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कुछ लोग मेरठ में शायद “सेरापियम ऑफ़ ऐलेक्ज़ांड्रिया ( Serapeum of Alexandria)” के बारे में नहीं जानते होंगे। यह एक भव्य मंदिर था, जिसे तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में टॉलेमी तृतीय (Ptolemy III) ने बनवाया था। यह मंदिर सेरापिस (Serapis) नाम के ग्रीक-मिस्री देवता को समर्पित था, जो ग्रीक और मिस्री धार्मिक परंपराओं का मेल था। यह सिर्फ़ पूजा का स्थान ही नहीं, बल्कि एक बड़ा ज्ञान और शिक्षा केंद्र भी था। यहाँ ऊँचे-ऊँचे स्तंभ और सुंदर मूर्तियाँ लगी थीं। लेकिन 391 ईस्वी में यह मंदिर नष्ट कर दिया गया। इसके खंडहर आज भी इतिहास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसी तरह, भारत के ओडिशा में स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर भी हिंदू धर्म और खगोलीय ज्ञान (astronomical knowledge) का अद्भुत मेल दिखाता है। ये दोनों ही स्थान न सिर्फ़ उपासना (पूजा) के केंद्र थे, बल्कि यहाँ विद्या और ज्ञान का भी प्रसार होता था। इन मंदिरों की वास्तुकला (architecture) धार्मिक धरोहर, खगोलीय गणनाओं और बौद्धिक विकास को जोड़ती है।
आज हम सेरापियम ऑफ़ ऐलेक्ज़ांड्रियाके बारे में विस्तार से जानेंगे। पहले, हम इसकी अद्भुत वास्तुकला को समझेंगे, जिसमें मिस्री और ग्रीक शैलियों का मेल था। फिर, हम इसके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को देखेंगे और जानेंगे कि यह अलेक्ज़ांड्रिया में एक प्रमुख पूजा और शिक्षा केंद्र कैसे बना। आख़िर में, हम इस मंदिर के खंडहरों से मिले ऐतिहासिक रहस्यों को खोजेंगे, जो इसकी ऐतिहासिक अहमियत और छुपे हुए रहस्यों को उजागर करते हैं।
सेरापियम ऑफ़ ऐलेक्ज़ांड्रिया
सेरापियम मंदिर प्राचीन मिस्र का एक बड़ा और भव्य मंदिर था, जो सेरापिस देवता को समर्पित था। सेरापिस को अलेक्ज़ांड्रिया शहर का मुख्य देवता माना जाता था, और लोग यहाँ उनकी पूजा करने आते थे। यह मंदिर अलेक्ज़ांड्रिया शहर में बना था, जो बहुत प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण जगह थी।
यह मंदिर तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनाया गया था और अपनी विशालता और सुंदरता के लिए जाना जाता था। यहाँ कई कीमती चीजें और प्राचीन खजाने रखे गए थे। इस मंदिर में ऐलेक्ज़ांड्रिया पुस्तकालय भी था, जो दुनिया के सबसे बड़े और प्रसिद्ध पुस्तकालयों में से एक था।
आज भी, लोग अलेक्ज़ांड्रिया घूमने जाते हैं और कई पुराने और खास जगहों को देखते हैं, जैसे अलेक्ज़ांड्रिया लाइटहाउस (Alexandria lighthouse), क़ैतबे किला (Qaitbay citadel) और ऐलेक्ज़ांड्रिया चिड़ियाघर (Alexandria zoo)। ये सभी जगहें हमें इस पुराने शहर के गौरवशाली इतिहास के बारे में बताती हैं।
सेरापियम ऑफ़ ऐलेक्ज़ांड्रिया की वास्तुकला
सेरापियम मंदिर सिर्फ़ एक पूजा स्थल नहीं था, बल्कि यह मिस्र की विभिन्न संस्कृतियों को एक साथ लाने और यूनानी शासकों की सत्ता को दर्शाने वाला एक महत्वपूर्ण स्मारक भी था। इस मंदिर का निर्माण यह दिखाने के लिए किया गया था कि ग्रीक और मिस्री परंपराओं को कैसे मिलाया जा सकता है। इससे उस समय की तकनीकी प्रगति, कला कौशल और कूटनीति की झलक मिलती है। इस मंदिर की वास्तुकला ग्रीक और मिस्री शैलियों का सुंदर मेल थी। मंदिर में ग्रीक शैली के ऊँचे स्तंभ और उनकी सुंदर नक्काशी थी, लेकिन इसकी संरचना और सजावट में मिस्री परंपरा की झलक थी। मिस्री कला के प्रतीक कमल और पपीरस (papyrus) पौधों की आकृतियाँ मंदिर की दीवारों पर उकेरी गई थीं, जबकि स्तंभों में डोरिक (Doric) और आयोनिक (Ionic) ग्रीक शैली का इस्तेमाल किया गया था। मंदिर के बीचों-बीच सेरापिस देवता की एक विशाल मूर्ति स्थापित थी। इसे ग्रीक शैली (Hellenistic style) में तराशा गया था, लेकिन इसमें मिस्र के प्राचीन देवताओं ओसिरिस (Osiris) और एपिस (Apis) की विशेषताएँ भी थीं। इससे पता चलता है कि यूनानी शासकों ने मिस्र की धार्मिक मान्यताओं और अपनी परंपराओं को मिलाकर एक साझा धार्मिक प्रतीक बनाने की कोशिश की थी।
सेरापियम ऑफ़ ऐलेक्ज़ांड्रियाका सांस्कृतिक महत्व
सेरापियम ऑफ़ ऐलेक्ज़ांड्रिया सिर्फ़ एक धार्मिक स्थल नहीं था, बल्कि यह ऐलेक्ज़ांड्रिया के सांस्कृतिक जीवन का भी महत्वपूर्ण हिस्सा था। इस मंदिर में एक विशाल पुस्तकालय था, जिसे ऐलेक्ज़ांड्रिया की प्रसिद्ध लाइब्रेरी के बराबर माना जाता था। यहाँ प्राचीन मिस्री लेखन (Ancient Egyptian writings), ग्रीक दर्शन (Greek philosophy) और वैज्ञानिक ग्रंथों (scientific treatises) की अनमोल पांडुलिपियाँ (manuscripts) और दस्तावेज़ संग्रहीत थे। इसके अलावा, सेरापियम मंदिर एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बन चुका था, जहाँ सम्पूर्ण भूमध्यसागर क्षेत्र से श्रद्धालु और पर्यटक आते थे। इस मंदिर की वास्तुकला में ग्रीक और मिस्री दोनों शैलियों का अद्भुत मिश्रण था, जो इसे और भी आकर्षक और अद्वितीय बनाता था। इस अनोखी संलयन ने इसे एक महान सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र के रूप में स्थापित किया।
सेरापियम के खंडहरों से मिली पुरातात्विक वस्तुएं
1944 में डाइओक्लिशन के स्तम्भ (Diocletian Column) के पास की गई खुदाई में सेरापियम के आधारभूत अवशेष पाए गए। इन अवशेषों में सोने (gold), चांदी (silver), कांसे (bronze), मिस्री फ़ाइंस (Egyptian faience), नील नदी की मिट्टी (sun-dried Nile mud) और कांच (opaque glass) की दस-दस पट्टिकाएँ थीं। यहाँ पर पाया गया एक शिलालेख, जो यूनानी और प्राचीन मिस्री भाषाओं में है, दर्शाता है कि सेरापियन मंदिर का निर्माण टॉलेमी तृतीय (Ptolemy III) ने कराया था। सभी पट्टिकाओं पर यही अंकित है। प्रमाणों से संकेत मिलता है कि इसके वास्तुकार के रूप में पार्मेनिस्कोस (Parmeniskos) को नियुक्त किया गया था। खुदाई में बारह देवताओं (twelve gods) की मूर्तियाँ मिलीं। मिमौट (Mimaut) ने 19वीं सदी में नौ मूर्तियों (nine statues) का उल्लेख किया था, जो कलाओं की नौ देवीयों (nine goddesses of the arts) को दर्शाती थीं। सक्कारा (Saqqara) में ग्यारह मूर्तियाँ पाई गईं। ग्रेनाइट स्तंभ (Granite columns) यह बताते हैं कि रोमनों ने AD 181–217 में सेरापियम का पुनर्निर्माण किया। खुदाई में 58 कांस्य सिक्के (bronze coins) और 3 चांदी के सिक्के (silver coins) भी मिले। इसके अलावा, 1905/06 में मिथ्रास की संगमरमर की मूर्ति (marble statue of Mithras) का धड़ भी पाया गया।
संदर्भ
मुख्य चित्र में सम्राट डायोक्लेटियन द्वारा 297 ई. में सेरापियम में बनवाया गया विजय स्तंभ का स्रोत : WIkimedia