मेरठ के बाबा औघड़नाथ मंदिर में किस तरह मनाई जाती है, महाशिवरात्रि ?

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
26-02-2025 09:31 AM
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मेरठ के बाबा औघड़नाथ मंदिर में किस तरह मनाई जाती है, महाशिवरात्रि ?

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपम्।

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम्॥

भावार्थ: मैं ईशान (शिव) को, जो निर्वाण के स्वरूप में हैं, सर्वव्यापी, ब्रह्म के रूप में, वेदों के स्वरूप में, स्वयं गुणों से रहित, विकल्पहीन, इच्छाहीन, और चिदाकाश में निवास करते हैं, उनकी उपासना करता हूँ।

महाशिवरात्रि, भगवान शिव को समर्पित एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। इसे फाल्गुन माह के चंद्र पक्ष की त्रयोदशी या चतुर्दशी तिथि पर मनाया जाता है। यह पर्व, आमतौर पर फ़रवरी या मार्च के बीच आता है। महाशिवरात्रि का अर्थ, "शिव की महान रात" होता है। मेरठ में भी इस त्योहार को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पवित्र अवसर पर, हमारे शहर के श्रद्धालु, श्री बाबा औघड़नाथ शिव मंदिर, काली पलटन मंदिर, बिल्लेश्वरनाथ मंदिर जैसे स्थानीय शिवालयों में पूजा-अर्चना और प्रार्थना करने के लिए एकत्र होते हैं। आज के इस लेख में, हम इस पावन पर्व के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे। सबसे पहले, हम इसके महत्व और मनाने के कारणों को समझेंगे। फिर, हम, इसके कुछ प्रमुख पहलुओं पर विचार करेंगे, जिनमें तैयारी, संकल्प, अभिषेक आदि शामिल हैं। अंत में, यह भी जानेंगे कि मेरठ के बाबा औघड़नाथ मंदिर में महाशिवरात्रि किस प्रकार मनाई जाती है।

औंघड़नाथ मंदिर | चित्र स्रोत : Wikimedia

महाशिवरात्रि को भगवान शिव को समर्पित सबसे प्रमुख उत्सव माना जाता है।इस विशेष दिन, भक्त पूरे दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। मुख्य पूजा या तो शाम को एक बार होती है या फिर पूरी रात में चार बार संपन्न होती है।

यह पर्व, भक्तों के लिए कई महत्वपूर्ण घटनाओं को दर्शाता है। महाशिवरात्रि भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह की रात का प्रतीक है। इसलिए, यह त्योहार विशेष रूप से विवाहित जोड़ों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। किवदंतियों के अनुसार इस पावन रात्रि में भगवान शिव ने नटराज रूप में अपना "आनंदतांडव" किया था। यह नृत्य, ब्रह्मांड की चक्रीय प्रकृति को दर्शाता है, जो हर व्यक्ति के जीवन के उतार-चढ़ाव को प्रतिबिंबित करता है।

महाशिवरात्रि को अज्ञानता और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इसी पावन रात्रि को भगवान शिव ने अहंकार और अज्ञानता के राक्षस त्रिपुरासुर का नाश किया था।

भगवान शिव की कृपा पाने के लिए, भक्त इस दिन उपवास रखते हैं, प्रार्थना करते हैं और ध्यान लगाते हैं। वे शिव मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना और विभिन्न अनुष्ठानों में भाग लेते हैं। यह दिन, आध्यात्मिक साधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

महाशिवरात्रि, आत्मशुद्धि का भी अवसर होता है। इस दिन भक्त अपने मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करने का प्रयास करते हैं। वे ईश्वर से प्रार्थना करते हैं और अपने पूर्व में किए गए पापों के लिए क्षमा मांगते हैं।

महाशिवरात्रि का उत्सव | चित्र स्रोत : Wikimedia

इस शुभ दिन पर सभी भक्त, मिलकर भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं। यह पर्व, भौगोलिक और सांस्कृतिक सीमाओं को लांघकर सभी को एक सूत्र में बाँधता है। श्रद्धालु, अपनी भक्ति सामूहिक प्रार्थना, भजन-कीर्तन और अनुष्ठानों के माध्यम से व्यक्त करते हैं। भारत के विभिन्न भागों और दुनियाभर के हिंदू समुदायों में, महाशिवरात्रि बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। यह हिंदू परंपरा और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसके समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अतीत की याद दिलाती है। 

चित्र स्रोत : Wikimedia

आइए, अब महाशिवरात्रि की प्रमुख बातों पर नज़र डालते हैं: 

1) तैयारी: शिव भक्त, इस पावन दिन की शुरुआत पवित्र स्नान के साथ करते हैं। इस स्नान का उद्देश्य शारीरिक और आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त करना होता है। इसके बाद, पूजा स्थल को स्वच्छ और शांत बनाया जाता है। उसे फूलों से सजाया जाता है, वहां दीप जलाए जाते हैं और भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है।

2) संकल्प: महाशिवरात्रि पर भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए संकल्प लेते हैं। वे श्रद्धा और भक्ति के साथ उपवास रखते हैं और व्रत का पालन करते हैं।

3) अभिषेक (अर्पण): इस पूजा का मुख्य भाग, शिवलिंग का अभिषेक होता है। भक्त, शिवलिंग को जल, दूध, दही, शहद, घी और चीनी से स्नान कराते हैं। प्रत्येक अर्पण का विशेष प्रतीकात्मक महत्व होता है। यह प्रकृति, पोषण और भक्ति का प्रतीक माना जाता है।

4) बिल्व पत्र अर्पण: भगवान शिव की पूजा में बेल (बिल्व) पत्र अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि ये पत्ते, भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय होते हैं और इनसे प्रसन्न होकर वे भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।

5) अन्य पूजात्मक तत्व: भक्त "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करते हैं, भजन गाते हैं और गहरी भक्ति के साथ प्रार्थना करते हैं। कई लोग, उपवास रखते हैं और ध्यान साधना में लीन होते हैं।

चित्र स्रोत : Wikimedia

आइए, अब जानते हैं कि मेरठ के बाबा औघड़नाथ मंदिर में महाशिवरात्रि का उत्सव कैसे मनाया जाता है ?

महाशिवरात्रि उत्सव , मेरठ के बाबा औघड़नाथ मंदिर में जाने का सबसे उत्तम समय होता है। यह पर्व फ़रवरी या मार्च में आता है। इस मंदिर को रंग-बिरंगी लाइटों और सुंदर फूलों से भव्य रूप से सजाया जाता है। इस दौरान, यहां देशभर से हज़ारों भक्त, भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए आते हैं। इसके अलावा, नवरात्रि और दिवाली जैसे अन्य धार्मिक त्योहारों पर भी इस मंदिर में खास आयोजन होते हैं। इन अवसरों पर यहां का माहौल, अत्यंत भक्तिमय और ऊर्जा से भरपूर होता है। इन पावन दिनों में बाबा औघड़नाथ मंदिर आकर, श्रद्धालु दिव्य आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/2bvkscz4

https://tinyurl.com/2y2ucxye

https://tinyurl.com/298ptzel

https://tinyurl.com/2ckw8w7d

मुख्य चित्र:  मेरठ में औंघड़नाथ मंदिर : Wikimedia