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कीड़े एकमात्र ऐसे जीव हैं जो हमें हर जगह मिल जाते हैं। वे हमारे ग्रह पर पाए जाने वाले सबसे आम जीव हैं। वैज्ञानिकों द्वारा कीड़ों की 1.5 मिलियन से अधिक प्रजातियों को नामित किया गया है। यह संयुक्त रूप से अन्य सभी जानवरों की संख्या का तीन गुना है। फिर भी, कहा जाता है कि अब तक के ज्ञात कीट प्रकृति में मौजूद कीड़ों का एक छोटा सा अंश हैं। कई की खोज अभी बाकी है। इनका आकार, रंग, जीव विज्ञान और जीवन इतिहास इतना विविध है कि यह कीटों के अध्ययन को बहुत आकर्षक बना देता है। कीड़ों के बिना, हमारा जीवन काफी भिन्न होगा। कीड़े हमारे कई फलों, फूलों और सब्जियों को परागित करते हैं। इनके बिना हमारे आस-पास बहुत से ऐसे उत्पाद नहीं रहेंगे जिनका अभी हम आनंद लेते हैं और उन पर निर्भर करते हैं. शहद, रेशम और इस प्रकार के अन्य उपयोगी उत्पाद इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।
अधिकांश प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां आहार के लिए कीटों पर निर्भर होती हैं। किंतु कुछ समय से कीटों की संख्या में आयी गिरावट ने प्रवासी पक्षियों के लिए चिंता बढ़ा दी है. प्रवासी वन्यजीव प्रजातियों के संरक्षण के लिये सम्मेलन के चर्चा पत्र से ज्ञात हुआ है कि सभी कीट प्रजातियों में से आधे तेजी से घट रहे हैं, और कई तो विलुप्त होने की कगार पर खड़े हैं। इस पत्र में कहा गया है कि यदि स्थिति में कोई बदलाव नहीं होता है, तो दुनिया में कीटों की 40% प्रजातियां अगले कुछ दशकों में विलुप्त हो जाएंगी। पृथ्वी पर जीवन (मनुष्य, पेड़-पौधे, पक्षी आदि) के अस्तित्व को बनाए रखने में कीट महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह जीवन चक्र के सभी पहलुओं से जुड़े हुए हैं, पौधों की खाद्य श्रृंखला एवं पौधों के परागकण को प्रसारित करने में यह विशेष योगदान देते हैं। पर्यावरण में प्राथमिक या माध्यमिक अपघटक के रूप में कीड़े महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। कुछ संस्कृतियों में लोगों द्वारा कीटों को काटा और खाया जाता है। वे प्रोटीन (Protein), विटामिन (Vitamins) और खनिजों का एक समृद्ध स्रोत हैं, और कई देशों में व्यंजनों के रूप में बेशकीमती हैं। सबसे लोकप्रिय कीड़ों में सिकाडा (Cicadas), टिड्डियां, मंटिस (Mantises), ग्रब (Grubs), कैटरपिलर (Caterpillars), झींगुर, चींटियां और ततैया शामिल हैं।
कीड़ों की श्रृंखला में अकशेरुकीय जीव आते हैं, इनका शरीर तीन खण्डों सिर, वक्ष और पेट में विभाजित होता है। इनके एक जोड़ी कीड़ों के संपर्क-सूत्र और दो पैर होते हैं। बहुत से कीड़ों में पंख भी होते हैं। कीड़े खाद्य श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, कुछ जानवर, जैसे छोटे पक्षी, मेंढक और अन्य सरीसृप एवं उभयचर, लगभग पूरी तरह से इन कीटों के आहार पर ही जीवित रहते हैं। यदि इन जीवों को खाने के लिए कीड़े नहीं मिले तो ये मर जाएंगे। जिससे अन्य जीवों (जो इन जीवों पर निर्भर हैं) का भी खाद्य स्त्रोत समाप्त हो जाएगा। खाद्य श्रृंखला में यह अंतराल अंततः मानव के भोजन पर प्रभाव डालेगा मुख्यत: जो मांसाहारी हैं। परिणामस्वरूप सभी को शाकाहारी बनना पड़ेगा, कीड़े फूलों से परागकण को स्थानांतरित करते हैं जिससे अन्य पौधों का जन्म होता है। किंतु कीड़ों की कमी परागकण स्थानांतरण की प्रक्रिया को भी प्रभावित करेगी।
हालांकि कुछ पौधे परागकणों के स्थानांतरण के लिए हवा पर भी निर्भर रहते हैं, कई फसलें काफी हद तक मधुमक्खियों, पतंगों एवं मक्खियों जैसे अन्य परागण कीटों के कार्य पर निर्भर होती हैं। यह कीड़े पौधों की वृद्धि में अहम भूमिका निभाते हैं। कीड़े खरपतवार एवं परजीवी कीटों की जांच करने में भी मदद करते हैं। यह मृत जीव एवं पेड़ पौधों को अपघटित कर मृदा में मिला देते हैं। जिससे मृदा उपजाऊ होती है और अच्छी फसल उगती है। अध्ययन के अनुसार, कीड़े कई कशेरुकी प्रजातियों के लिए आवश्यक खाद्य संसाधन के रूप में कार्य करते हैं। वे इन कीड़ों को खाते हैं और अपने नवजात शिशुओं को भी यही खिलाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कीड़ों की संख्या में गिरावट प्रवासी कीटभक्षी प्रजातियों, विशेष रूप से चमगादड़ों और पक्षियों को प्रभावित कर सकती है। कुछ अध्ययनों से स्थानीय स्तर पर कीट बायोमास (Insect Biomass) में दीर्घकालिक हानि का पता चला है, संरक्षित क्षेत्रों में 76% तक की गिरावट आयी है। कीट की गिरावट का मुख्य कारण निवास स्थान में परिवर्तन और हानि, कृत्रिम कीटनाशकों और उर्वरकों से प्रदूषण, आक्रामक प्रजातियों और रोगजनकों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन हैं। सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि इन कीटों की आबादी न केवल संकीर्ण पारिस्थितिक आवश्यकताओं या प्रतिबंधित आवासों की दुर्लभ प्रजातियों में से है, बल्कि उन प्रजातियों में से भी है जो कभी सामान्य और व्यापक थीं।
संकटग्रस्त या विलुप्तप्राय कीटों की पहचान एवं संरक्षण हेतु आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। इनमें प्रवासी कीटभक्षी जीवों पर कीटों के पतन के प्रभाव को समझने के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान किए जा रहे हैं। वैज्ञानिक कीटनाशकों के उपयोग के संबंध में भी सावधानी बरतने की सलाह देते हैं, विशेष रूप से प्रवासी पक्षियों और चमगादड़ों के लिए महत्वपूर्ण आवासों में। रिपोर्ट में कहा गया है कि सावधानी बरती जानी चाहिए ताकि प्रवासी कीटभक्षियों के भोजन के आधार को नुकसान न पहुंचे और कीड़ों के संरक्षण के लिए कार्रवाई की जा सके।