मेरठवासियो, स्वाद से सेहत तक – मशरूम की अनोखी दुनिया का सफ़र

स्वाद - भोजन का इतिहास
26-08-2025 09:14 AM
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मेरठवासियो, स्वाद से सेहत तक – मशरूम की अनोखी दुनिया का सफ़र

मेरठवासियो, क्या आपने कभी गौर किया है कि हमारी थाली में जगह बनाने वाला यह छोटा‑सा मशरूम सिर्फ़ स्वाद का साधन नहीं है, बल्कि सेहत का खजाना भी है? बरसों से, दुनिया की कई सभ्यताओं में इस साधारण दिखने वाले कवक को उसके अद्भुत औषधीय गुणों के कारण आदर दिया गया है। ग्रीक (Greek), चीनी और भारतीय परंपराओं में इसे केवल भोजन ही नहीं, बल्कि उपचार का हिस्सा माना गया है। पुराने ज़माने में लोग जंगलों से मिलने वाले मशरूम को घाव भरने, शरीर को ताक़त देने और कई बीमारियों को दूर करने के लिए इस्तेमाल करते थे। समय बदला, विज्ञान ने शोध किया और आज यही मशरूम आधुनिक चिकित्सा और पोषण विज्ञान की नज़र में भी अनमोल साबित हुआ है। आज जब मेरठ की गलियों में आधुनिक जीवन की रफ़्तार तेज़ है, तो सेहतमंद रहना हर किसी की पहली ज़रूरत बन गया है। ऐसे में यह छोटा‑सा मशरूम हमारे शरीर को न सिर्फ़ ज़रूरी पोषक तत्व देता है, बल्कि रोगों से बचाने में भी मदद करता है। यह बात जानकर हैरानी होती है कि जो मशरूम कभी जंगलों और खेतों में स्वाभाविक रूप से उगते थे, आज वही वैज्ञानिक तरीक़े से उगाए जाते हैं और दुनिया भर के शोधकर्ता इनके गुणों पर काम कर रहे हैं।
इस लेख में आज हम सबसे पहले जानेंगे कि कवक (fungus) और मशरूम का औषधीय इतिहास कितना पुराना और रोचक है। फिर हम देखेंगे कि मशरूम में कौन-कौन से पोषण तत्व होते हैं और ये हमारे शरीर को किस तरह लाभ पहुँचाते हैं। इसके बाद हम समझेंगे कि औषधीय मशरूम हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर (cancer) जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव में कैसे सहायक हैं। अंत में, हम भारत में पाई जाने वाली प्रमुख मशरूम प्रजातियों और उनके विशेष स्वास्थ्य लाभों पर नज़र डालेंगे।

कवक और मशरूम का औषधीय इतिहास
प्राचीन सभ्यताओं में मशरूम का औषधीय उपयोग अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। लगभग 450 ईसा पूर्व, ग्रीक चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स (Hippocrates) ने अमादौ (Amadou) मशरूम को सूजन कम करने और घाव भरने में उपयोगी माना। चीन के 5वीं शताब्दी के विद्वान ताओ होंगजिंग (Tao Hongjing) ने लिंग ज़ी (Ling Zhi) और झू लिंग (Zhu Ling) जैसे औषधीय मशरूम का उल्लेख किया, जिनका प्रयोग शेनॉन्ग (Shennong) द्वारा भी किया जाता था। उत्तरी अमेरिका की आदिवासी जनजातियों ने पफबॉल (Puffball) मशरूम को घाव भरने के लिए अपनाया। आधुनिक विज्ञान में मशरूम का महत्व तब और बढ़ गया जब 1928 में अलेक्ज़ेंडर फ्लेमिंग (Alexander Fleming) ने पेनिसिलिन (penicillin) की खोज की। पेनिसिलिन ने मानव इतिहास में संक्रमणरोधी औषधियों की दिशा बदल दी और यह कवक की ही देन है। इसके बाद से कवक पर हुए अनुसंधान ने अनेक प्रकार की जीवाणुनाशक और औषधीय दवाओं का विकास किया। आज मशरूम को एक “प्राकृतिक औषधि कारखाना” कहा जाता है क्योंकि यह अपने अंदर हजारों तरह के सक्रिय यौगिकों को संरक्षित रखता है। यह गुण इन्हें स्वास्थ्य और औषधि के क्षेत्र में बेहद महत्वपूर्ण बना देता है।

मशरूम के पोषण तत्व और शरीर पर उनका प्रभाव
मशरूम में पाए जाने वाले पोषण तत्व इन्हें स्वास्थ्य का खज़ाना बनाते हैं। इनका लगभग 80–90% भाग पानी होता है और 8–10% भाग फाइबर (fiber) का। मशरूम प्रोटीन (protein) का अच्छा स्रोत हैं और इनमें स्टार्च (starch), पेंटोज़ (pentose), हेक्सोज़ (hexose) जैसे कार्बोहाइड्रेट (carbohydrate) पाए जाते हैं। इनमें विटामिन सी (Vitamin C), बी-कॉम्प्लेक्स (B-Complex) [जिसमें फोलिक एसिड (Folic Acid), थायमिन (Thiamine), राइबोफ्लेविन (Riboflavin), नियासिन (Niacin) शामिल हैं], विटामिन डी (Vitamin D) और सेलेनियम (Selenium), फॉस्फोरस (Phosphorus), पोटैशियम (Potassium) जैसे खनिज होते हैं। मशरूम में कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) नहीं होता बल्कि एर्गोस्टेरॉल (ergosterol) होता है, जो शरीर को विटामिन डी बनाने में मदद करता है। ये पोषण तत्व हड्डियों को मजबूत करते हैं, त्वचा और बालों के लिए लाभकारी हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। साथ ही, मशरूम में पाए जाने वाले अमीनो एसिड (Amino Acid) शरीर के विकास और ऊर्जा उत्पादन में मदद करते हैं। इन गुणों के कारण मशरूम को बच्चों से लेकर वृद्ध तक हर उम्र के लोगों के लिए एक संपूर्ण और स्वास्थ्यप्रद आहार माना जाता है।

औषधीय मशरूम और बीमारियों में उनके लाभकारी गुण

मशरूम के औषधीय गुण चिकित्सा विज्ञान में बेहद महत्वपूर्ण हैं। मशरूम शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं, रक्त शर्करा संतुलित रखते हैं और कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकते हैं।

  • गैनोडर्मा ल्यूसिडियम (Ganoderma lucidum) में पाए जाने वाले गैनोडेरिक एसिड (Ganoderic acid) और बीटा कुकॉन (Beta-glucan) लीवर को सुरक्षित रखते हैं, कोलेस्ट्रॉल घटाते हैं और शरीर को संक्रमण से बचाते हैं।
  • लैंटिनुला एडोडस / शिताके (Lentinula edodes / Shiitake) कोलेस्ट्रॉल कम करता है और कैंसर प्रतिरोधक गुण रखता है।
  • एगरिकस बिस्पोरस / बटन मशरूम (Agaricus bisporus / Button Mushroom) इंसुलिन (insulin) के स्राव को बढ़ाता है।
  • प्लूरोटस / ऑयस्टर मशरूम (Pleurotus / Oyster Mushroom) लोवास्टैटिन (Lovastatin) के कारण कोलेस्ट्रॉल को कम करता है।
  • गैनोडर्मा फ्रोंडोसा (Grifola frondosa) और ऑरिकलारिया (auricularia) रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करते हैं।

भारत में मशरूम की प्रमुख प्रजातियाँ और उनके लाभ

भारत में कई तरह की खाने योग्य और औषधीय मशरूम की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इनमें प्रमुख हैं:

  • सफेद बटन मशरूम (White Button Mushroom): सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला मशरूम, विटामिन डी2 का स्रोत, हड्डियों को मजबूत करता है और कैंसर प्रतिरोधी है।
  • पोर्टोबेलो मशरूम (Portobello Mushroom): मांसल स्वाद वाला, विटामिन बी6, सेलेनियम और कॉपर का उत्कृष्ट स्रोत।
  • शिताके मशरूम: स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक, कोलेस्ट्रॉल घटाने और प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करने में सहायक।
  • ऑयस्टर मशरूम: दिल की सेहत के लिए अच्छा, कोलेस्ट्रॉल घटाने और चयापचय सुधारने में उपयोगी।
  • एनोकी मशरूम (Enoki Mushroom): विटामिन और खनिजों से भरपूर, कोलेस्ट्रॉल कम करने और वसा घटाने में सहायक।
  • शिमेजी मशरूम (Shimeji Mushroom): वजन कम करने, मधुमेह प्रबंधन और सूजनरोधी गुणों के लिए जाना जाता है।
  • पॉर्सिनी मशरूम (Porcini Mushroom): उच्च प्रोटीन और फाइबर युक्त, हड्डियों और मांसपेशियों के लिए अच्छा।
  • पैडी स्ट्रॉ मशरूम (Paddy Straw Mushroom): आसानी से उगाए जाने वाले, प्रोटीन और विटामिन से भरपूर, मधुमेह और हृदय रोगियों के लिए लाभकारी।

संदर्भ- 

https://short-link.me/15Zo9 
https://short-link.me/1amGF