आइए जानते हैं, बैंकिंग शब्द की उत्पत्ति और बैंकों के विकास के महत्वपूर्ण चरणों को

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आइए जानते हैं, बैंकिंग शब्द की उत्पत्ति और बैंकों के विकास के महत्वपूर्ण चरणों को

मेरठ के लोग, इस बात से सहमत होंगे कि आज के समय में, बैंकिंग सेवाओं के बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बैंकिंग की शुरुआत कब और कैसे हुई?

बैंकिंग का इतिहास बहुत पुराना है। इसकी शुरुआत, लगभग 2000 ईसा पूर्व मेसोपोटामिया में हुई थी। उस समय के सबसे पहले बैंक मंदिर हुआ करते थे, जहाँ अनाज और कीमती सामान रखे जाते थे। यही मंदिर किसानों और व्यापारियों को अनाज और धन उधार भी दिया करते थे।

आधुनिक बैंकिंग की जड़ें मध्ययुगीन और पुनर्जागरण काल के यूरोप में देखी जा सकती हैं। 12वीं और 13वीं शताब्दी में इटली के लोम्बार्ड्स, 13वीं शताब्दी में फ़्रांस के कहोरसिन्स, और खासकर इटली के समृद्ध शहर जैसे फ़्लोरेंस, वेनिस और जेनेवा इस प्रणाली के महत्वपूर्ण केंद्र बने।

तो आज हम वैश्विक स्तर पर बैंकिंग के इतिहास और इसके विकास को विस्तार से समझने की कोशिश करेंगे। साथ ही, यह भी जानेंगे कि, ‘बैंक’ शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई। इसके अलावा, हम यह भी देखेंगे कि यहूदी समुदाय ने आधुनिक बैंकिंग प्रणाली को कैसे प्रभावित किया। फिर हम, तौरात (यहूदियों के धार्मिक ग्रंथ) में वित्त से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण विचारों पर नज़र डालेंगे। अंत में, हम उन प्रभावशाली बैंकरों के बारे में जानेंगे, जिन्होंने आधुनिक वित्तीय प्रणाली को आकार दिया।

उर (Ur) क्षेत्र से संबंधित 2040 ईसा पूर्व की एक सुमेरियन क्यूनिफ़ॉर्म पट्टिका (cuneiform tablet ) में 
 एक टोकरी बनाने की कार्यशाला के लिए कच्चे माल और कार्यदिवसों का विस्तृत विवरण  | Source : Wikimedia

आइए जानते हैं, बैंकिंग का इतिहास और विकास

1. बैंकिंग का शुरुआती दौर

बैंकिंग की जड़ें, प्राचीन मेसोपोटामिया में मिलती हैं, जहाँ लगभग 2000 ईसा पूर्व पहला ऋण दिया गया था। उस समय, मंदिरों को सबसे पहले बैंक माना जाता था। ये मंदिर, अनाज और कीमती सामान रखने के स्थान थे, और यहीं से किसानों और व्यापारियों को अनाज व धन उधार दिया जाता था। इसके अलावा, मंदिरों में इन लेन-देन का रिकॉर्ड भी रखा जाता था, जिससे बहीखाता (बुककीपिंग) का जन्म हुआ।

प्राचीन ग्रीस में बैंकिंग प्रणाली और विकसित हुई। 600 ईसा पूर्व, एथेंस शहर ने पहली बार सिक्कों का मानकीकृत (स्टैंडर्ड) रूप अपनाया, जिससे व्यापार आसान हुआ और बैंकिंग गतिविधियाँ बढ़ीं। रोमवासियों ने भी बैंकिंग को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपने साम्राज्य में बैंकों का एक बड़ा नेटवर्क स्थापित किया और बिल ऑफ़ एक्सचेंज (धन हस्तांतरण का माध्यम) जैसी वित्तीय व्यवस्थाएँ शुरू कीं, जिससे विभिन्न स्थानों पर धन भेजना संभव हुआ।

2. मध्ययुगीन और पुनर्जागरण काल का यूरोप

14वीं और 15वीं शताब्दी में इटली के फ़्लोरेंस, वेनिस और जेनेवा शहर प्रमुख बैंकिंग केंद्र बन गए। फ़्लोरेंस के प्रसिद्ध मेदिची परिवार ने मेदिची बैंक की स्थापना की, जिसने डबल-एंट्री बहीखाता प्रणाली (दोहरी प्रविष्टि लेखा प्रणाली) को लोकप्रिय बनाया। यह प्रणाली आज भी लेखांकन (अकाउंटिंग) का एक महत्वपूर्ण आधार है।

एम्स्टर्डम का पुराना टाउन हॉल जहां 1609 में बैंक ऑफ एम्स्टर्डम की स्थापना की गई थी | Source : Wikimedia

आधुनिक बैंकिंग की शुरुआत 1609 में एम्स्टर्डम बैंक (Bank of Amsterdam) की स्थापना से मानी जाती है। यह बैंक, एक केंद्रीय बैंक की तरह काम करता था, जो मुद्रा (करेंसी) के मूल्य को स्थिर बनाए रखता था। बाद में, इस प्रणाली को बैंक ऑफ़ इंग्लैंड (Bank of England (1694)) और स्वीडन के स्वेरिजेस रिक्सबैंक (Sveriges Riksbank (1668)) जैसे अन्य केंद्रीय बैंकों ने भी अपनाया।

3. बैंकिंग का विस्तार

17वीं और 18वीं शताब्दी में बैंकिंग का तेज़ी से विस्तार हुआ। इस दौरान रोथ्सचाइल्ड और बारिंग्स जैसे बड़े बैंकिंग परिवार उभरे। इसी समय जॉइंट-स्टॉक बैंक की शुरुआत हुई, जहाँ निवेशक बैंक के शेयर खरीदकर मुनाफे में हिस्सेदार बन सकते थे।

अमेरिका में बैंकिंग प्रणाली 1784 में बैंक ऑफ़ न्यूयॉर्क और 1791 में फर्स्ट बैंक ऑफ़ यूनाइटेड स्टेट्स (First Bank of United States) की स्थापना के साथ शुरू हुई। 19वीं शताब्दी में अमेरिका में स्टेट-चार्टर्ड बैंक (राज्य-अधिकृत बैंक) स्थापित हुए और 1913 में फ़ेडरल रिज़र्वसिस्टम बनाया गया, जिसका उद्देश्य वित्तीय स्थिरता बनाए रखना और अमेरिका का केंद्रीय बैंकिंग प्राधिकरण बनना था।

4. बैंकिंग में नवाचार और विकास

19वीं और 20वीं शताब्दी में, तकनीकी प्रगति ने बैंकिंग उद्योग को तेज़ी से बदला। 1840 के दशक में टेलीग्राफ़ के आविष्कार ने, बैंकों के बीच तेज़ संचार संभव बनाया, जबकि 1870 के दशक में टेलीफ़ोन ने बैंकिंग सेवाओं को और सुलभ बना दिया। इसी दौर में पहली बार बिजली से धन हस्तांतरण (वायर ट्रांसफ़र) की शुरुआत हुई।

20वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में ए टी एम, इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट और ऑनलाइन बैंकिंग जैसी नई तकनीकों ने बैंकिंग उद्योग में क्रांति ला दी। इन नवाचारों ने न केवल ग्राहकों के लिए बैंकिंग को आसान बनाया, बल्कि बैंकों की कार्यक्षमता बढ़ाने और लागत कम करने में भी मदद की।

एम्स्टर्डम विसेलबैंक (Amsterdam Wisselbank) का कैश बॉक्स | Source : Wikimedia

‘बैंक’ शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई ?

शुरुआती समय में यहूदी समुदाय के पास काफ़ी धन था। उन्होंने किसानों को अनाज उत्पादन के लिए ऋण देना शुरू किया और अपने ऋण को अनाज की पैदावार से सुरक्षित किया। धीरे-धीरे, यहूदी व्यापार में आगे बढ़े और अनाज व्यापारियों को पहले ही भुगतान देने लगे, ताकि उन्हें अनाज की डिलीवरी के समय मुनाफा मिल सके। इस प्रक्रिया में उन्हें काफ़ी लाभ हुआ और यह संभवतः पहला भविष्य में होने वाले व्यापार का करार ( फ़्यूचर कॉन्ट्रैक्ट) था।

समय के साथ, इन शुरुआती बैंकरों ने ऋण खरीदने और बेचने की कला सीख ली और वित्तीय लेन-देन के साथ-साथ ऋण की गारंटी भी देने लगे। यह प्रणाली तेज़ी से बढ़ी, धन का प्रवाह बढ़ा, और अधिक लोग इस बैंकिंग व्यवसाय में शामिल हुए। इसी दौर में बैंक और बैंकक्रप्ट (दिवालियापन) शब्दों की उत्पत्ति हुई।

व्यापार के बढ़ने के साथ, धन के समय-सम्बंधी मूल्य को समझने की आवश्यकता पड़ी। इसी कारण भविष्य में मिलने वाले धन का वर्तमान मूल्य निर्धारित करना अथवा डिस्काउंटिंग की प्रक्रिया भी शुरू हुई, जिससे बैंकरों को ऊँची ब्याज दरों से बचने का अवसर मिला।

लेकिन यहूदियों की यह सफलता अधिक समय तक नहीं चली। युद्धों ने उनकी तरक्की को बाधित कर दिया और उन्हें फिर से अपने स्थानों से पलायन करना पड़ा। यहूदी परिवार पोलैंड और जर्मनी चले गए और वहीं उन्होंने आधुनिक बैंकिंग प्रणाली को आकार दिया।

इज़राइल में एक शेयर बाज़ार | Source : Wikimedia

यहूदियों की पैसे से जुड़ी शिक्षा:

1.) सूद से बचना (रिबित): यहूदियों के बीच सूद (रिबित) लेना या देना मना है। बाइबिल में यह आदेश दिया गया है कि एक दूसरे से पैसे पर ब्याज (सूद) नहीं लिया जा सकता। इस नियम का पालन, यहूदी समुदाय में बहुत सख्ती से किया जाता है। सूद को गलत और अनुशासनहीन माना जाता है, इसलिए यहूदियों के बीच सूद पर ऋण नहीं दिया जाता।

2.) शब्बत और छुट्टियाँ: यहूदी धर्म में शब्बत और अन्य धार्मिक छुट्टियाँ बहुत महत्वपूर्ण हैं। शब्बत, एक सप्ताह का विश्राम का दिन होता है, जिसमें किसी भी प्रकार का काम करना मना होता है। इसमें बैंकिंग सेवाएँ भी शामिल हैं। इस कारण, बैंकों को इन दिनों में काम नहीं करना पड़ता और वे ग्राहकों से कोई वित्तीय लेन-देन नहीं करते हैं। इसका उद्देश्य धार्मिक विश्वासों और विश्राम को प्राथमिकता देना है।

3.) त्ज़दाका (दान) और गेमाच ( मुफ़्त ऋण): यहूदी धर्म में दान देने का बहुत महत्व है, जिसे त्ज़दाका कहा जाता है। इसके तहत यहूदियों को जरूरतमंदों को मदद देने के लिए प्रेरित किया जाता है। इसके अलावा, गेमाच ( मुफ़्त ऋण) का भी महत्व है, जिसमें लोगों को बिना ब्याज के पैसे उधार दिए जाते हैं। यह प्रणाली इसराइल में बहुत लोकप्रिय है और इसका उद्देश्य आर्थिक मदद पहुँचाना और लोगों को बिना किसी शोषण के सहायता देना है।

4.) धार्मिक ज़रूरतों के लिए बैंक: कुछ बैंक विशेष रूप से धार्मिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सेवाएँ प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, मुसलमानों के लिए शरिया के अनुसार खाता और लोन उपलब्ध होते हैं, जिसमें ब्याज नहीं लिया जाता। इसी तरह, कुछ बैंकों में यहूदी धर्म के पालन करने वालों के लिए विशेष खाते होते हैं, जो उनके धार्मिक विश्वासों के अनुरूप होते हैं, जैसे बिना ब्याज वाले बचत खाते और व्यापार लोन।

5.) नैतिक निवेश: यहूदी धर्म में नैतिक निवेश को भी बहुत महत्व दिया जाता है। ऐसे निवेश, फंड्स जो उन उद्योगों में निवेश नहीं करते जिन्हें धर्म के अनुसार गलत माना जाता है, वे इस प्रणाली का हिस्सा होते हैं। इसका उद्देश्य यह है कि निवेश करने वाले लोग अपने पैसे को उन व्यवसायों में न लगाएँ जो समाज और धार्मिक विश्वासों के खिलाफ़ हैं, जैसे शराब, मांस, या जुआ उद्योग।

इस प्रकार, यहूदियों की बैंकिंग प्रणाली में न केवल व्यापारिक और वित्तीय विचार होते हैं, बल्कि धर्म और नैतिकता का भी गहरा संबंध होता है।

आधुनिक वित्तीय प्रणाली को बदलने वाले महत्वपूर्ण बैंकर

1.) नेथन मेयर रोथ्सचाइल्ड (Nathan Mayer Rothschild): मेयर रोथ्सचाइल्ड ने कम ब्याज पर कर्ज़ देकर और अपने संपर्कों का इस्तेमाल कर एक बड़ा व्यापार शुरू किया। उन्होंने अपने बेटों को बैंकिंग सिखाई और उन्हें यूरोप के अलग-अलग देशों में भेजा। इस तरह उनका बैंक पहला अंतरराष्ट्रीय बैंक बना। उनके बेटे नाथन ने, यूरोप के लिए केंद्रीय बैंक का काम किया और राजाओं के लिए खरीदारी की, जिससे औद्योगिक क्रांति की शुरुआत हुई।

Source | Wikimedia

2.) जुनियस और जे.पी. मॉर्गन (Junius and J.P. Morgan) : जूनियस मॉर्गन ने इंग्लैंड के पूंजी बाज़ार से अमेरिका का संबंध मजबूत किया। इंग्लैंड अमेरिका के सरकारी बॉंड्स के बड़े खरीदार थे। उनके बेटे जे.पी. मॉर्गन ने कारोबार संभाला और अमेरिका में औद्योगिकीकरण को तेज़ किया। जे.पी. ने कई छोटे उद्योगों को मिलाकर एक बड़ा उद्योग बना दिया, जिसके पास बहुत ताकत और पैसे थे।

3.) पॉल वारबर्ग (Paul Warbug) : 1907 में जब अमेरिका में बैंक पैनिक हुआ, तो जे.पी. मॉर्गन ने हस्तक्षेप किया और यह दिखाया कि अमेरिका को एक मजबूत बैंकिंग सिस्टम की जरूरत है। पॉल वारबर्ग, जो एक बैंकर थे, ने अमेरिका में केंद्रीय बैंकिंग सिस्टम की शुरुआत में मदद की। वे जर्मनी से आए थे, जहां पहले से केंद्रीय बैंकिंग थी, और उन्होंने इस पर बहुत प्रभाव डाला।

4.) आमादियो पी. जियानी (Amadeo P. Gianni): जियानी ने अपना बैंक, कैलिफ़ोर्निया में शुरू किया और हर तरह के लोन दिए। बाद में, जब जियानी ने संन्यास लिया, तो उनका बैंक खतरे में पड़ गया। लेकिन जियानी ने वापसी की और एक बड़ी लड़ाई जीतकर अपना बैंक फिर से संभाल लिया।

संदर्भ 

https://tinyurl.com/ms9ntbyp 

https://tinyurl.com/bdfhn4j9 

https://tinyurl.com/mundttd4 

https://tinyurl.com/5eb3wycf 

मुख्य चित्र: विलार्ड फ़ॉरेस्टर वार्नर (Willard Forester Warner) द्वारा 1895 में लिखित बैंकिंग, प्राचीन और आधुनिक (Banking ancient and modern) नामक एक पुस्तक के पृष्ठ 219 से ली गई छवि, जिसमें बैंकिंग के इतिहास और ट्रेजरी विभाग के तरीकों को शामिल किया गया है: (Flickr)