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सिंधु घाटी सभ्यता लगभग
2600 ईसा पूर्व शुरू हुई सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता के विभिन्न स्थलों पर समय-समय
पर खुदाई की जाती रही है। इस सभ्यता में कई संरचनाएँ पायी गयी हैं, जिनमें विभिन्न प्रतिमाएँ, गहने, बर्तन, मकान आदि शामिल हैं। यहां विभिन्न शहरी केंद्र थे, जिनमें मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, धोलावीरा, लोथल आदि शामिल हैं। इस सभ्यता के इन सभी स्थलों से यह साक्ष्य प्राप्त होता है
कि, उस समय लोगों द्वारा कृषि व्यापक रूप से की गई
थी और पशुओं को भी पालतू बनाया गया था। उन्होंने उन अनाजों और दालों को उगाया, जिनकी उन्हें आवश्यकता थी। इस सभ्यता के बारे में जानने के
लिए बहुत कुछ है, लेकिन सभ्यता का केवल एक तिहाई हिस्सा ही अभी
हमें ज्ञात हुआ है। यहां खुदाई तब शुरू हुई, जब भारत और पाकिस्तान संयुक्त देश थे। भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के
राज्यों में इस महान सभ्यता के विभिन्न साक्ष्य मिल सकते हैं। इस सभ्यता के सभी घर
एक ही आकार के थे, जिन्हें एक ही आकार की ईंटों से बनाया गया था, जो उस समय के एकल शासन के साक्ष्य प्रदान करते हैं। यह
सभ्यता व्यापार के साक्ष्य भी प्रदान करती है, क्यों कि, खुदाई में विभिन्न प्रकार की मुहरें प्राप्त
हुईं, जिनका उपयोग मेसोपोटामिया (Mesopotamia) जैसे आस-पास के क्षेत्रों के साथ व्यापार के
लिए किया गया था। प्राकृतिक आपदा के कारण यह सभ्यता काफी हद तक समाप्त हो गई, किंतु इसने हमारे लिए एक ऐसे इतिहास को जन्म दिया है, जिसे हम हमेशा याद करते हैं और उसकी प्रशंसा करते हैं।
संदर्भ: