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मेरठ के निवासियों, क्या आप जानते हैं कि, सॉलिड स्टेट बैटरी (Solid state battery), एक ऐसी बैटरी है, जो तरल या जेल इलेक्ट्रोलाइट (Electrolyte) के बजाय एक ठोस इलेक्ट्रोलाइट का उपयोग करती है। ये पारंपरिक लिथियम आयन बैटरियों (Lithium ion batteries) की तुलना में अधिक ऊर्जा प्रदान करती हैं। एक तरफ़, कुछ कंपनियां, अनुसंधान के साथ, ग्राफ़ीन संवर्धित बैटरियों (Graphene-enhanced batteries) को विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों और मोबाइल उपकरणों में प्रयुक्त कर रही हैं। इसलिए, आज हम, बैटरियों के इन प्रकारों और उनकी भविष्य की क्षमता के बारे में विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं। फिर, हमें पता चलेगा कि ग्राफ़ीन बैटरी खास क्यों है। अंत में, हम कुछ नई बैटरी प्रौद्योगिकियों का पता लगाएंगे, जो वैश्विक स्तर पर बैटरी उद्योग के भविष्य को बदल सकते हैं।
सॉलिड स्टेट बैटरी, लिथियम आयन बैटरी से बेहतर क्यों है ?
1.) आकार:
ठोस इलेक्ट्रोलाइट, एक विभाजक की आवश्यकता को बदल देता है, जो एक तरल इलेक्ट्रोलाइट की तुलना में कम जगह ले सकता है। इसलिए, एक सॉलिड स्टेट बैटरी को पारंपरिक लिथियम आयन बैटरी की तुलना में छोटा बनाया जा सकता है। हालिया वैज्ञानिक प्रगति का मतलब है कि, इन्हें अंततः कम दूरी के विमानों (Short-haul aircrafts) और भारी ट्रकों में लागू की जा सकती है।
2.) वज़न:
लिथियम, सबसे हल्का धातु तत्व है। इसलिए, सॉलिड स्टेट बैटरियों में लिथियम धातु एनोड (Metal anode) और इस प्रकार, एक छोटे पैकेज में उच्च ऊर्जा घनत्व वाहन की क्षमता, उन्हें इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए एक हल्का विकल्प बनाती है।
3.) सुरक्षा:
लिथियम आयन बैटरियों में एक अस्थिर व ज्वलनशील तरल इलेक्ट्रोलाइट होता है, जो आग का कारण बन सकता है। इसके विपरीत, सॉलिड स्टेट बैटरियों उच्च तापमान को सहन कर सकती हैं, जो उन्हें एक सुरक्षित विकल्प बनाती है।
4.) अधिक क्षमता और सीमा:
छोटे आकार और बढ़ी हुई ऊर्जा घनत्व का मतलब है कि, अधिक ऊर्जा, छोटे पैकेज में संग्रहित की जा सकती है। यह संभावित रूप से माइलेज (Mileage) बढ़ाता है। एक इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता ने दावा किया है कि, ऐसी बैटरी वाली गाड़ियां, एक चार्ज पर 745 मील की दूरी तय करने में सक्षम होंगी।
5.) तेज़ी से रीचार्जिंग:
इलेक्ट्रिक गाड़ियों में लिथियम आयन बैटरियां, आमतौर पर रीचार्ज करने में 20 मिनट से बारह घंटे के बीच समय लेती हैं । कम से कम 80% चार्ज प्राप्त करने के लिए, सॉलिड स्टेट बैटरी 10 या 15 मिनट तक समय लेती है। इसके अलावा, इन बैटरियों को उनके जीवनचक्र में लिथियम आयन बैटरी की तुलना में 5 गुना अधिक चार्ज किया जा सकता है।
6.) कम कार्बन पदचिह्न:
सॉलिड स्टेट बैटरी के निर्माण में कम सामग्री का उपयोग किया जाता है, जो लिथियम आयन बैटरी की तुलना में, उनके जलवायु प्रभाव को 39% तक कम कर सकता है।
ग्राफ़ीन बैटरी खास क्यों है ?
ग्राफ़ीन, एक 2 डी (2D) सामग्री है, जिसमें केवल कार्बन होता है। यह एक मधुमक्खी के छत्ते जैसी संरचना में व्यवस्थित, कार्बन परमाणुओं के साथ पतली परतों में मौजूद होता है। यद्यपि ग्राफ़ीन, लिथियम की तुलना में बैटरी में अपेक्षाकृत नई सामग्री है, इसके लाभों को जल्दी से मान्यता दी गई है। लिथियम आयन बैटरी में ग्राफ़ीन को शामिल करके, इलेक्ट्रोड पर कई बैटरी गुणों में सुधार किया जा सकता है। ग्राफ़ीन बैटरी, ऊर्जा घनत्व और चार्जिंग गति के संदर्भ में, मौजूदा लिथियम आयन बैटरी से बेहतर साबित होती है। यह बैटरी, लचीली और गैर-ज्वलंत होने जैसी नई सुविधाओं में भी उन्नत है। ग्राफ़ीन का उच्च सतह, क्षेत्र इसे उत्कृष्ट बनाती है। क्योंकि, एक बड़े सतह क्षेत्र का मतलब है कि, रेडॉक्स प्रतिक्रियाओं (Redox reactions) के लिए अधिक सक्रिय साइटें होती हैं, और उतनी ही तेज़ी से चार्जिंग होती है।

विकास के तहत विभिन्न प्रकार की बैटरियां, जो ग्राफ़ीन का उपयोग करती हैं:
1.) ग्राफ़ीन-एल्यूमिनियम हाइब्रिड बैटरी (Graphene-Aluminium Hybrid Battery):
यह बैटरी इलेक्ट्रोड सामग्री के रूप में, ग्राफ़ीन और एल्यूमिनियम का उपयोग करती है। इस बैटरी में ऊर्जा घनत्व 150-160 वॉट घंटा प्रति किलोग्राम है, और इसे 1-5 मिनट के भीतर ही बहुत तेज़ी से चार्ज किया जा सकता है।
2.) ग्राफ़ीन एन्हैंस्ड लिथियम सल्फ़र बैटरी (Graphene Enhanced Lithium-Sulfur Battery):
लाइटेन (Lyten) नामक एक कंपनी ने, सल्फ़र कैथोड (Cathode) में एक 3 डी ग्राफ़ीन झिल्ली को शामिल किया, जिसने एक प्रभावी विभाजक के रूप में काम किया, और चक्रीय क्षमता क्षय दर को कम कर दिया। इस उत्पाद को लाइटसेल ई वी (LytCell EV) नाम दिया गया है। इसे 900 वॉट घंटा प्रति किलोग्राम ऊर्जा घनत्व प्रदान करने के लिए सूचित किया गया था।
3.) ग्राफ़ीन एन्हैंस्ड पॉलिमर बैटरी (Graphene Enhanced Polymer Battery):
यह उपकरण, एक दो-इलेक्ट्रोड इलेक्ट्रोकेमिकल सेल (Two-electrode electrochemical cell) है, जिसमें कार्बन-ग्राफ़ीन हाइब्रिड और एक प्रवाहकीय पॉलिमर (Conductive polymer) होता है। ये बैटरी, 10 सेकंड से कम समय में, 1 मेगावाट तक की शक्ति का निर्वहन कर सकती है, और पांच मिनट से भी कम समय में रीचार्ज हो सकती है। इसमें 158 से 972 की वोल्टेज रेंज होती है। न्यूनतम क्षमता हानि के साथ, यह -40 डिग्री सेल्सियस से 50 डिग्री सेल्सियस तक तापमान पर लगातार काम कर सकती है।

नई बैटरी प्रौद्योगिकियां, जो हमारे भविष्य को बदल देंगी:
1.) नैनोबोल्ट लिथियम टंगस्टन बैटरी (NanoBolt lithium tungsten batteries):
इस बैटरी की एनोड (Anode) सामग्री पर काम करते हुए, कुछ शोधकर्ताओं ने इसमें टंगस्टन और कार्बन बहु–परत वाले नैनोट्यूब (Nanotube) को जोड़ा। यह तांबा एनोड सब्सट्रेट (Anode substrate) से बंधकर, एक जालीनुमा नैनो संरचना का निर्माण करते हैं। यह रीचार्ज और डिस्चार्ज चक्रों के दौरान संलग्न करने हेतु, अधिक आयन के लिए एक विशाल सतह बनाता है। इससे यह बैटरी तेज़ी से रीचार्ज होकर अधिक ऊर्जा भी संग्रहित करती है।
2.) ज़िंक मैंगनीज़ ऑक्साइड बैटरी (Zinc Manganese Oxide Batteries):
कुछ शोधकर्ताओं को जस्ता (ज़िंक)-मैंगनीज़ ऑक्साइड बैटरी में एक अप्रत्याशित रासायनिक रूपांतरण प्रतिक्रिया मिली। यदि उस प्रक्रिया को नियंत्रित किया जा सकता है, तो यह बढ़ती लागत के बिना, पारंपरिक बैटरियों में ऊर्जा घनत्व बढ़ा सकती है। यह तथ्य, इस बैटरी को लिथियम आयन (Lithium-ion) और लेड एसिड बैटरियों (Lead–acid battery) के लिए एक संभावित विकल्प बनाता है। यह विशेष रूप से देश के बिजली ग्रिड का समर्थन करने हेतु, बड़े पैमाने पर ऊर्जा भंडारण के लिए, महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
3.) ऑर्गैनोसिलिकॉन इलेक्ट्रोलाइट बैटरी (Organosilicon electrolyte batteries):
लिथियम आयन बैटरियों के साथ, एक बड़ी समस्या, इलेक्ट्रोलाइट आग या विस्फ़ोट का खतरा है। इन बैटरियों की कार्बोनेट आधारित विलायक (सॉल्वैंट) प्रणाली की तुलना में कुछ सुरक्षित चीज़ खोजते हुए, कुछ शोधकर्ताओं ने ऑर्गोसिलिकॉन (ओएस) आधारित तरल सॉल्वैंट्स (Liquid solvents) विकसित किए गए हैं। इन इलेक्ट्रोलाइट्स को औद्योगिक, सैन्य और उपभोक्ता लिथियम आयन बैटरी बाज़ारों के लिए आणविक स्तर पर इंजीनियर किया जा सकता है।
संदर्भ:
मुख्य चित्र: ग्राफ़ीन की आदर्श क्रिस्टलीय संरचना और सॉलिड-स्टेट बैटरियों में इलेक्ट्रोलाइट प्रेसिंग का दृश्य (Wikimedia, flickr)