ग्वालियर का गौरव: जय विलास महल की शाही भव्यता और सांस्कृतिक धरोहर

वास्तुकला I - बाहरी इमारतें
29-06-2025 09:15 AM
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मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में स्थित जय विलास महल भारतीय राजसी विरासत का एक भव्य प्रतीक है। यह महल न केवल सिंधिया राजवंश की शान रहा है, बल्कि इसकी वास्तुकला, भित्तिचित्रों, शाही वस्तुओं और संग्रहालयों के कारण यह भारत की सबसे उल्लेखनीय ऐतिहासिक इमारतों में गिना जाता है। एक समय में ब्रिटिश शाही अतिथि के स्वागत के लिए बनाए गए इस महल की हर ईंट ग्वालियर की शौर्यगाथा कहती है।

जय विलास महल का निर्माण 1874 में महाराजा जयाजीराव सिंधिया (Maharaja Jayajirao Scindia) द्वारा कराया गया था। इस भव्य इमारत का उद्देश्य ब्रिटेन के प्रिंस ऑफ वेल्स (बाद में किंग एडवर्ड सप्तम(King Edward VII)) के आगमन पर उनका शाही स्वागत करना था। इसे अंग्रेज वास्तुकार लेफ्टिनेंट कर्नल सर माइकल फिलोस (Lieutenant Colonel Sir Michael Filose) ने डिज़ाइन किया था, जिन्होंने मोती महल, सेंट्रल जेल और कोर्ट जैसी कई अन्य ऐतिहासिक इमारतें भी ग्वालियर में बनाईं।

महल की स्थापत्य शैली यूरोपीय प्रभावों से प्रेरित है: पहले तल में टस्कन, दूसरे में डोरिक और तीसरे में कोरिंथियन वास्तुशैली को अपनाया गया है। यह एक दुर्लभ उदाहरण है जहाँ भारतीय महल में स्थानीय शैली की बजाय शुद्ध यूरोपीय आभा दिखाई देती है।

पहले वीडियो में आप जयविलास महल की वास्तुकला, इसके आंतरिक भाग आदि के बारे में देखेंगे।

सुंदर जयविलास का एरियल व्यू देखने के लिए कृपया नीचे दिए गए लिंक पर जाएँ।

अद्भुत वास्तुकला 

जय विलास महल तीन मंज़िलों में फैला हुआ है, जिसमें कुल 400 कक्ष हैं। इसका मुख्य आकर्षण है – दरबार हॉल, जो अपनी भव्यता और विशालता में अद्वितीय है। इस हॉल की छत से लटके दो झूमर दुनिया के सबसे भारी झूमरों में गिने जाते हैं। इन्हें लटकाने से पहले छत की मज़बूती जाँचने के लिए दस हाथियों को उस पर चलाया गया था।

दरबार हॉल में रखे गए 100 फीट लंबे और 50 फीट चौड़े कालीन को बनाने में 12 वर्षों का समय लगा और यह जेल के कैदियों द्वारा बुना गया था। यहाँ की दीवारें और छतें सोने की नक्काशी से सजाई गई हैं। पूरे महल में इटली, फ्रांस और अन्य यूरोपीय देशों से लाए गए फर्नीचर, क्रिस्टल और झूमरों की भरमार है।

नीचे दिए गए वीडियो के माध्यम से आप जय विलास पैलेस की सुंदर वास्तुकला, खूबसूरत वातावरण और म्यूज़ियम को देख सकते हैं।

जीवाजी राव सिंधिया संग्रहालय

1964 में राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने महल के एक हिस्से को संग्रहालय में बदल दिया। इस संग्रहालय का नाम जीवाजी राव सिंधिया के सम्मान में रखा गया, जो ग्वालियर के अंतिम शासक थे। 41 दीर्घाओं में विभाजित यह संग्रहालय आज भारत के सबसे समृद्ध शाही संग्रहालयों में से एक है।

मुख्य आकर्षणों में शामिल हैं:

  • चाँदी की ट्रेन जो खाने की मेज़ के चारों ओर चलती थी
  • इटली से मँगाई गई कांच की पालना, जो जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण के लिए सजाई जाती थी
  • औरंगज़ेब और शाहजहाँ की तलवारें
  • केर्मन कालीन, यूरोपीय पेंटिंग्स और भारतीय लिथोग्राफ
  • चारपाइयाँ, गहनों से जड़ी चप्पलें, उपहार और शिकार की ट्राफियाँ

नीचे दिए गए वीडियो के माध्यम से आप जय विलास की सुंदर आंतरिक सजावट और आंतरिक वास्तुकला को देख सकते हैं।

संदर्भ-

https://tinyurl.com/mwjh7xpu

https://tinyurl.com/2s3pkyc5 

https://tinyurl.com/4ussv3eb 

https://tinyurl.com/mw23naun 

https://tinyurl.com/bdexpnns