अपराध की औसतन 150 घटनाएं हुई थी जो एनसीआरबी (National Crime Record Bureau) के आंकड़ों के अनुसार 2021 में घटकर 111 हो गई। 2021 में लखनऊ में साइबर अपराध की घटनाएं घट कर 1067 रह गई, , जिससे यह भारत में साइबर अपराध की श्रेणी में 5 से गिरकर 8वें स्थान पर आ गया, लेकिन उत्तर प्रदेश में यह दूसरे स्थान पर बना रहा। एक तरफ, बहु-कारक प्रमाणीकरण और चेहरे की पहचान, फिंगरप्रिंट स्कैन और ओटीपी जैसी तकनीकों ने हमारे साइबर जगत को मजबूत किया है, लेकिन दूसरी तरफ, ऑनलाइन अपराधों की घटनाओं में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की जा रही है और साइबर ठग रोज़ाना लोगों से ठगी करने में कामयाब हो रहे हैं। दुर्भाग्य से उत्तर प्रदेश में, जहां साइबर ठगों का बोलबाला है, तथ्यों में विरोधाभास देखा गया है । एनसीआरबी के नवीनतम आंकड़ों से यह भी पता चला है कि उत्तर प्रदेश, देश में हो रहे साइबर क्राइम के मामलों में तेलंगाना के बाद दूसरे स्थान पर है। पीड़ितों और कानून प्रवर्तन के बीच जागरूकता के निम्न स्तर के कारण साइबर अपराध के मामलों की रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई है। इंटरनेट उपयोगकर्ताओं द्वारा कमजोर और सरल पासवर्ड का उपयोग हमलों की बढ़ती संख्या का एक प्रमुख कारण है। हाल ही में अलीगंज थाना क्षेत्र में एक सेवानिवृत्त अपर जिलाधिकारी से 1.4 लाख रुपये की ठगी एक ऐसे ऑनलाइन लेन-देन में की गई, जो उन्होंने कभी नहीं किया। अलीगंज के सेक्टर जे के 90 वर्षीय सेवानिवृत्त अधिकारी, जगदीश चंद कुकरेती को 10 जनवरी को बैंक खाते से पैसे की कटौती (95,000 रुपये, 20,000 रुपये, 12,500 रुपये और 12,500 रुपये) के चार संदेश मिले। साइबर क्राइम सेल ने अपराधियों को पकड़ा और पीड़ित को सफलतापूर्वक राशि वापस कर दी गई। लेकिन ज्यादातर मामलो में पीड़ित इतने भाग्यशाली नहीं होते हैं। पूरे उत्तर प्रदेश में लगभग 27000 प्राथमिकी दर्ज की गई थीं, जबकि वास्तव में साइबर अपराध की संख्या 3 लाख से अधिक थी। एनसीआरबी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में केवल दर्ज एफआईआर की रिपोर्ट करता है ताकि डेटा वास्तव में जमीनी हकीकत को प्रदशि॔त न कर सके। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के एक अध्ययन के अनुसार, 2020 की तुलना में 2021 में साइबर अपराध पंजीकरण में 5.9% की वृद्धि हुई थी। चूंकि कई साइबर अपराध रिपोर्ट नहीं किए जाते हैं, विशेषज्ञों का मानना है कि ये आंकड़े इन अपराधों की कुल संख्या के एक छोटे से हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके अनुसार, इन रिपोर्टों में केवल 10% से 20% साइबर अपराध परिलक्षित होते हैं। लेकिन साइबर अपराध से पीड़ित लोग, इन मामलों की रिपोर्ट क्यों नहीं करते हैं? हम देखते हैं कि ज्यादातर रिपोर्ट किए गए मामलों में, लोग बड़ी वित्तीय राशि खोने की शिकायत कर रहे हैं, परंतु कम राशि के लिए लोग शिकायत दर्ज करने से कतराते हैं या शिकायत दर्ज करने को ही एक परेशानी के रूप में देखने लगते हैं! इनमे से कई लोग अभी भी साइबर अपराध के प्रकार या संबंधित मामलों की रिपोर्ट करने की प्रक्रिया के बारे में नहीं जानते हैं। तो आइए विस्तार से देखें कि साइबर धोखाधड़ी क्या है और इसकी शिकायत कैसे दर्ज करें? भारत सरकार ने एक विशेष ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया है जो साइबर अपराध से संबंधित रिपोर्टों को संबोधित करता है। साइबर धोखाधड़ी सहित साइबर अपराध के बारे में कोई भी शिकायत दर्ज कराने के लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (हेल्पलाइन नंबर -1930) पर संपर्क किया जा सकता है। आप अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए नजदीकी पुलिस स्टेशन से भी संपर्क कर सकते हैं। आप अपनी शिकायत Cybercrime.gov.in के जरिए ऑनलाइन भी दर्ज करा सकते हैं।