संरक्षण प्रयासों से, तेंदुओं की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है, वन्य अभ्यारणों में

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संरक्षण प्रयासों से, तेंदुओं की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है, वन्य अभ्यारणों में
तेंदुए, शानदार, चालाक, एकान्तवासी और अवसरवादी शिकारी होते हैं, जो बड़ी बिल्ली परिवार से संबंधित होते हैं। अपनी अनूठी विशेषताओं के लिए जाने जाने वाले ये आकर्षक जीव, भारत के जंगली आवासों में पाए जाते हैं। वास्तव में, तेंदुए, भारत के विविध प्राकृतिक परिदृश्यों की पृष्ठभूमि में शानदार दिखाई देते हैं। हमारे शहर मेरठ में तेंदुए का दिखना असामान्य बात नहीं है। आसपास के गांवों में आए दिन इनके दिखाई देने की घटनाएं सामने आती रहती हैं। तो आइए, आज हम तेंदुओं के बारे में विस्तार से जानते हैं और इनकी भौतिक विशेषताओं, आवास और वैश्विक वितरण के विषय में चर्चा करते हैं। इसके साथ ही, यह भी जानते हैं कि भारत में तेंदुओं को देखने के लिए, सर्वोत्तम स्थान कौन से हैं। इसके बाद, हम 'पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय' द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत में तेंदुओं की स्थिति के बारे में बात करेंगे | इसके अतिरिक्त, हम ये समझने का प्रयास करेंगे कि 'इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस' (International Big Cat Alliance (IBCA)) क्या है, और तेंदुओं और अन्य संबंधित बड़ी बिल्लियों के संरक्षण में इसकी क्या भूमिका है।
तेंदुआ, 'पेंथेरा' (Panthera) जीनस की पांच बड़ी बिल्ली प्रजातियों में से एक है। तेंदुए का अंग्रेजी शब्द 'Leopard', ग्रीक शब्द 'लेपर्डस' (leopardus) से लिया गया है, जो दो शब्दों 'लियोन' (leon) अर्थात शेर और 'पार्डस' (pardus) अर्थात पैंथर से मिलकर बना है। तेंदुओं की नौ उप-प्रजातियाँ हैं, जिन्हें उनके फ़र की विभिन्नता के आधार पर पहचाना जा सकता है।
तेंदुए बड़ी बिल्लियों में सबसे छोटे होते हैं। मादा तेंदुओं का वज़न 46 से 132 पाउंड और नर तेंदुओं का वज़न 80 से 165 पाउंड के बीच होता है। कंधे तक उनकी औसत ऊंचाई 28 इंच होती है। उप-प्रजाति के आधार पर, तेंदुए का फ़र गर्म, शुष्क आवासों में गहरे भूरे या हल्के पीले रंग से लेकर घने जंगलों में गहरे, लाल-नारंगी रंग तक हो सकता है। दक्षिण पूर्व एशिया के घने, अंधेरे वर्षावनों में, कभी-कभी, काले कोट वाले तेंदुए भी पाए जा सकते हैं। हालाँकि ये तेंदुए, पहली नज़र में, ठोस काले दिखाई दे सकते हैं, लेकिन कुछ रोशनी में उनका चित्तीदार पैटर्न दिखाई देता है। तेंदुए, मांसाहारी और रात्रिचर जीव हैं और अपना अधिकांश शिकार रात में करते हैं। अपनी बड़ी आंखों और फैली हुई पुतलियों के कारण, ये अंधेरे में भी अच्छी तरह देख सकते हैं।
तेंदुए अविश्वसनीय रूप से फ़ुर्तीले होते हैं और अपनी चढ़ाई क्षमता के लिए जाने जाते हैं। रफ़्तार भी अत्यंत तेज़ होती है और ये 36 मील प्रति घंटे की तेज़ रफ़्तार से भी दौड़ सकते हैं। इनकी तुलना में, ज़मीन पर सबसे तेज़ स्तनपायी चीता, 50 से 80 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से दौड़ता है। तेंदुए शिकार, विशेषकर पक्षियों को पकड़ने के लिए, एक बार में 20 फ़ीट आगे तक छलांग लगा सकते हैं और सीधे दस फ़ीट ऊपर तक । इसके अलावा, अधिकांश बिल्लियों के विपरीत, तेंदुए अच्छे तैराक भी होते हैं। ये लंबे समय तक, अपने शिकार की नमी पर निर्भर रहते हुए, बिना पानी के रह सकते हैं |
तेंदुए, प्राकृतिक आवासों जैसे जंगल, उपोष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय क्षेत्र, सवाना, घास के मैदान, रेगिस्तान और चट्टानी और पहाड़ी क्षेत्र आदि में पाए जाते हैं। ये गर्म और ठंडी दोनों जलवायु में रह सकते हैं। सभी बड़ी बिल्लियों की प्रजातियों में से, तेंदुआ एकमात्र ज्ञात प्रजाति है जो रेगिस्तान और वर्षावन दोनों में निवास करती है। तेंदुए, एकांतवासी जानवर होते हैं और मादा के साथ संबंध बनाने या शावकों कोवादा पालने के अलावा शायद ही कभी एक-दूसरे के साथ रहते हैं। जंगलों में रहने वाले तेंदुओं की औसत आयु, 12 से 15 वर्ष के बीच होती है, जबकि चिड़ियाघरों में, ये 23 साल तक जीवित रह सकते हैं। हालांकि, आज, तेंदुओं के लिए सबसे बड़ा ख़तरा मानवीय गतिविधियाँ बन गई हैं। शहरी विस्तार के परिणामस्वरूप, निवास स्थान की हानि और खाद्य स्रोतों में कमी, उनके मूल्यवान फ़र और मूंछों के लिए शिकार, इसके साथ ही अपने जानवरों की रक्षा के लिए, पशुपालकों द्वारा इनको मार डालना आदि कुछ ऐसे कारण है जिससे, इनकी संख्या तेज़ी से कम हो रही है।
भारत में तेंदुओं को देखे जाने वाले सर्वोत्तम स्थान:
1. काबिनी वन्यजीव अभयारण्य: काबिनी वन्यजीव अभयारण्य, कर्नाटक में स्थित है और इसे राज्य के बेहतरीन अभयारण्यों में से एक माना जाता है। तेंदुए, इस अभयारण्य में पर्यटन के लिए मुख्य जंगली जानवर हैं और इन्हें यहां आसानी से देखा जा सकता है। काबिनी वन्यजीव अभयारण्य में लगभग 100 तेंदुए हैं।
2. बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान, कर्नाटक: कर्नाटक में स्थित 'बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान', राजाओं के शिकारगाहों में से एक था। आज, ये, भारत में, अनेक लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है। 'बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान', 'नीलगिरि बायोस्फ़ेयर रिज़र्व का हिस्सा है और इसकी सीमाएँ तमिलनाडु में मुदुमलाई राष्ट्रीय उद्यान, कर्नाटक में नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान और केरल में वायनाड वन्यजीव अभयारण्य के साथ साझा हैं। तेंदुओं के अलावा, यहां सियार, ढोल, भारतीय रॉक अजगर, सुस्त भालू, जंगली कुत्ते, चार सींग वाले मृग और बाघों की एक बड़ी आबादी भी देखी जा सकती है।
3. सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान, मध्य प्रदेश: सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान, जिसे 'सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व ' के नाम से भी जाना जाता है, मध्य भारत में मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है। इस राष्ट्रीय उद्यान का नाम सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला से लिया गया है। ये उद्यान, तेंदुओं को देखने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है। घने जंगलों, संकरी घाटियों, बलुआ पत्थर की चोटियों और खड्डों के कारण यहां हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक आकर्षित होते हैं। हाल के वर्षों में, सतपुड़ा में तेंदुओं की आबादी में वृद्धि भी हुई है।
4. पेंच राष्ट्रीय उद्यान, मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश में खूबसूरत 'पेंच राष्ट्रीय उद्यान', एक समृद्ध सागौन जंगल है। इस राष्ट्रीय उद्यान का नाम, पेंच नदी से लिया गया है, जो उद्यान से होकर बहती है। रिज़र्व पहाड़ियों, घाटियों और जंगलों के अविश्वसनीय परिदृश्य से घिरा हुआ है। पेंच का शुष्क पर्णपाती जंगल भारत में विदेशी वन्यजीवों की एक श्रृंखला को आकार देता है। पेंच नेशनल पार्क में, सफ़ारी गेम ड्राइव के दौरान, आप पेड़ों के ऊपर आराम करते या जंगल में टहलते हुए तेंदुओं की झलक देख सकते हैं। हाल ही में, पेंच में, काले तेंदुए को देखे जाने की भी सूचना मिली है ।
5. झालना लेपर्ड सफ़ारी उद्यान, राजस्थान: झालना लेपर्ड सफ़ारी उद्यान, जयपुर शहर के पास स्थित है और अपनी तेंदुए की बड़ी आबादी के लिए प्रसिद्ध है। आप, न केवल पार्क के अंदर, बल्कि बाहर भी तेंदुओं को देख सकते हैं। इस उद्यान के तेंदुओं को देखने के लिए, एक सुरक्षित स्थान है, जिससे उन्हें देखने की संभावना और भी अधिक बढ़ जाती है।
'पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय' (Ministry of Environment, Forest and Climate Change) ने, भारत में तेंदुओं की स्थिति पर, 2022 में एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में तेंदुओं की आबादी 2018 में 12,852 से 8% बढ़कर 2022 में 13,874 हो गई। तेंदुए की लगभग 65% आबादी, शिवालिक परिदृश्य में संरक्षित क्षेत्रों के बाहर मौजूद है। जबकि केवल एक तिहाई तेंदुए ही संरक्षित क्षेत्रों में हैं। मध्य भारत में तेंदुओं की आबादी में स्थिरता या 1.5% की थोड़ी बढ़त देखी गई जबकि शिवालिक पहाड़ियों और गंगा के मैदानी इलाकों में प्रति वर्ष 3.4% की गिरावट देखी गई। मध्य प्रदेश में तेंदुओं की संख्या सबसे अधिक 3,907 है, इसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु का स्थान आता है। ओड़ीसा में तेंदुओं की संख्या, 2018 में 760 से घटकर 2022 में 562 हो गई, और उत्तराखंड में, यह संख्या 2018 में 839 से घटकर 2022 में 652 हो गई। केरल, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, बिहार और गोवा में भी जनसंख्या में गिरावट दर्ज की गई है। मध्य भारत और पूर्वी घाट, तेंदुओं की सबसे बड़ी आबादी के घर हैं।
हाल ही में, केंद्र सरकार ने 'प्रोजेक्ट टाइगर' की 50वीं वर्षगांठ मनाते हुए, 2023-24 से 2027-28 तक पांच साल की अवधि के लिए, 150 करोड़ रुपये के एकमुश्त बजटीय समर्थन के साथ, 'इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस' ( International Big Cat Alliance (IBCA)) की स्थापना को मंज़ूरी दे दी है, जिसका मुख्यालय भारत में ही है। इस एलायंस में सात बड़ी बिल्लियों के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिनमें बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, प्यूमा, जगुआर और चीता शामिल हैं। इनमें से पांच जीव भारत में पाए जाते हैं।
यह बहु-देशीय, बहु-एजेंसी गठबंधन है, जो 96 बड़ी बिल्ली रेंज वाले देशों और बड़ी बिल्ली संरक्षण में रुचि रखने वाले गैर-श्रेणी देशों के बीच किया गया है। गठबंधन के तहत, ये देश, एक मंच पर आकर और केंद्रित तरीके से तालमेल विकसित करके, उद्देश्य की प्राप्ति के लिए मिलकर काम करेंगे। इस गठबंधन का विचार पहली बार, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने, 2019 में वैश्विक बाघ दिवस के अवसर पर अपने भाषण के दौरान दिया था। गठबंधन की औपचारिक घोषणा, 9 अप्रैल, 2023 को की गई। इस गठबंधन का उद्देश्य, कई क्षेत्रों में बहुआयामी दृष्टिकोण विकसित करने, ज्ञान साझा करने, क्षमता निर्माण, नेटवर्किंग, वित्त और संसाधन सहायता है | अनुसंधान और तकनीकी सहायता, शिक्षा और बड़ी बिल्ली परिवार के बारे में जागरूकता में मदद करने के लिए, देशों के बीच सहयोग उत्पन्न करना आवश्यक है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/54mkdk3h
https://shorturl.at/dmSD8
https://tinyurl.com/54a3thpn
https://tinyurl.com/3kycz3zn

चित्र संदर्भ

1. सामने की ओर देखते तेंदुए को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. पेड़ पर चढ़े तेंदुए को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. नन्हें तेंदुए को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. झुंड में तेंदुओं को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)