चंद्रयान-3 ने चांद पर पानी की पुष्टि की, तो होगी नए कल की शुरुआत

खनिज
24-08-2023 10:50 AM
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 चंद्रयान-3 ने चांद पर पानी की पुष्टि की, तो होगी नए कल की शुरुआत

चंद्रयान-3 की शोभायमान सफलता के साथ ही, भारत में बहुत बड़े बदलाव की शुरुआत हो चुकी है। यह सफलता न केवल दुनिया में भारत के प्रति दृष्टिकोण को बदल कर रख देगी, बल्कि भारत को चाँद पर मूल्यवान खनिजों और पानी की खोज का दावा करने की गौरव भी प्रदान करेगी। यकीन मानिये, अगर चंद्रयान-3 से निकले विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर (Vikram Lander and Pragyan Rover) ने चाँद पर पानी की पुष्टि कर दी तो फिर दुनिया में बहुत कुछ बदल जायेगा। आप में से कितने लोग रात्रि के आकाश में चंद्रमा को देखना पसंद करते हैं? शायद हम सभी! हमारे ग्रह पृथ्वी के इस सुंदर उपग्रह को देखकर, हर कोई आनंदित होता है। पहले माना जाता था कि, चंद्रमा सूखा है। लेकिन, पिछले कुछ दशकों में, हमें कई सफल अंतरिक्ष चंद्र मिशनों (Lunar Mission) से पता चला है कि, चंद्रमा की सतह पर पानी मौजूद है और यह शायद चंद्रमा पर पाए जाने वाले खनिजों में अंतर्निहित है। अनुमान है कि, 3.5 से 4 अरब वर्षों पहले, चंद्रमा की सतह पर पर्याप्त वातावरण और तरल पानी रहा होगा। जबकि, चंद्रमा के आंतरिक भाग में अधिक गर्म और उच्च दबाव वाले हिस्सों में आज भी तरल पानी हो सकता है। इसे हम “चन्द्र जल” कहते हैं।
‘चंद्र जल’ से हमारा अभिप्राय, चंद्रमा पर मौजूद जल से है। वैज्ञानिकों को चंद्रमा के ध्रुवों पर ठंडे तथा स्थायी रूप से छाया में रहने वाले गड्ढों या क्रेटर (Crater) में बर्फ के रूप में जल मिला है। हालांकि, ध्रुवीय गड्ढों में यह उपयोगी मात्रा में मौजूद है या नहीं, यह मात्र अभी भी एक गहन रुचि का विषय है। संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) के राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष संगठन यानी नासा (National Aeronautics and Space Administration) के बर्फ-खनन प्रयोग-1 का उद्देश्य इसी प्रश्न का उत्तर ढूंढना है। यह प्रयोग 2024 की शुरुआत में कार्यान्वित किया जाएगा।
हालांकि, इससे पहले ही, कुछ चंद्र मिशनों के परीक्षणों एवं निष्कर्षों से हमें चंद्र जल के बारे में जानकारी प्राप्त हुई है। पानी के अणु, चंद्रमा के उस स्थान पर बने हो सकते हैं जहां सूर्य की रोशनी पहुंच सकती है, जैसा कि 2020 में नासा की सोफिया वेधशाला (SOFIA– Stratospheric Observatory for Infrared Astronomy observatory) द्वारा खोजा गया था। परंतु, यह पानी कम सांद्रता में होगा। चंद्रमा की सतह पर पाए गए पानी के अलावा, चंद्रमा के बेहद पतले वातावरण में भी पानी के अणु मौजूद हो सकते हैं। पानी (H2O) और इससे संबंधित हाइड्रॉक्सिल समूह (Hydroxyl group -ओएच [-OH]), मुक्त पानी के बजाय, रासायनिक रूप से बंधे हुए हाइड्रेट (Hydrates) और हाइड्रॉक्साइड (Hydroxides) रूपों में चंद्रमा के खनिजों में मौजूद हैं। वास्तव में, सतही पदार्थ में अधिशोषित जल की गणना 10 से 1000 भाग प्रति मिलियन (Parts Per Million[ppm]) की सूक्ष्म सांद्रता पर की जाती है। 20वीं शताब्दी के उत्तरार्ध के दौरान विभिन्न प्रकार के अवलोकनों से चंद्र के ध्रुवों पर मुक्त जल बर्फ की उपस्थिति, वहां हाइड्रोजन (Hydrogen) की उपस्थिति होने का भी दावा करती है।
24 सितंबर 2009 को, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation या इसरो (ISRO)) के चंद्रास् अल्टिट्यूडिनल कंपोजिशन एक्सप्लोरर (Chandra's Altitudinal Composition Explorer) तथा चंद्रयान-1 पर प्रक्षेपित नासा के मून मिनरलॉजी मैपर (Moon Mineralogy Mapper) स्पेक्ट्रोमीटर (Spectrometer) ने चंद्रमा की सतह पर लगभग 2.8 से 3.0 माइक्रोमीटर (Micrometre) अधिशोषण लक्षणों का पता लगाया था। फिर बाद में, 14 नवंबर 2008 को, चंद्रयान-1 ने चंद्रमा के शैकलेटन क्रेटर (Shackleton crater) पर प्रभाव डालने हेतु, मून इम्पैक्ट प्रोब (Moon Impact Probe) प्रक्षेपित किया था, जिससे जल बर्फ की उपस्थिति की पुष्टि करने में मदद मिली। अगस्त 2018 में, नासा ने पुष्टि की थी, कि मून मिनरलॉजी मैपर के परीक्षणों से पता चला है कि, चंद्रमा के ध्रुवों की सतह पर जल बर्फ मौजूद है। साथ ही, अक्तूबर, 2020 में नासा द्वारा चंद्रमा की सूर्य की रोशनी पाने वाली सतह पर, 100 से 412 भाग प्रति मिलियन (0.01%-0.42%) की सांद्रता में पानी होने की पुष्टि की गई थी।
2000 के दशक के अंत में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के चंद्रयान-1 और नासा के कैसिनी (Cassini) और डीप इम्पैक्ट (Deep Impact) सहित कई अन्य मिशनों ने चंद्रमा की सतह पर जल का पता लगाया था। लेकिन, ये मिशन यह निर्धारित नहीं कर सके कि, वह पानी हाइड्रॉक्सिल (Hydroxyl) रूप में है या साधारण पानी है। इसके पश्चात, अन्य कई मिशनों ने भी इसी तरह का पता लगाया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि, उन्होंने चंद्रमा की सतह पर बिखरे हुए कांच के छोटे टुकड़ों में मौजूद पानी की खोज की है। चंद्रमा पर, लगातार कुछ प्रभाव डालने वाली, खगोलीय वस्तुएं गिरती रहती है, उदाहरण के लिए, माइक्रोमेटोरॉइड्स (Micrometeoroids) और बड़े उल्कापिंड। ऐसी घटनाओं के दौरान, उच्च-ऊर्जा तथा गर्मी का निर्माण होता है और कांच के टुकड़े प्रभावित होते हैं। सौर पवन के कारण, उत्पन्न हुआ यह पानी, कांच के टुकड़ों की सतह पर मौजूद ऑक्सीजन (Oxygen) के साथ सौर हाइड्रोजन (Hydrogen) की प्रतिक्रिया से उत्पन्न होता है। चीन (China) के रोबोटिक (Robotic) चांग’ई-5 मिशन (Chang’e-5 mission) के दौरान 2020 में प्राप्त, चंद्र की मिट्टी के नमूनों के विश्लेषण से यह खोज हुई है। वैज्ञानिकों ने कहा हैं कि, कांच के ये टुकड़े, जो दरअसल पिघलने के बाद ठंडी हुई चट्टानें हैं, चंद्रमा की सतह पर, सौर हवा की क्रिया के माध्यम से बने पानी के अणुओं को अपने भीतर अंतर्निहित कर लेते हैं। शोधकर्ता, कांच के इन्हीं टुकड़ों से पानी प्राप्त करने की आशा रखते हैं। शायद, वाष्प निर्माण के लिए, इन टुकड़ों को गर्म किया जा सकता है, और फिर संघनन के माध्यम से वाष्प तरल जल में बदल सकता है। चंद्रमा पर जल की उपस्थिति की खोज ने काफी हितचिंतकों का ध्यान आकर्षित किया हैं। हाल ही में प्रक्षेपित, कई चंद्र अभियानों को भी इसने प्रेरित किया है। क्योंकि, चंद्रमा पर जल की उपलब्धि हमारे दीर्घकालिक चंद्र निवास को संभव बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है। यह पानी न केवल हमारी जरूरतों के रूप में, बल्कि, एक ईंधन घटक के रूप में भी महत्वपूर्ण है।
चंद्रमा पर पानी की उपस्थिति ने, हमारे ग्रह पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह– चंद्रमा, पर आधार स्थापित करने की नासा की उम्मीदों को बढ़ा दिया है। अंतरिक्ष की खोज का एक स्थायी तरीका, चंद्रमा की सतह से स्थानीय संसाधनों का उपयोग करना है, और पानी इसमें एक प्राथमिक संसाधन है। विशेषज्ञों का कहना है कि, यह खोज भविष्य की चंद्र अर्थव्यवस्था का आधार बन सकता है। परिणामस्वरूप, पृथ्वी से रॉकेट ईंधन भेजने के बजाय चंद्रमा पर ही रॉकेट ईंधन बनाना, सस्ता होगा। भविष्य में, यदि खोजकर्ता पृथ्वी पर लौटना चाहते हैं, तो वे अंतरिक्ष वाहनों को संचालित करने के लिए ईंधन के रूप में चंद्रमा पर मौजूद हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का उपयोग कर सकते हैं।
पृथ्वी पर वापस आने के बजाय, चंद्रमा पर पुनः ईंधन भरने से अंतरिक्ष यात्रा की लागत कम हो जाएगी, जो अंततः अंतरिक्ष यात्रा को और अधिक किफायती बना देगी। इसके साथ ही, चंद्रमा का उपयोग भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषणों के लिए एक विश्राम स्थल के रूप में भी किया जा सकता है, जिससे अंतरिक्ष यात्रा की तस्वीर बदल जाएगी।

संदर्भ
https://tinyurl.com/ydhrf9f8
https://tinyurl.com/bddpsvkh
https://tinyurl.com/2ecnt33v
https://tinyurl.com/4t4ca4xj

चित्र संदर्भ
1. चंद्रमा और पृथ्वी को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
2. विक्रम लैंडर को दर्शाता चित्रण (youtube)
3. चन्द्रमा की सतह को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
4. चंद्रमा से पृथ्वी को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
5. चंद्रयान को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
6. चंद्रमा और पानी को दर्शाता चित्रण (Needpix)
7. चाँद के दक्षिणी ध्रुव को दर्शाता चित्रण (flickr)