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नवाबों के शहर लखनऊ में आने वाले मेहमानों की खातिरदारी भी लखनऊ के ही स्वादिष्ट और लोकप्रिय व्यंजनों को खिलाकर की जाती है। लखनऊ की बिरयानी, टिक्का और कबाब लखनवी व्यंजनों की शान हैं। खासतौर पर लखनऊ की प्रसिद्ध “मलाई की गिलोरी” की तो खुशबू से ही मुंह में पानी आ जाता है। लखनवी व्यंजनों की यह विशेषता है कि इन्हें बहुत धीमी गति से तैयार किया जाता है, और यह प्रक्रिया इन व्यंजनों को अपना अनूठा स्वाद प्रदान करती है।
यदि आप भी लखनऊ से हैं तो आप लखनऊ के प्रसिद्ध व्यंजन, मलाई की गिलोरी से जरूर परिचित होंगे। कुछ लोग इसे “मलाई पान या “बलाई की गिलोरी” भी कहते हैं। मलाई की गिलोरी एक अनोखा मीठा व्यंजन होता है, जिसका आकार पान जैसा होता है। यह स्वादिष्ट व्यंजन आपके मुँह में ही रखते ही पिघल जाता है। इसे मुंह में पिघलने से पहले कुछ देर तक चबाया जा सकता है। इसे मलाई की पतली, पान के आकार की परत से बनाया जाता है, जिसमें मेवे और मिश्री भरी जाती है।
लखनऊ का प्रसिद्ध मलाई पान बनाने के लिए एक कढ़ाई में दूध को करीब दो घंटे तक उबाला जाता है। उबाले गए दूध को एक बर्तन में इकट्ठा किया जाता है और फिर ऊंचाई से वापस उसी कढ़ाई में डाल दिया जाता है, यूं कहें कि फ़ीटा जाता है। इस प्रक्रिया को 2-3 बार किया जाता है, जिसके बाद दूध को झागदार, मलाईदार बनावट मिलती है। इसके बाद, दूध को एक सपाट पैन पर डाला जाता है, और ठंडा हो जाने पर इसमें बहुत पतली, परत बनती है। इस सपाट तवे पर, दूध को धीमी आंच पर 2 घंटे तक पकने दिया जाता है, जिसके बाद मलाई गाढ़ी और लचीली हो जाती है। एक बार जब गाढ़ी और मलाईदार मलाई जम जाए तो इसे चाकू से काट लिया जाता है। मलाई को छोटे टुकड़ों में काटा जाता है, दो या तीन ऐसी परतों को मिलाकर इन्हें कूचे हुए पिस्ता, काजू और बादाम से भर दिया जाता है।
आखिर में इन सभी परतों को एक पान के आकार में एक साथ मोड़ दिया जाता है। इस व्यंजन को बनाने के लिए मेवे और मिश्री की स्टफिंग की जाती है। सुगंध बढ़ाने के लिए मलाई के आवरण में थोड़ा गुलाब और केवड़ा जल (Kewar Water) मिलाया जाता है। अंत में, मिठाई को शाही लुक और समृद्ध बनावट देने के लिए उसके ऊपर चांदी का वर्क (खाने योग्य चांदी की परत) डाला जाता है।
स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, मलाई पान की खोज 1800 के दशक में हमारे लखनऊ में ही हुई थी। इसे तम्बाकू और पान के विकल्प के रूप में विकसित किया गया था। अवध के एक नवाब के शासनकाल के दौरान पान खाने पर प्रतिबंध था। इसलिए उन्होंने पान के पत्ते के बजाय, मलाई या दूध की मलाई का इस्तेमाल किया, इसमें मिश्री (रॉक शुगर) और सूखे मेवे भरे और इसे पान का आकार दे दिया। यह आपको वास्तव में पान खाए बिना ही पान खाने का अनुभव दे देता है। देश भर में कई रसोइयों द्वारा इस व्यंजन को दोबारा बनाने के प्रयास किये गए लेकिन, कोई भी लखनऊ के मलाई पान की बराबरी नहीं कर पाया है। इसलिए, जब आप अगली बार लखनऊ आएं, तो मलाई गिलोरी का स्वाद चखना न भूलें। मलाई का पान लखनऊ के सबसे प्रसिद्ध व्यंजनों में से एक है, और इसे 200 से अधिक वर्षों से परोसा जा रहा है।
मलाई की गिलोरी के अलावा लखनऊ के स्वादिष्ट कबाब भी स्वाद के प्रेमियों के बीच खासा लोकप्रिय है और जब बात हो रमजान की इफ्तारी की तो बात ही कुछ और हो जाती है। यहाँ का टुंडे कबाब एक ऐसा व्यंजन है, जिसे हर खाने का प्रेमी एक बार तो जरूर खाता है। इसके अलावा लखनऊ की बिरयानी ने देश की सर्वश्रेष्ठ बिरयानियों में अपना स्थान बना कर रखा है। भारत में हैदराबादी, मोरादाबादी और लखनवी बिरयानी व्यापक रूप से खायी जाती हैं। स्वाद की रेस में हमारे लखनऊ का ‘पसंदा कबाब’ भी पीछे नहीं है।
पसंदा कबाब एक उर्दू शब्द है जिसे ‘पसंदे’ से लिया गया है और इसका अर्थ “पसंदीदा” होता है, क्योंकि इसको बनाने में चुने गए मांस के बेहतरीन टुकड़ों का इस्तेमाल किया जाता है। यह मुगलों के शासन काल में मुगल बादशाहों को परोसा जाने वाला एक ख़ास व्यंजन हुआ करता था। इसे आमतौर पर करी (Curry) के रूप में तैयार किया जाता है, जिसमें मसालेदार चटनी में पकाए गए बकरे के गोश्त के बड़े-बड़े टुकड़े होते हैं। वर्तमान समय में कई रेस्तरां इसे कबाब के रूप में भी परोसते हैं।
संदर्भ
http://tinyurl.com/bdecc44a
http://tinyurl.com/2fm5kefd
http://tinyurl.com/5cym6ftt
http://tinyurl.com/mstcyy33
http://tinyurl.com/27he48yz
चित्र संदर्भ
1. तैयार मलाई पान को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
2. मलाई की परत निकालने के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
3. मलाई पान में जरूरी खाद्य तत्वों के मिश्रण को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
4. बिना सिल्वर फॉयल के मलाई पान को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
5. तैयार मलाई पान को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
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