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पोंगल, दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला एक फ़सल उत्सव है, जिसमें सूर्य देवता, प्रकृति और कृषि में सहायक लोगों और जानवरों का आभार व्यक्त किया जाता है। उदाहरण के लिए, मट्टू पोंगल पर, लोग कृषि में गायों की भूमिका को उजागर करते हुए अपने प्रवेश द्वारों को विशेष कोलम (kolams) से सजाते हैं। इस उत्सव के दौरान बनाए और खाए जाने वाले पकवान का नाम भी ‘पोंगल’ होता है, जिसे उबले हुए मीठे चावल से बनाया जाता है। पोंगल, तमिल शब्द ‘पोंगु’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है "उबलना"। इस उत्सव की शुरुआत, ‘भोगी पोंगल’ से होती है, जो पहले दिन मनाया जाता है। इस दिन, पुरानी चीज़ों को साफ़ करना और उन्हें सही करना आदि क्रियाकलाप किए जाते हैं। लोग इकट्ठा होकर ‘आग’ या अलाव जलाते हैं, और उसमें अप्रयुक्त वस्तुओं को फेंक देते हैं। साथ ही वे, आनंदमय संगीत और नृत्य द्वारा इस कार्यक्रम को मनाते हैं। दूसरा दिन, जिसे ‘सूर्य पोंगल’ के नाम से जाना जाता है, इस त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। इसी दिन, पोंगल पकवान तैयार किया जाता है, जिसे बनाने के लिए ताज़े कटे चावल, दाल, गुड़ और काजू का उपयोग किया जाता है। इस पकवान को मिट्टी के बर्तन में पकाया जाता है। जैसे ही मिश्रण उबलता है, लोग खुशी से "पोंगालो पोंगल" का उच्चारण करते हैं। यह उस प्रचुरता का प्रतीक है, जो उन्हें प्राप्त हुई है। फिर इस स्वादिष्ट पकवान को कृतज्ञता के भाव के रूप में सूर्य देवता को अर्पित किया जाता है, जिसके बाद, परिवार एक साथ भोजन का आनंद लेते हैं। मट्टू पोंगल, इस त्योहार का तीसरा दिन है, जो मनुष्यों और मवेशियों के बीच के सम्बंध का प्रतिनिधित्व करता है। गायों और बैलों को पवित्र माना जाता है, उन्हें माला, घंटियाँ और रंगीन पेंट से खूबसूरती से सजाया जाता है। उन्हें सड़कों पर घुमाया जाता है और उनके मालिक, उन्हें विशेष व्यंजन खिलाकर अपनी प्रशंसा व्यक्त करते हैं। इस दिन ‘जल्लीकट्टू’ जैसे पारंपरिक खेल भी खेले जाते हैं, जो बैलों को काबू करने का एक खेल है। इस खेल के द्वारा प्रतिभागियों की वीरता का प्रदर्शन होता है। पोंगल का अंतिम दिन, जिसे ‘कानुम पोंगल’ या ‘तिरुवल्लुवर दिवस’ कहा जाता है, पारिवारिक समारोहों और सैर-सपाटे का उत्सव होता है। लोग रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलने जाते हैं, उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं और बाहरी गतिविधियों में भाग लेते हैं। परिवार, प्रकृति की शांत सुंदरता का आनंद लेने के लिए आस-पास की नदियों या पार्कों में भी घूमने जाते हैं। तो आइए, आज हम, पोंगल के विभिन्न दिवसों के महत्व के बारे में जानेंगे तथा इस उत्वस से संबंधित कुछ चलचित्र देखेंगे। साथ ही, हम देखेंगे कि, तमिलनाडु के किसान, मट्टू पोंगल कैसे मनाते हैं। हम यह भी देखेंगे कि, इस उत्सव में क्या अनुष्ठान किए जाते हैं। इसके अलावा, हम जानेंगे कि, इस उत्सव के दौरान, कौन से व्यंजन बनाए जाते हैं और उनमें कौन सी सामग्री का उपयोग किया जाता है।
संदर्भ