भारतीय गैंडा या ग्रेटर वन हॉर्न राइनो (Greater one-horned rhino) या एक सींग वाला गैंडा, गैंडों की सबसे बडी प्रजाति है। एक समय में भारतीय उप-महाद्वीप के पूरे उत्तरी भाग में व्यापक रूप से फैलने के बाद गैंडे की आबादी घटने लगी थी क्योंकि खेल के लिए उनका शिकार किया जाने लगा था या फिर कृषि कीटों के रूप में उन्हें मारा जाने लगा था। इस प्रक्रिया ने गैंडे को विलुप्त होने के बहुत करीब ला दिया और 20 वीं सदी की शुरुआत तक, लगभग 200 जंगली बड़े सींग वाले गैंडे बचे थे। एक सींग वाले गैंडे की वापसी एशिया में सबसे बड़ी संरक्षण सफलता की कहानियों में से एक है तथा इसके लिए भारतीय और नेपाली वन्यजीव अधिकारियों के सख्त सुरक्षा और प्रबंधन के लिए धन्यवाद देना चाहिए, जिसके कारण भारतीय गैंडों की स्थिति में सुधार हुआ। आज पूर्वोत्तर भारत और नेपाल के तराई घास के मैदानों में गैंडों की आबादी 3,700 तक बढ़ गई है। एकल सींग वाले गैंडे को उनके एक सींग, जो कि 8-25 इंच लंबा होता है, तथा त्वचा परतों के साथ ग्रे-भूरी (Gray-brown) खाल द्वारा पहचाना जा सकता है, जो इसे एक आर्मर्ड-प्लेटेड (Armor-plated) या कवच जैसी संरचना प्रदान करता है। यह प्रजाति एकान्त है, और केवल तब समूह में दिखती है जब वयस्क गैंडे कीचड में आराम करने या अपने भोजन के लिए चराई हेतु एकत्रित होते हैं। नर में अव्यवस्थित घरेलू सीमाएँ होती हैं, जो उन्हें अच्छी तरह से बचाव नहीं करती और अक्सर परस्पर व्याप्त या ओवरलैप (Overlap) होती हैं. भोजन के लिए गैंडे घास के साथ-साथ लगभग पूरी तरह से पत्तियों, झाड़ियों और पेड़ों की शाखाओं, फल और जलीय पौधों पर निर्भर हैं। गैंडे अपने घरों को अन्य मूल्यवान पौधों और जानवरों के साथ साझा करते हैं, इसलिए जब भी हम एक सींग वाले गैंडों की रक्षा करते हैं तो उनके साथ-साथ उस स्थान पर निवास करने वाली अन्य प्रजातियों की भी रक्षा होती है। ये गैंडे उन देशों के लिए भी राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक हैं, जहाँ वे पाए जाते हैं, जो स्थानीय समुदायों को पर्यावरण के प्रबंधन हेतु प्रेरित करता है। ये समुदाय उस राजस्व से भी लाभान्वित होते हैं, जो राइनो इकोटूरिज्म (Ecotourism) के माध्यम से उत्पन्न होती है।
संदर्भ:
https://www।youtube।com/watch?v=RXlYfZgjv3s
https://www।youtube।com/watch?v=aMumjxKCbzI
https://www।worldwildlife।org/species/greater-one-horned-rhino