घोड़े की विभिन्न दुर्लभ नस्लें

स्तनधारी
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घोड़े की विभिन्न दुर्लभ नस्लें
प्राचीन समय से ही लोगों के जीवन में घोड़ों का एक विशेष महत्व रहा है। सवारी और सामान ले जाने की दृष्टि से घोड़ों को अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना जाता रहा है। घोड़ों के शुरुआती समय या विकास की बात करें तो, प्रारंभ में इनका आकार बहुत छोटा हुआ करता था तथा ये काफी हद तक एक कुत्ते के समान दिखाई देते थे। किंतु जैसे-जैसे भौगोलिक स्थितियों में परिवर्तन हुआ, इनकी संरचना में भी परिवर्तन होता चला गया तथा अंततः इन्होंने अपने वर्तमान स्वरूप को धारण किया। माना जाता है कि, घोड़ों का विकास 5,50,00,000 वर्ष पूर्व ईयोसीन (Eocene) युग से आरंभ हुआ। इस अवधि में जहां रॉकी (Rocky), ऐन्डीज़ (Andes), आल्पस (Alps) आदि पर्वत श्रृंखलाओं ने आकार लेना शुरू किया, वहीं भूमि पर हाथी, गैंडे, बैल, बंदर और घोड़े के पूर्वज भी दिखाई देने लगे। माना जाता है कि, घोड़े का सबसे पहला स्तनधारी पूर्वज मनुष्य के विकसित होने से लगभग 5 करोड़ वर्ष पहले अस्तित्व में आया, जिसे हायिराकोथिरियम (Hyracotherium) कहा गया। हायिराकोथिरियम लगभग 12 इंच लंबा तथा लोमड़ी के समान छोटा था, जिसके पैर लंबे और पतले थे। इसके आगे के पैरों में चार अँगुलियाँ जबकि पीछे के पैरों में तीन अँगुलियाँ थी। धीरे-धीरे इसमें विकास हुआ, जिसके फलस्वरूप आगे के पैर की चौथी अंगुली गायब हो गई, और शेष तीन अँगुलियां अल्पविकसित खुर में बदल गयीं, जबकि बाहरी अंगुलियां अर्धविकसित उपांगों में सिकुड़ गयीं। दक्षिणी संयुक्त राज्य में हायिराकोथिरियम के बड़ी संख्या में जीवाश्म मिले हैं, जो यह बताते हैं कि, खुर वाले स्तनधारियों के परिवार की उत्पत्ति शायद इसी क्षेत्र में हुई थी। माना जाता है कि, बाद में हायिराकोथिरियम ने उत्तर की ओर पलायन किया और एशिया (Asia) तथा यूरोप (Europe) में फैल गये। पृथ्वी की भूगर्भीय स्थिति में आये परिवर्तनों के कारण लगभग 4 करोड़ वर्ष पहले हायिराकोथिरियम की नस्ल पूरी तरह से विलुप्त हो गई और जो नस्लें उन परिस्थितियों में अनुकूलित हो पाईं, वे विकसित होकर औरोहिप्पस (Orohippus) और बाद में एपिहिप्पस (Epihippus) नस्लों में बदली। इनके बाद तीन अँगुलियों वाले मेसोहिप्पस (Mesohippus) घोड़े का विकास हुआ, जिसमें चौथी अँगुली का अभाव था। यह नस्ल आकार में बड़ी नहीं थी, लेकिन इसके कई अंगों का विकास हो चुका था। इसके बाद मियोहिप्पस (Miohippus) तथा पेराहिप्पस (Parahippus) नामक घोड़े का विकास हुआ, जो कि आकार में अपेक्षाकृत बड़े थे। विकास के इस क्रम में मेरीकिप्पस (Merychippus) नाम की नस्ल का विकास हुआ, जो काफी हद तक वर्तमान युग के घोड़े के समान थी। इसके बाद प्लायोसीन (Pliocene) युग में प्लायोहिप्पस (Pliohippus) नस्ल का विकास हुआ, जो वर्तमान घोड़े ईक्वस (Eqqus) का निकटतम पूर्वज था। यही नस्ल आगे चल कर आधुनिक घोड़े में विकसित हुई। घोड़े के विकास क्रम में आकार में वृद्धि, टाँगों का लंबा होना, बाँई और दाईं अँगुलियों का कम होना, बीच की अँगुली का खुरों में बदलना आदि परिवर्तन हुए। इस प्रकार धीरे-धीरे घोड़ों की एक विस्तृत और विविध नस्लों का विकास हुआ। समय के साथ घोड़े की कई प्रजातियां या नस्लें विलुप्त हो चुकी हैं, तथा अनेकों आज भी विलुप्त होने की कगार पर हैं। आइए आज हम घोड़े की उन दुर्लभ नस्लों का विश्लेषण करते हैं, जो निकट भविष्य में विलुप्त होने की कगार पर हैं। इनमें से अधिकांश नस्लें भारत में मौजूद नहीं हैं, इनकी उपस्थिति न तो चिड़ियाघरों में है और न ही जंगलों में।
कैनेडियन (Canadian) घोड़ा : कनाडा के इस राष्ट्रीय घोड़े को अपनी बहुमुखी प्रतिभा के लिए जाना जाता है, किंतु वर्तमान समय में यह संकटग्रस्त स्थिति में है। यह नस्ल लगभग 350 साल पुरानी है, जिसकी उत्पत्ति घोड़ों के फ्रांसीसी स्टॉक (French stock) से हुई, जिसे लुईस XIV (Louis XIV) ने कनाडा में निर्यात किया था। कनाडा का यह घोड़ा मजबूत और शक्तिशाली तो है ही, साथ ही विपरीत पर्यावरण परिस्थितियों वाले क्षेत्रों में स्वयं को अनुकूलित भी कर सकता है। वर्तमान में, दुनिया भर में लगभग 6,000 पंजीकृत कनाडाई घोड़े हैं।

अखल - टेक (Akhal – Teke) घोड़ा : घोड़े की इस नस्ल को दुनिया के सबसे सुंदर और दुर्लभ घोड़ों में से एक माना जाता है। हालांकि, यह नस्ल संकटग्रस्त है, लेकिन उतनी दुर्लभ नहीं हैं, जितनी घोड़े की अन्य नस्लें हैं। यह नस्ल तुर्कमेनिस्तान (Turkmenistan) में उत्पन्न हुई है, जो अपनी कुछ दिलचस्प विशेषताओं के लिए जानी जाती है, जैसे बालों की अनोखी संरचना जो उनके आवरण को धातु जैसी चमक देती है। यह नस्ल अरबी (Arabic) घोड़े से भी पुरानी है, जिसे लंबी दूरी की यात्रा करने वाली खानाबदोश जनजातियों की जीवन शैली के अनुरूप विकसित किया गया था। आंतरिक प्रजनन जैसे कारकों के कारण घोड़े की यह नस्ल संकटग्रस्त स्थिति में है।
डेल्स पोनी (Dales Pony) : यह एक ऐसी नस्ल है, जिसका संबंध इंग्लैंड (England) के उत्तरी भाग से है। इसका उपयोग मुख्य रूप से तब किया जाता था, जब सीसा (Lead) खनन अपने चरम पर था। यह नस्ल, खदानों से अयस्कों को उत्तरी सागर के बंदरगाहों तक ले जाने में मदद करती थी। आज इनका उपयोग मनोरंजक सवारी के तौर पर किया जाता है। ब्रिटेन (Britain) में सीसा खनन में गिरावट के कारण, इन भव्य घोड़ों की आबादी में भारी कमी आयी है, जिसकी वजह से ब्रिटेन में इनकी संख्या 300 से भी कम और दुनिया भर में 5,000 से भी कम हो गयी है।
सफोल्क पंच (Suffolk Punch) घोड़ा : भारी सामान उठाने और उसे एक स्थान से दूसरे स्थान में ले जाने वाले इस घोड़े की उपस्थिति के साक्ष्य 1768 के माने जाते हैं। मजबूत पैरों और मांसपेशियों के कारण इस नस्ल का इस्तेमाल आमतौर पर कठिन कार्य करने या भारी सामान ढोने के लिए किया जाता था। प्रथम विश्व युद्ध से पहले इस नस्ल को बहुत अधिक पसंद किया जाता था, किन्तु कृषि के मशीनीकरण से घोड़े की इस नस्ल की संख्या में अत्यधिक गिरावट आयी। ब्रिटेन में इनकी संख्या 300 से भी कम हो गयी है, जिसकी वजह से वे संकट की स्थिति में पहुँच गए हैं।
क्लीवलैंड बे (Cleveland Bay) घोड़ा : यह नस्ल इंग्लैंड की सबसे पुरानी नस्ल मानी जाती है, जो कि, अत्यधिक बलवान और समझदार स्वभाव की होती है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस नस्ल की संख्या में गंभीर गिरावट आई, लेकिन रानी एलिजाबेथ (Elizabeth) की मदद से इसे संरक्षण प्राप्त हुआ। इस नस्ल को शिकार, शो जंपिंग (Show jumping), खेतों में काम और ड्राइविंग (Driving) के लिए पसंद किया जाता है। इस नस्ल का उपयोग घोड़े की अन्य नस्लों जैसे ओल्डेनबर्ग (Oldenburg), हनोवरियन (Hanoverian) आदि के निर्माण और सुधार में किया गया। दुनिया भर में इस नस्ल के अब लगभग 500-600 घोड़े ही बचे हैं।
न्यूफाउंडलैंड पोनी (Newfoundland Pony) : कनाडा के न्यूफाउंडलैंड और लैब्राडोर (Labrador) प्रांत में पाए जाने वाली घोड़ों की यह नस्ल वास्तव में अंग्रेजी (English), आयरिश (Irish) और स्कॉटिश (Scottish) नस्लों के मिश्रण से उत्पन्न हुई हैं। मजबूत और अत्यधिक मांसल होने के कारण इन्हें विभिन्न कार्यों के लिए उपयोग में लाया जाता था, किन्तु आज ज्यादातर इनका उपयोग घुड़सवारी के लिए किया जाता है। यह नस्ल गंभीर रूप से संकटग्रस्त स्थिति में है तथा दुनिया भर में इसकी आबादी कुल मिलाकर 200-250 के बीच रह गयी है।
अमेरिकन क्रीम (American Cream) घोड़ा : यह नस्ल अपने भव्य शैम्पेन (Champagne) या क्रीम जैसे रंग और पारभासी, सुनहरी आंखों के लिए जानी जाती है। 20 वीं शताब्दी में कृषि के मशीनीकृत हो जाने के कारण इनकी जनसंख्या में भारी गिरावट आयी। परिणामस्वरूप इनकी संख्या पूरी दुनिया में 2,000 से भी कम रह गयी है।
एरिस्के पोनी (Eriskay Pony) : मूल रूप से पश्चिमी आइल पोनीस (Isle Ponies) के रूप में जानी जाने वाली यह नस्ल स्कॉटलैंड (Scotland) के हाइब्रिडियन (Hebridean) द्वीपों की मूल निवासी है, जिसे अपने शांत स्वभाव के लिए जाना जाता है। यह कठोर और अत्यधिक ठंडी जलवायु में भी अपने अस्तित्व को अच्छी तरह बनाए रख सकती है, तथा विभिन्न कार्यों जैसे गाड़ियां खींचने, बच्चों को स्कूल छोड़ने आदि के लिए उपयोग में लायी जाती हैं। वर्तमान समय में इस खूबसूरत नस्ल की संख्या 300 से भी कम रह गयी है।
कैस्पियन (Caspian) घोड़ा : घोड़े की इस प्राचीन नस्ल को विभिन्न कला कार्यों में देखा जा सकता है, जो कि, लगभग 3000 ईसा पूर्व के हैं। इस प्रकार इन्हें दुनिया की सबसे पुरानी घोड़े की नस्लों में से एक माना जाता है। संरक्षण प्रयासों के कारण इनकी संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन इसे अभी भी दुर्लभ घोड़ों की नस्लों में से एक माना जाता है।
दुर्लभ घोड़ों की अन्य नस्लों में हैकनी (Hackney), हाइलैंड पोनी (Highland Pony), शायर (Shire) आदि नस्लें शामिल हैं।
संदर्भ:
https://bit.ly/2NJ7bPx
https://bit.ly/3axoSe0
https://bit.ly/3avHcnI

चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र प्राचीन पालतू जानवरों की उत्पत्ति और उसके विकास को दर्शाता है। (प्रारंग)
दूसरी तस्वीर में कैनेडियन घोड़ा दिखाया गया है। (विकिमीडिया)
तीसरी तस्वीर में अकेल - टेक घोड़ा दिखाया गया है। (विकिमीडिया)
चौथी तस्वीर में डेल्स पोनी को दिखाया गया है। (विकिमीडिया)
पांचवीं तस्वीर में सफोल्क पंच घोड़ा दिखाया गया है। (विकिमीडिया)
छठी तस्वीर में क्लीवलैंड बे घोड़ा दिखाया गया है। (विकिमीडिया)
सातवीं तस्वीर न्यूफ़ाउंडलैंड पोनी को दिखाती है। (यूट्यूब)
आठवीं तस्वीर में अमेरिकन क्रीम घोड़ा दिखाया गया है। (यूट्यूब)
नौवें चित्र में एरिज़ोना पोनी को दिखाया गया है। (विकिमीडिया)
अंतिम तस्वीर कैस्पियन घोड़ा दिखाती है। (यूट्यूब)