व्यापारिक तर्ज में आधुनिक मेरठ का प्रतिबिंब था, मुजिरिस बंदरगाह

महासागर
31-05-2025 09:20 AM
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व्यापारिक तर्ज में आधुनिक मेरठ का प्रतिबिंब था, मुजिरिस बंदरगाह

गंगा और यमुना नदियों के बीच में स्थित मेरठ शहर हमेशा से ही मानवीय गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। आज  इस शहर को अपने हथकरघा, कैंची उद्योग और खासकर खेल सामग्री के निर्माण के लिए जाना जाता है। क्या आप जानते हैं कि मेरठ में लगभग 23,471 औद्योगिक इकाइयाँ हैं, जिनमें सभी तरह के छोटे-बड़े सभी तरह के उद्योग शामिल हैं? और तो और, मेरठ का खेल सामग्री उद्योग तो पूरी दुनिया में मशहूर है! यहाँ बने क्रिकेट बैट और दूसरे खेल के सामान का निर्यात पूरी दुनिया में किया जाता है। मेरठ शहर का व्यापारिक महत्व हमें "मुजिरिस बंदरगाह (Muziris Port)" की याद दिला देता है! वैश्विक व्यापार में इस शहर का भी कुछ ऐसा ही महत्वपूर्ण स्थान था। आज के इस लेख में हम  मुजिरिस बंदरगाह के बारे में विस्तार से जानेंगे। आगे हम जानेंगे कि कैसे काली मिर्च  ने मुजिरिस को एक प्रमुख वैश्विक व्यापार केंद्र बना दिया। साथ ही हम यह भी देखेंगे कि दुनिया के साथ इसके व्यापारिक संबंध कैसे थे! अंत में, यह भी समझेंगे कि मुजिरिस बंदरगाह का पतन क्यों हुआ।

आज के भारतीय राज्य केरल में स्थित मुजिरिस, एक प्राचीन बंदरगाह शहर था। लगभग 2,000 साल पहले, इसे दुनिया के सबसे अहम व्यापारिक बंदरगाहों में गिना जाता था। पहली सदी ईसा पूर्व में स्थापित, इस बंदरगाह ने इस इलाके को फ़ारसियों, फ़ोनीशियनों, असीरियनों, यूनानियों, मिस्रियों और रोमन साम्राज्य से जोड़ने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

मुज़िरिस उत्खनन संग्रहालय | चित्र स्रोत : Wikimedia  

यहाँ से मुख्य रूप से मसाले, खासकर काली मिर्च, को विदेशों में भेजा जाता था। इनके अलावा यहाँ से अर्ध-कीमती पत्थर, हीरे, हाथी दांत और मोती जैसी चीज़ें भी निर्यात की जाती थीं। इतिहासकारों का कहना है कि  मुजिरिस में  30 से भी ज़्यादा देशों से माल आता था, जिसमें अक्सर कपड़े, शराब, गेहूं और सोने के सिक्के हुआ करते थे।

सबसे दिलचस्प बात यह है कि व्यापारी मुजिरिस की तरफ़ केवल सोने या हीरे के लिए नहीं खिंचे आते थे। वो वास्तव में यहाँ के "काले सोने"  यानी काली मिर्च की ओर आकर्षित थे! आज भले ही यह मसाला, हमारे लिए एक आम चीज़ है, लेकिन उस ज़माने में यह इतना बेशकीमती था कि इसे सोने के भाव में तोला जा सकता था। मुजिरिस बंदरगाह को अक्सर "काली मिर्च का साम्राज्य" “Pepper Kingdom” कहकर पुकारा जाता था। यह एक ऐसा गुलज़ार व्यापारिक अड्डा था जहाँ दुनिया भर के सौदागर इकट्ठा होते थे। वे मुजिरिस की मशहूर काली मिर्च और सोने के बदले में मछली की चटनी, चीनी मिट्टी के बर्तन और घोड़ों जैसी ढेरों चीज़ों का लेन-देन करते थे! रोमन दार्शनिक प्लिनी द एल्डर (Pliny the Elder) ने भी ज़िक्र किया है कि रोमन लोग पूर्वी देशों के साथ व्यापार में सालाना 50 से 100 मिलियन सेस्टर्स (रोमन मुद्रा) लगाते थे, और इस भारी रकम का एक बड़ा हिस्सा खास तौर पर मुजिरिस की काली मिर्च खरीदने के लिए ही आवंटित होता था।

"टैबुला प्यूटिंगेरियाना में मुज़िरिस का चित्रण, जिसमें शहर के भीतर अगस्तुस का मंदिर भी दिखाई देता है। | चित्र स्रोत : Wikimedia  

अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण इसे एक विशेष रणनीतिक लाभ मिलता था, क्योंकि यह मध्य और पूर्वी भारत के कई महत्वपूर्ण शहरों से जुड़ा हुआ था। मुजिरिस ने मसालों, खासकर काली मिर्च के व्यापार के लिए बड़ी प्रसिद्धि हासिल की थी, जिसकी यूरोप में बहुत ज़्यादा माँग थी। मसाला मार्ग पर स्थित होने की वजह से यह शहर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का एक अहम केंद्र बन गया। यहाँ भूमध्य सागर, लाल सागर और अरब प्रायद्वीप से आने वाले जहाज़ लंगर डालते थे, जिससे विभिन्न लोग, उत्पाद और सभ्यताएँ एक साथ मिलती थीं।

मुजिरिस मसालों के अलावा रेशम, मोती, हाथीदाँत और बहुमूल्य रत्नों के निर्यात के लिए भी जाना जाता था। भारतीय व्यापारी, रोमन व्यापारियों द्वारा लाए गए सोने के सिक्कों का खुले दिल से स्वागत करते थे। ऐसा कहा जाता है कि इस फले-फूले व्यापार के कारण बहुत सारा धन भारत आ रहा था, जिससे रोमन साम्राज्य को कथित तौर पर व्यापार घाटा हो रहा था।  संगम युग के कवि इलांगो आदिगल ने भी तमिल के प्राचीनतम महाकाव्यों में से एक, 'शिलप्पादिकारम' (Cilappatikaram) में इस विदेशी बंदरगाह का सुंदर वर्णन किया है।

मुज़िरिस किले (कोट्टापुरम) में स्मारक स्तंभ| चित्र स्रोत : Wikimedia

 आज मुजिरिस विरासत स्थल का क्षेत्र एर्नाकुलम जिले के कुछ हिस्सों से लेकर त्रिशूर जिले के कुछ हिस्सों तक फैला हुआ है। माना जाता है कि 14वीं शताब्दी में पेरियार नदी में आई एक भयंकर बाढ़ के कारण यह ऐतिहासिक बंदरगाह नष्ट हो गया। इस विनाशकारी बाढ़ ने बंदरगाह तक पहुँचने वाले पानी के रास्ते को रोक दिया और वहाँ की पूरी भौगोलिक रूपरेखा को ही बदलकर रख दिया। आज उस प्राचीन गौरवशाली अतीत के केवल कुछ अवशेष ही बाकी रह गए हैं।

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/23mtssju 

https://tinyurl.com/2bu8ud8r 

https://tinyurl.com/25qsg2hy 

https://tinyurl.com/25znwgyx

मुख्य चित्र में मुजिरिस किले और मुजिरिस से प्राप्त अवशेषों का स्रोत : Wikimedia