विचार, वचन और कर्म में अहिंसा, यही है सत्य का मार्ग और सभी सशस्त्र संघर्ष का निर्वाण

विचार II - दर्शन/गणित/चिकित्सा
28-09-2023 09:26 AM
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विचार, वचन और कर्म में अहिंसा, यही है सत्य का मार्ग और सभी सशस्त्र संघर्ष का निर्वाण

आए दिन हम लोगों के बीच झगड़े, मारामारी, हिंसा तथा दो या दो से अधिक देशों के बीच भी झगड़े या युद्ध, जैसी समस्याओं के बारे में सुनते रहते हैं। ज्यादातर हम सभी इस तरह के लड़ाई झगड़ों से दरकिनार कर जाते हैं। दरअसल, ऐसी समस्याओं के समाधानों से मुंह मोड़ लेने की समस्या, किसी व्यक्ति या देश के लिए भी, खतरनाक साबित हो सकती है। नफरत की आग में अंधा होकर, झगड़े में उलझा व्यक्ति या युद्ध में उतरा देश समाधान को स्वीकार करने से इनकार कर देता है। दूसरी ओर, अहिंसक बने रहने के लिए, सबसे पहले किसी भी व्यक्ति को सच्चा और ईमानदार होना चाहिए। क्योंकि, अहिंसा हमें युद्ध से दूर रखती है और यह स्वतंत्रता का सबसे अच्छा मार्ग है। हम जितना अधिक समस्याओं से बचते हैं, उसके परिणाम उतने ही बुरे होते हैं।  छोटे मुद्दों को हाथ से निकल जाने से पहले ही, सुलझा लेना आसान होता है। यदि हम यह सोचते हैं कि चुप रहने से किसी भी समस्या का समाधान निकल सकता है तो यह गलत है। वास्तविकता तो यह है कि अपनी मूक समस्याओं का समाधान ढूंढना एक अच्छा कदम है। मुद्दों को खामोश करने से, वे गायब नहीं हो जाते हैं; बल्कि, इससे चीज़ें और भी बदतर हो जाती हैं। और, युद्ध की स्थिति में ऐसी चीज़ें और भी बदतर हो जाती हैं।
एकमात्र समस्या, जिसे सुलझाया नहीं जा सकता है, वह समाधान से इनकार करने की समस्या है। नफरत से अंधा हो चुका व्यक्ति, अपने प्रतिद्वंद्वी या विरोधी को अपमानित होते हुए देखने की संतुष्टि की चाहत रखता है। वह यह चाहता है कि उसका विरोधी यह स्वीकार करे कि, जिस तरह से उसने पहले उसके साथ व्यवहार किया था, वह गलत था। हम इंसानों में जानवरों की तरह ही आक्रामकता की क्षमता होती है, लेकिन सौभाग्य से यह मस्तिष्क के निरोधात्मक प्रभाव के पीछे निहित होती है। कभी-कभी यह अवरोध लड़खड़ा जाता है,और हम हिंसक हो उठते हैं।
इस हिंसा की भावना को मस्तिष्क से दूर रखने का सबसे अच्छा उपाय समस्या के बारे में बोलना है क्योंकि यदि समस्या के बारे में बोला नहीं जाता तो वह हमारे मस्तिष्क में घर कर जाती है जो हिंसा का प्रतिरूप लेकर बाहर आती है। समाधानों को अस्वीकार करने की समस्या में फंसकर, एक व्यक्ति वास्तविक समाधान को स्वीकार करने से इनकार कर देता है। वह तब यह भी भूल जाता है कि उसे स्वयं ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के उन मूल्यों के अनुसार जीना चाहिए, जिनकी वह दूसरों से अपेक्षा करता है। ऐसी परिस्थितियों में, शांति का मार्ग सत्य का मार्ग होता है। सत्य शांति से भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि, झूठ हिंसा को जन्म देता है। एक सच्चा व्यक्ति अधिक समय तक हिंसक नहीं रह सकता। कभी ना कभी, उसे एहसास होगा ही कि उसे हिंसक होने की कोई आवश्यकता नहीं है। साथ ही, जब तक उसमें हिंसा व झूठ लेशमात्र भी मौजूद है , वह उस सत्य को पाने में असफल रहेगा, जिसे वह खोज रहा है।
एक तरफ़ सत्य और अहिंसा तथा दूसरी तरफ़ असत्य और हिंसा के बीच का कोई रास्ता नहीं है। क्योंकि यदि हमारे अंदर थोड़ी सी भी हिंसा और असत्य मौजूद है, तो हम कभी भी इतने मजबूत नहीं हो सकते कि हम विचार शब्द और कर्म से पूरी तरह अहिंसक हो जाए। इसीलिए हमें अहिंसा को अपना लक्ष्य निश्चित करना चाहिए एवं उस दिशा में निरंतर प्रगति करनी चाहिए। स्वतंत्रता की प्राप्ति, चाहे फिर वह किसी व्यक्ति, राष्ट्र या विश्व के लिए हो, प्रत्येक के लिए, अहिंसा की प्राप्ति के समान होनी चाहिए। इसलिए, जो लोग अहिंसा को वास्तविक स्वतंत्रता प्राप्त करने का एकमात्र तरीका मानते हैं, उन्हें वर्तमान समय में मौजूद अभेद्य निराशा के बीच भी, अहिंसा का दीपक जलाए रखना चाहिए। जिस अहिंसा की हम बात कर रहे हैं, वह किसी भी परिस्थिति में, दूसरों को नुकसान न पहुंचाने की व्यक्तिगत भावना है। हम महात्मा गांधीजी द्वारा बताए गए अहिंसा के मार्ग को जानते ही हैं। यह भावना हिंसा से परहेज के एक सामान्य दर्शन को संदर्भित कर सकती है। यह नैतिक, धार्मिक या आध्यात्मिक सिद्धांतों पर भी आधारित हो सकती है, या यह रणनीतिक या व्यावहारिक भी हो सकती है।
“अहिंसा” शब्द को अक्सर ही, शांति से जोड़ा जाता है या इसका शांति के एक पर्याय के रूप में उपयोग किया जाता है। इसमें विश्वास करने वाले लोग, आम तौर पर, राजनीतिक तथा सामाजिक परिवर्तन प्राप्त करने के लिए, एक साधन के रूप में, अहिंसा की आवश्यकता को स्वीकार करते हैं। सामान्य तौर पर, अहिंसा के सक्रिय दर्शन के समर्थक सामाजिक परिवर्तन के लिए अपने अभियानों में, विविध तरीकों का उपयोग करते हैं। इनमें शिक्षा और अनुनय, सामूहिक असहयोग, सविनय अवज्ञा, अहिंसक प्रत्यक्ष कार्रवाई, रचनात्मक कार्यक्रम और सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप में हस्तक्षेप शामिल हैं।
आधुनिक समय में, अहिंसक मार्ग सामाजिक विरोध, क्रांतिकारी सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन के लिए एक शक्तिशाली उपकरण सिद्ध हो चुका है। कुछ आंदोलन जो विशेष रूप से अहिंसा के दर्शन से प्रभावित थे, उनमें भारतीय स्वतंत्रता के लिए दशकों लंबे सफल अहिंसक संघर्ष में महात्मा गांधी का नेतृत्व भी शामिल है। और इसकी सफलता से हम सब वाकिब ही है।

संदर्भ

https://tinyurl.com/5n82ahtf
https://tinyurl.com/y9nd7cfz
https://tinyurl.com/yv8uvxne
https://tinyurl.com/aaukkw6c

चित्र संदर्भ

1. बच्चों से सामान लेते सैनिक को दर्शाता एक चित्रण (wallpaperflare)
2. युद्ध के प्रभावित बच्चों को दर्शाता एक चित्रण (PickPik)
3. अपने साथी के जीवन को बचाने की कोशिश करते सैनिक को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
4. अहिंसा को संदर्भित करती बन्दूक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)