देखिए कैसे देखते ही देखते मेरठ के ब्रास बैंड उद्योग ने सफ़लता के नए कीर्तिमान गढ़ दिए

नगरीकरण- शहर व शक्ति
25-05-2025 09:15 PM

मेरठ में 'जली कोठी' नाम की एक गली है! पूरे देश में शादी, नामकरण या फिर शव यात्रा के दौरान बजने वाले पीतल के वाद्य यंत्रो का निर्माण इसी गली में किया जाता है। इस गली को पूरे भारतवर्ष में शादी-ब्याह के मौके पर बजने वाले संगीत के लिए वाद्य यंत्र तैयार करने का गढ़ माना जाता है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कश्मीर से लेकर सुदूर दक्षिण में स्थित कन्याकुमारी तक के बैंड इस्तेमाल होने वाले लगभग 95% तुरही, यूफोनियम (euphonium), सूसाफ़ोन (sousaphone) और बिगुल जैसे वाद्य यंत्र इसी इलाके में बनते हैं। यह एक ऐसी अद्भुत जगह है, जहाँ कारीगरों की कई पीढ़ियाँ पीतल को ऐसे जादुई वाद्य यंत्रों में बदल रही हैं, जिनकी धुन पर पूरा भारत झूम उठता है।

इस दिलचस्प कहानी की शुरुआत 1885 में हुई, जब भव्य समारोहों के शौकीन ब्रिटिश सेना के एक बैंड लीडर, नादिर अली ने खुद ही कुछ करने की ठानी। उस समय आयात पर कई तरह की पाबंदियाँ थीं। इस वजह से नादिर अली और उनके चचेरे भाई इमाम बख्श ने मिलकर अपने खुद के वाद्य यंत्र बनाने का काम शुरू कर दिया। देखते ही देखते, 1911 तक मेरठ इस उद्योग का केंद्र बन गया। आज उनकी कंपनी, 'नादिर अली एंड कंपनी', इस क्षेत्र में एक बहुत बड़ा और प्रतिष्ठित नाम है। आज अलग-अलग चलचित्रों के माध्यम से हम मेरठ के इस मशहूर ब्रास बैंड उद्योग के बारे में विस्तार से जानेंगे।

इस पहले विडियो के माध्यम से हम देखते हैं कि नादिर अली एंड कंपनी किस तरह काम करती है और इसने यह सफ़लता कैसे हासिल की:

सियालकोट के निवासी इमाम बख्श सेना की मेरठ छावनी में तैनात थे। वहाँ वे बैंड मास्टर के पद पर कार्यरत थे। अपनी सेवानिवृत्ति के बाद, उन्होंने मेरठ में ही रहने का फैसला किया! उन्होंने बिगुल बनाकर इस उद्योग की नींव रखी। उस दौर में संगीत के वाद्य यंत्र मुख्य रूप से पेरिस से आयात किए जाते थे। द्वितीय विश्व युद्ध के समय, यही एकमात्र भारतीय कंपनी थी जिसने ब्रिटिश सरकार को बड़ी संख्या में बिगुलों की आपूर्ति की थी। बाद में उनके बेटे नादिर अली ने इस विरासत को आगे बढ़ाया |आइए अब इस विडियो के माध्यम से हम देखते हैं कि मेरठ के ब्रास बैंड उद्योग की शुरुआत और इसके गौरवशाली इतिहास को देखेंगे |

आइए इस तीसरे विडियो के माध्यम से आपको मेरठ की जली कोठी लेन पर लिए चलते हैं, जहाँ देश के 90 प्रतिशत ब्रास बैंड वाद्य यंत्र बनते हैं:

यह आख़िरी विडियो आपको दिखाएगा कि भारत के 90% पीतल के वाद्य-यंत्र बनाने वाला शहर भीतर से कैसा है: 


 

संदर्भ :

https://tinyurl.com/295ht4zr 

https://tinyurl.com/yawt8uvw 

https://tinyurl.com/4zr2fwcr 

https://tinyurl.com/3b9mtx4u 

https://tinyurl.com/26lnhj36 

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