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                                            आधुनिक भारत में चीन और पश्चिमी देशों के व्यंजनों की माँग तथा खपत दिन-प्रतिदिन बहुत ही तेज़ी के साथ बढ़ रही है। अक्सर हम केवल अपनी जीभ के स्वाद की परवाह कर रहे हैं और यह नहीं देख पा रहे हैं कि, यह भोजन कितना ताज़ा है, कितनी दूर तक का सफर तय कर हमारी प्लेट में पहुंचा है, कितनी सफाई के साथ बनाया गया है और क्या यह स्थानीय मौसम के अनुकूल भी है ? क्या यह भोजन हमारे स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव छोड़ रहा है? इस प्रकार यह दावे के साथ कहा जा सकता है कि, आहार संस्कृति के संदर्भ में हमारे अवध के लोग, न केवल हानिकारक खाद्य पदार्थों से दूर रहते थे, साथ ही वह ऐसे व्यंजनों का भली भाँति ज्ञान रखते थे जो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ औषधीय गुणों से भी परिपूर्ण थे।
"मुखवास" नामक एक पुस्तक में भारत की ऐतिहासिक खाद्य परंपराओं की गहन पड़ताल की गई है।
 इस पुस्तक में विशेष रूप से अवध की खाद्य संस्कृति पर ध्यान केंद्रित किया गया है। पुस्तक के अनुसार, अवध क्षेत्र में हकीमों (पारंपरिक चिकित्सकों) ने पारंपरिक रूप से कुशल रसोइये और चिकित्सक दोनों की भूमिका निभाई थी। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि, हमारे अवध में खाना पकाने में शामिल पुरुषों और महिलाओं, दोनों को भोजन में उपयोग की जाने वाली विभिन्न जड़ी-बूटियों और मसालों के औषधीय गुणों तथा मानव शरीर पर पड़ने वाले उनके प्रभावों का गहरा ज्ञान होता था। अवध में रसोइयों को रसोई में रचनात्मक और प्रयोगात्मक होने के लिए प्रेरित किया जाता था, जहां नए व्यंजन बनाने की पूरी स्वतंत्रता थी।
18वीं और 19वीं सदी के दौरान, एक नवाब (अवध के एक शासक) के रसोइये के रूप में नियुक्त किया जाना, बड़े गर्व की बात हुआ करती थी। आज भी अवध के व्यंजन अपने शानदार रूप और स्वाद के लिए जाने जाते हैं। औपचारिक भोजन, जिसे दस्तरखान के नाम से जाना जाता है, वह भी अवध में ही उत्पन्न हुआ। अवध की राजधानी रहे, लखनऊ में विस्तृत महक, स्वाद और रंग के साथ भोजन के कई विविध रूप उपलब्ध हैं। इन व्यंजनों में केसर, इलायची, जावित्री और जायफल के स्वाद के साथ गुलाब, खस, चंदन और कस्तूरी मेथी की सुगंध का भी भरपूर प्रयोग किया जाता है। लखनऊ के मुख्य व्यंजनों में कलिया, कोरमा, भरवां परांठे, निहारी , कुलचा, शीरमाल, रुमाली रोटी और जर्दा पुलाव आदि शामिल हैं। इसके अलावा शाही टुकड़ा, जर्दा, खीर माली की गिलोरी और निमिष यहां की समृद्ध और अनूठी मिठाइयों में शुमार हैं।
लखनऊ के अभिजात वर्ग ने, भोजन को अपने धन, वैभव और वर्ग को प्रदर्शित करने के लिए एक साधन के रूप में इस्तेमाल किया। यहां तक कि पुलाव की एक थाली भी गहनों के अलंकरण के बिना नहीं परोसी जाती थी। चावल को मोती जैसा दिखाने के लिए उन्हें नमक के पानी में भिगोया जाता था, और पुलाव के कुछ हिस्सों को माणिक और पन्ना जैसा दिखाने के लिए लाल या हरे रंग से रंगा जाता था।
इस पुस्तक में वर्णन है कि, अवध के अंतिम नवाब, वाजिद अली शाह ने अंग्रेजों द्वारा कलकत्ता से निर्वासित किए जाने के बाद भी अपनी भव्य आतिथ्य परंपराओं को जारी रखा। एक बार, उन्होंने एक राजकुमार को भोजन के लिए आमंत्रित किया और उसे मटन से बनी मिठाई खिलाई। नवाबों के दरबार के पतन के बाद, अवध में बड़े जमींदार, नए अभिजात वर्ग में शामिल हो गए और मेहमानों को अनोखे स्वाद देने के लिए एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करने लगे।
पुस्तक इस बात पर जोर देती है कि, अवध में भोजन, केवल खाने से जुड़ा नहीं था, बल्कि यह लोगों को एक साथ लाने, शिष्टाचार, सम्मान, कलात्मकता और संतुष्टि का प्रदर्शन करने का एक साधन था, और आज भी है। 
हालांकि भोजन के औषधीय गुणों को अवध के नवाबों के अलावा, 206 ईसा पूर्व से 220 ईस्वी के आसपास चीन के प्रारंभिक हान राजवंश काल के दौरान भी अच्छी तरह से पहचाना गया था। हुआंगड़ी नेजिंग (Huangdi Neijin) नामक, एक प्राचीन चीनी चिकित्सा पाठ, चीनी खाद्य चिकित्सा के मूल विचार पर ही केंद्रित हैं। इस पुस्तक में बताया गया है कि, विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों और पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुरूप हमें कौन सा व्यंजन ख़ाना चाहिए।
चीनी औषधीय व्यंजनों के सामान्य सिद्धांतों की सूची निम्नवत् दी गई हैं:
1. संतुलन: इस सिद्धांत का मूल उद्देश्य शरीर में "क्यूई" (जीवन शक्ति) और शरीर के तरल पदार्थ को संतुलित करना है। माना जाता है कि जब ये तत्व संतुलन से बाहर हो जाते हैं, तो बीमारियां उत्पन्न होने लगती हैं! इसलिए खाद्य पदार्थों के चुनाव का मुख्य उद्देश्य संतुलन को बहाल करना है।
2. औषधीय जड़ी-बूटियाँ जोड़ना: इस सिद्धांत के अनुसार, विशिष्ट रोगों के इलाज के लिए जड़ी-बूटियों या जानवरों के अंगों को आहार में शामिल किया जा सकता है। 
3. ताप और स्वाद का उपयोग करना: इस सिद्धांत के अनुसार, खाद्य पदार्थों को उनके तापमान और स्वाद (खट्टा, मीठा, कड़वा, तीखा और नमकीन) के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। प्रत्येक भोजन के तापमान और स्वाद का शरीर पर विशिष्ट प्रभाव पड़ता है, और यह माना जाता है कि स्वस्थ शरीर को बनाए रखने के लिए प्रत्येक भोजन में सभी स्वादों को शामिल करना और "गर्मी" को संतुलित करना ज़रूरी होता है।
4.भोजन के दौरान: भोजन को तैयार किए जाने और खाये जाने की प्रक्रिया भी मायने रखती है। चीन के पारंपरिक रीति-रिवाजों में धीरे-धीरे खाना, अत्यधिक प्रसंस्कृत भोजन से परहेज करना, मौसम के अनुसार खाना, भोजन को अच्छी तरह से चबाना, भोजन के स्वाद पर ध्यान देना और भोजन न छोड़ना शामिल है।
चीनी औषधीय व्यंजनों में, मौसमी सामग्री के उपयोग पर जोर दिया जाता हैं। उदाहरण के लिए, सर्दियों में ठंड के मौसम में चिकन जैसे उच्च ऊर्जावान खाद्य पदार्थों की सिफारिश की जाती है, जबकि गर्मियों में खीरे और टमाटर जैसे खाद्य पदार्थों से शरीर को ठंडा करने का सुझाव दिया जाता है।
चीनी औषधीय व्यंजनों के कुछ मौसमी व्यंजनों की सूची निम्नवत् दी गई हैं:
1.सर्दी: चिकन और अदरक का सूप
2.वसंत: शतावरी और सिरका
3.गर्मी: टमाटर और ककड़ी का सलाद
4.शरद ऋतु: बटरनट स्क्वैश (कद्दू) सूप
आपको जानकर अच्छा लगेगा कि आधुनिक दुनियाँ में भी भोजन के औषधीय गुणों को स्वीकार किया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर वीटा बाउल (Vitabowl) नामक एक भारतीय भोजन वितरण व्यवसाय, बीमार लोगों के लिए चिकित्सकीय भोजन तैयार करने पर केंद्रित है। इस कंपनी की स्थापना, पीड़ित रोगियों को पौष्टिक भोजन प्रदान करने के लक्ष्य के साथ की गई थी। इनकी शुरुआती टीम में एक पोषण विशेषज्ञ और एक मिशेलिन-स्टार शेफ (Michelin-Star Chef) सहित चार सह-संस्थापक शामिल थे।
ये कंपनी विभिन्न प्रकार के आहार विकल्प प्रदान करती है, जिनमें कम कार्ब (Low  Carbohydrates), पेसिटेरियन (Pescatarian) या मछली आधारित भोजन, शाकाहारी बर्गर और जूस (Veg Burgers & Juices) शामिल हैं। संस्थापकों का मानना है कि चिकित्सकीय गुणों वाले भोजन के लिए स्वास्थ्य सेवा बाजार में एक महत्वपूर्ण अवसर है। उनका उद्देश्य स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के साथ मिलकर प्रतिपूर्ति योग्य भोजन और कार्यक्रमों की पेशकश करना है। वे जमे हुए भोजन (Frozen Foods) सहित नए उत्पादों को बाज़ार में लाने की योजना बना रहे हैं। 
 
 
संदर्भ: 
https://shorturl.at/drxY0 
https://shorturl.at/DGV16 
https://shorturl.at/fMNO3 
 चित्र संदर्भ 
1. अवध के व्यंजन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia) 
2. अवध क्षेत्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia) 
3. अवधी गोभी को दर्शाता चित्रण (wikimedia) 
4. अवध नाश्ते में सब्जी पराठे को दर्शाता चित्रण (wikimedia) 
5. हुआंगड़ी नेजिंग के एक पृष्ठ को दर्शाता चित्रण (Look and Learn)