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                                             31 मई अर्थात आज का दिन विश्वभर में ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ (World No Tobacco Day) के रूप में मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation -WHO)  के सदस्य राष्ट्रों द्वारा इस दिन को वर्ष 1987 में ‘तंबाकू की लत जैसी महामारी’ और इसके कारण होने वाली मृत्यु और बीमारियों की विश्वभर में जागरुकतालाने के लिए निश्चित किया गया था। 2023 में ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ का विषय ‘अन्न उत्पन्न करो, तंबाकू नहीं’ निश्चित किया गया है। इस अभियान का उद्देश्य है कि तंबाकू की फसल के लिए सरकार द्वारा दी जा रही आर्थिक सहायता(subsidies) सरकारी रूप से समाप्त हो, तथा इससे होने वाली बचत का उपयोग किसानों की खाद्य सुरक्षा और पोषण में सुधार करने वाली टिकाऊ फसलों के लिए हो । 
‘वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण’ (Global Adult Tobacco Survey-GATS) वयस्कों में धूम्रपान और धुआं-रहित उत्पादों के माध्यम से तंबाकू के उपयोग की व्यवस्थित निगरानी और प्रमुख तंबाकू नियंत्रण संकेतकों पर नज़र रखने वाला एक वैश्विक मानक है। जीएटीएस (GATS) भारत के सभी  राज्यों सहित दो केंद्र शासित प्रदेशों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों पर किया जाने वाला एक सर्वेक्षण है। जीएटीएस सर्वेक्षण का पहला दौर जून 2009 से जनवरी 2010 के बीच आयोजित किया गया था। जबकि इसका दूसरा दौर अगस्त 2016 से फरवरी 2017 के बीच मुंबई के ‘टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज’ (Tata Institute of Social Sciences-TISS) द्वारा केंद्र सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के लिए आयोजित किया गया था। हमारे राज्य उत्तर प्रदेश में भी जीएटीएस द्वारा अगस्त–सितंबर 2016 के दौरान कुल 1685 पुरुषों और 1779 महिलाओं का साक्षात्कार लिया गया था।  
जीएटीएस के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में जहां एक तरफ पूरे देश में तंबाकू की खपत में कमी आई है, वहीं दूसरी तरफ हमारे राज्य उत्तर प्रदेश में तंबाकू की खपत बढ़ी है। सर्वेक्षण के नतीजों से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में 5.3 करोड़ वयस्क लोग किसी न किसी रूप में तंबाकू का उपयोग और सेवन करते हैं।
उत्तर प्रदेश में वर्तमान में औसतन 23.1% पुरुष और 3.2% महिलाओं सहित 13.5% सभी वयस्क धूम्रपान के रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं। जबकि औसतन 42.6% पुरुष, 15.2% महिलाएं और 29.4% सभी वयस्क वर्तमान में धूम्रपान रहित तंबाकू का उपयोग करते हैं। 52.1% पुरुष, 17.7% महिलाएं और 35.5%, सभी वयस्क या तो धूम्रपान या धुआंरहित तंबाकू का उपयोग करते हैं।  
हालांकि GATS 1 से लेकर GATS 2 तक, धूम्रपान के प्रसार में 1.4% अंकों की कमी आई है, किंतु , यह कमी महत्वपूर्ण नहीं है, क्योंकि धुआंरहित तंबाकू के उपयोग की व्यापकता में 4.1% अंकों की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। किसी भी तंबाकू उत्पाद के उपयोग का प्रसार GATS-1 में 33.9% से बढ़कर GATS-2 में 35.5% हो गया है,  जो चिंता का कारण है।15-17 आयु वर्ग के व्यक्तियों या किशोरों में तंबाकू के उपयोग और सेवन का प्रसार 8.0% से घटकर 2.8% हो गया है। इसी प्रकार तंबाकू के उपयोग की शुरुआत की औसत आयु, जो 18 वर्ष थी, बढ़कर 18.7 वर्ष हो गई है।
इन भयावह आंकड़ों को देखकर हमारी सरकार ने वर्ष 2016 में ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ अर्थात 31 मई को राष्ट्रीय स्तर पर ‘तंबाकू उपयोग समाप्ति’ के लक्ष्य के साथ एक हेल्पलाइन (Helpline) शुरू की थी। इस क्विट लाइन (QuitLine) नामक हेल्पलाइन की मदद लेने वाले 3,000 से अधिक लोगों के आंकड़ों के पांच महीने के विश्लेषण के अनुसार यह सामने आया था कि इनमे से लगभग 40% लोगों ने, तीन से पांच सप्ताह के लिए धूम्रपान या तंबाकू चबाना छोड़ दिया था।
 इस हेल्पलाइन की सफलता दर उतनी ही अच्छी है जितनी सफलता आमने-सामने बैठकर किसी डॉक्टर से प्राप्त परामर्श के माध्यम से हासिल होती है। साथ ही, इस कार्यक्रम का लाभ यह हैकिइसमें भौतिक यात्रा शामिल नहीं है, जिसके कारण इसकी पहुंच अधिक लोगों तक फैलीहै। इस क्विटलाइन हेल्पलाइन का नंबर 1800-11-2356 है। इस हेल्पलाइन में छह सलाहकार सुबह 8 बजे से रात 8 बजे के बीच हिंदी और अंग्रेजी भाषा में परामर्श देते हैं। इस कार्यक्रम में इससे अधिक भाषाओं को शामिल करने, और इसे 24×7 हेल्पलाइन बनाने का प्रयत्न किया जा रहा है । 31 मई से 31 अक्टूबर के बीच इस हेल्पलाइन पर 3,043 लोगों ने ‘तंबाकू समाप्ति कार्यक्रम’ के लिए पंजीकरण कराया। हेल्पलाइन के आंकड़ों के अनुसार, इस हेल्पलाइन पर सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया हमारे राज्य उत्तर प्रदेश से आईं है, हालांकि देश के सभी राज्यों से कुछ ही प्रतिक्रियाएं आईं थी। अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करने वाले अधिकांश लोगों को समाचार पत्रों, पत्रिकाओं और पर्चों के लेखों और विज्ञापनों से इस हेल्पलाइन के बारे में पता चला।  
इस हेल्पलाइन के साथ ही तंबाकू उत्पादों के उपयोग को कम करने के लिए, हमारी सरकार का लक्ष्य एकल सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध लगाना है। तंबाकू के उपयोग और सेवन को कम करने के लिए, संसद की स्थायी समिति ने कथित तौर पर एकल सिगरेट बेचने के खिलाफ सलाह दी है। केंद्र सरकार ने चार साल पहले स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाह पर ई-सिगरेट (e-cigarettes) की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। भारत में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पहले से ही प्रतिबंधित है। इस कानून का उल्लंघन करने पर 200 रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। सरकार ने तंबाकू उत्पादों के विज्ञापनों पर भी रोक लगा दी है। 
हालांकि ‘विश्व स्वास्थय संगठन’(WHO) की सिफारिशों के अनुसार भारत सरकार को तंबाकू उत्पादों पर 75% जीएसटी (GST) लागू करना चाहिए। हालिया टैक्स स्लैब (Tax Slab) के अनुसार, देश में बीड़ी पर 22% जीएसटी, सिगरेट पर 53% जीएसटी और धुआं रहित तंबाकू पर 64% जीएसटी लगाया गया है। तंबाकू के सेवन से कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में सरकार को और भी अधिक ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
  
  
संदर्भ   
https://rb.gy/xr942  
https://rb.gy/paa1e  
https://bit.ly/42cmYH6  
https://bit.ly/3N1uBMv  
https://bit.ly/43aI2zj  
https://bit.ly/3oDt6L6  
  
 चित्र संदर्भ  
1. धुम्रपान प्रतिबन्ध को संदर्भित करता एक चित्रण (Pixabay)  
2. तम्बाकू विक्रेताओं को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)  
3. तम्बाकू धूम्रपान के प्रतिकूल प्रभावों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)  
4. बीड़ी पीते बुजुर्ग को दर्शाता चित्रण (wikimedia)  
5. तम्बाकू से इंकार को दर्शाता चित्रण (PickPik)