समय - सीमा 277
मानव और उनकी इंद्रियाँ 1034
मानव और उनके आविष्कार 812
भूगोल 249
जीव-जंतु 303
| Post Viewership from Post Date to 21- Jul-2024 31st Day | ||||
|---|---|---|---|---|
| City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Messaging Subscribers | Total | |
| 1782 | 182 | 0 | 1964 | |
| * Please see metrics definition on bottom of this page. | ||||
हमें पूरे इतिहास में, सभी सभ्यताओं में गुंबदों की वास्तुकला का अनुप्रयोग मिलता है। अपनी अविश्वसनीय मज़बूती और स्थायित्व के कारण, कई गुंबद संरचनाएं समय की कसौटी पर खरे उतरे हैंऔर आज भी मज़बूत खड़े हैं। पुनर्जागरण(Renaissance) और बारोक काल(Baroque periods) के दौरान, गुंबदों ने लोकप्रियता हासिल की । साथ ही, आज हमारे शहर मेरठ का शहरी परिदृश्य, उन्नत दर से विकसित हो रहा है। स्वाभाविक रूप से, यहां भी गुंबदों का उपयोग आवास, भंडारण और अन्य आधुनिक अनुप्रयोगों में किया जा रहा है।
इस लेख में, हम मेरठ की आधुनिक वास्तुकला में गुंबदों के संभावित लाभों के बारे में जानेंगे। इसके अलावा, इन गुंबदों ने लोगों के जीवन को कैसे प्रभावित किया है, और लोग अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए इनका और इसी तरह की अन्य संरचनाओं का उपयोग कैसे कर रहे हैं, इस पर भी चर्चा करेंगे।
दक्षिण एशिया में इस्लामी शासन की शुरुआत के साथ, गुंबद लोकप्रिय बनते गए। इनका निर्माण पत्थर, ईंट व गारे तथा लोहे के डॉवेल(Dowel) और क्रैम्प(Cramps) से किया गया था। फिर जब, धीरे-धीरे गुंबद विकसित हुए, इनका अधिकतर मस्जिदों और मकबरों में उपयोग किया जाने लगा।
प्रारंभिक आधुनिक काल में, मुगल साम्राज्य में, बहुत सारे वास्तुकार मध्य पूर्व से आए थे। तब से, यहां गुंबद निर्माण आम हो गया। ये ईंटों के सुदृढीकरण के साथ, कंक्रीट के खोल से बने थे। 1562 और 1571 में फ़ारसी वास्तुकार द्वारा निर्मित, हुमायूं के मकबरे जैसी इमारतों में, ईंट की गुंबद केंद्र में स्थापित है। यह केंद्रीय कक्ष योजना में अष्टकोणीय है, और 40 मीटर चौड़ा गुंबद है। इस इमारत में छत्री भी थी, जो खंभों पर स्थिर हुई, एक गुंबददार कियॉस्क(Kiosk) थी। यह मुगल छत की एक विशेषता भी है। फिर धीरे-धीरे मुगल काल में आगरा में ताज महल, दिल्ली में सफदर जंग का मकबरा, बीजापुर में 41.15 मीटर व्यास वाला मोहम्मद आदिल शाह का मकबरा, जैसी इमारतें बनीं। मुगल काल के बाद, ये 18वीं शताब्दी में सिख वास्तुकला के माध्यम से फिर से विकसित हुए, जिसमें शीर्ष पर कमल डिज़ाइन और नीचे पुष्प रूपांकन थे।
हाल के वर्षों में, वास्तुकला में गुंबदों का उपयोग स्मारकीय इमारतों से आगे बढ़ गया है। ये अब व्यक्तिगत स्थानों में, बगीचे के गुंबदों के रूप में एक अद्वितीय स्थान पा रहे हैं । ये संरचनाएं, जिन्हें अक्सर आउटडोर इग्लू(Outdoor igloos) कहा जाता है, व्यक्तिगत उपयोग के लिए कार्यक्षमता और सौंदर्यशास्त्र का एक विशिष्ट मिश्रण प्रदान करती हैं। वे वर्ष भर उद्यान आश्रय के रूप में काम करते हैं, तथा आश्रय और आराम प्रदान करते हुए प्राकृतिक वातावरण के साथ सहजता से विलीन हो जाते हैं। इनकी बढ़ती लोकप्रियता गुंबद वास्तुकला की बहुमुखी प्रतिभा को रेखांकित करती है, जो व्यक्तिगत बाहरी स्थानों में आधुनिक, व्यावहारिक अनुप्रयोगों के लिए प्राचीन अवधारणाओं को अपनाती है।
आधुनिक वास्तुकला में कांच के गुंबद का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। यह उपयोग मुख्यतः निम्नलिखित पहलुओं में होता है:
1. प्राकृतिक रोशनी बढ़ाना: कांच का गुंबद इमारतों के आंतरिक भाग को प्राकृतिक रुप से रोशन कर सकता है, जिससे कृत्रिम प्रकाश का उपयोग कम हो जाता है।
2. स्थान की भावना में सुधार: कांच का गुंबद इमारत के आंतरिक स्थान को अधिक खुला व मुक्त दिखा सकता है। इससे, स्थान की भावना और दृश्य प्रभाव में सुधार हो सकता है।
3. माहौल बनाना: कांच का गुंबद इमारत के आंतरिक भाग को प्राकृतिक तत्वों, जैसे, सूरज की रोशनी, आकाश, बादल आदि सभी से परिपूर्ण रखते हैं, जिससे, एक प्राकृतिक और आरामदायक माहौल बनता है।
4. ऊर्जा की बचत और पर्यावरण संरक्षण: कांच के गुंबद प्राकृतिक रोशनी को बढ़ाकर, ऊर्जा खपत को कम कर सकते हैं। इस प्रकार, ऊर्जा की बचत होती है और पर्यावरण प्रदूषण कम होता है।
5. इमारत की संरचना को मज़बूत करना: कांच का गुंबद इमारत की संरचनात्मक स्थिरता को मज़बूत कर सकता है। क्योंकि, यह इमारत के वजन को वितरित और दबाव को कम कर सकता है। इससे, इमारत की सुरक्षा और स्थिरता में सुधार होता है।
इस प्रकार, आधुनिक वास्तुकला में कांच के गुंबद का अनुप्रयोग बहुत व्यापक है। यह न केवल इमारत की सुंदरता और व्यावहारिकता में सुधार कर सकता है, बल्कि, ऊर्जा बचा सकता है, इमारत की संरचना को मज़बूत कर सकता है और लोगों के लिए रहने की अधिक आरामदायक जगह बना सकता है।
आइए, अब विश्व के कुछ प्रसिद्ध गुंबदों के बारे में जानते हैं।
१.यूनाइटेड स्टेट्स कैपिटल(United States Capitol): वाशिंगटन डीसी(Washington DC) में कैपिटल टीले पर स्थित, यूनाइटेड स्टेट्स कैपिटल, संयुक्त राज्य अमेरिका की कांग्रेस का बैठक स्थल है। कैपिटल का कच्चे लोहे वाला वर्तमान गुंबद, इस इमारत के ऊपर बैठने वाला पहला नहीं, बल्कि दूसरा गुंबद है। 1850 के दशक में, कैपिटल के विस्तार के बाद, प्रारंभिक गुंबद को बदल दिया गया था। इस विस्तार ने कैपिटल की लंबाई को दोगुना कर दिया, लेकिन, मूल व लकड़ी के फ्रेम वाले गुंबद को भी छोटा कर दिया।
२.लोटफ़ोल्लाह मस्जिद(Lotfollah Mosque): 16वीं शताब्दी की शुरुआत में निर्मित, ईरान(Iran) की लोटफ़ोल्लाह मस्जिद, फ़ारसी वास्तुकला की उत्कृष्ट कृतियों में से एक है। इस मस्जिद का उपयोग शाही दरबार की एक निजी मस्जिद के रूप में था, जो जनता के लिए थी। इस कारण से, मस्जिद में कोई मीनार नहीं है, और इसका आकार छोटा है। पूरे इतिहास में, लोटफ़ोल्लाह मस्जिद को इसके सुंदर गुंबद के कारण, अक्सर गुंबददार मस्जिद के रूप में जाना जाता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/5dem5hnw
https://tinyurl.com/mwvrju6
https://tinyurl.com/mrzxyeb
चित्र संदर्भ
1. मेरठ के एक पुराने कब्रिस्तान को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
2. विविध प्रकार के गुम्बदों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. सफदर जंग के मकबरे को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. यूनाइटेड किंगडम में ईडन परियोजना के जियोडेसिक गुम्बदों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. कांच के गुंबद को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. यूनाइटेड स्टेट्स कैपिटल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. लोटफ़ोल्लाह मस्जिद को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)