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 हमारे मेरठ शहर का रामायण और महाभारत के जितना ही पुराना एक समृद्ध इतिहास रहा है।शहर के कई निकटवर्ती किले, महल, मंदिर और अवशेष आज भी इस शहर के गौरवशाली अतीत के प्रमाण के रूप में खड़े हैं। शहर के आस पास के क्षेत्रों में स्थित कुछ अत्यंत भव्य किले, शाही दौर के ठाठबाट और कला के प्रति शासकों के समर्पण की गवाही देते हैं। हालांकि, इन किलों के निर्माण का मूल उद्देश्य शत्रुओं के आक्रमण से शाही परिवार की रक्षा करना था, किंतु आज भी ये अद्वितीय किले अथवा दुर्ग अपनी भव्यता, वास्तुकला और रहस्य के कारण बड़ी संख्या में पर्यटकों और शोधकर्ताओं को आकर्षित करते हैं।  
नीचे कुछ प्रसिद्ध महल और किलों की सूची दी गई हैं, जो मेरठ और इसके आसपास के क्षेत्रों में देखे जा सकते हैं:
१. गढ़मुक्तेश्वर किला: माना जाता है कि गढ़मुक्तेश्वर किला पांडवों द्वारा बनवाया गया था, किंतु रखरखाव के अभाव में यह किला अब खंडहर हो गया है।
२. लाक्षागढ़: लाक्षागढ़ अत्यंत ऐतिहासिक महत्व और प्रासंगिकता वाली संरचना है क्योंकि माना जाता है कि इस प्राचीन अवशेष का निर्माण दुर्योधन ने महाभारत काल में करवाया था। माना जाता है कि कौरवों ने निर्वासन में रहने वाले पांडवों को मारने के लिए इस महल को जला दिया था। यह महल भी अब खंडहर हो चुका है और एक पुराने टीले जैसा दिखता है। यहां कई ऐतिहासिक इमारतें, गुफाएं और एक आश्रम भी है, जहां गांधीजी ठहरे थे।
३. परीक्षितगढ़ किला: मूल रूप से अर्जुन के पोते राजा परीक्षित द्वारा बनवाए गए इस किले से कई कहानियां और किस्से जुड़े हुए हैं। यहां स्थित गांधारी तालाब का नाम कौरवों की मां गांधारी के नाम पर रखा गया है। पास में ही एक ऋषि श्रृंग आश्रम है। माना जाता है कि यहीं वेदव्यास ने महाकाव्य महाभारत लिखा था। माना जाता है कि मुगल शासन के दौरान 1916 में शाह आलम द्वितीय के समय इसका पुनर्निर्माण किया गया था जिसमें खुदाई के दौरान एक बड़ा चांदी के सिक्कों का बक्सा निकला था।
४. अहमदगढ़ किला: मेरठ से 33 किलोमीटर दूर शिकारपुर में स्थित यह किला वर्तमान में खंडहर हो चुका है और अनुमान है कि इसका निर्माण 10वीं शताब्दी के प्रारंभ में हुआ था।
५.ऊंचा गांव किला: गंगा नदी के किनारे गढ़मुक्तेश्वर में स्थित इस ब्रिटिश काल के किले को अच्छी तरह से बनाए रखा गया है और इसे एक हेरिटेज होटल (Heritage Hotel) में बदल दिया गया है। यहां डॉल्फिन (Dolphin) और मगरमच्छ भी देखे जा सकते हैं।
६ .मिट्टी का किला: 18 वीं शताब्दी के मध्य में जाट शासकों द्वारा निर्मित, इस किले में मूल रूप से सात बुर्ज थे जो अंग्रेजों के संभावित हमलों से ढाल के रूप में काम करते थे। इसे भी अब हेरिटेज होटल में तब्दील कर दिया गया है। यह किला हापुड़ में स्थित है और मेरठ शहर से 22 किलोमीटर दूर है।
७. मुस्तफा महल: मोहम्मद इशाक खान द्वारा अपने पिता मुस्तफा खान शेफ्ता की याद में बनवाया गया यह महल मेरठ के छावनी क्षेत्र में स्थित है। इसे अपनी अनूठी शैली और बेहतरीन वास्तुकला के लिए जाना जाता है।
८.गढ़कुंडार किला:  गढ़कुंडार किला उत्तर प्रदेश में झांसी से 70 किमी दूर स्थित एक ऐतिहासिक स्मारक है। ऐसा माना जाता है कि यह किला 11वीं शताब्दी में बनाया गया था और इसकी पांच मंजिलें हैं, जिनमें तीन जमीन के ऊपर और दो जमीन के नीचे हैं। हालांकि इसके निर्माण की सही तारीख और निर्माता अज्ञात हैं, लेकिन इसे लगभग 1500-2000 साल पुराना माना जाता है। किले पर चंदेलों, बुंदेलों और खंगारों जैसे विभिन्न राजवंशों का शासन रहा है। किला सुरक्षा उद्देश्यों के लिए बनाया गया था और इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह लोगों (उस समय के आक्रांताओं) को भ्रमित कर सके। इसे दूर से ही देखा जा सकता है, लेकिन जैसे-जैसे आप इसके पास जाएंगे, आप पाएंगे कि किले का रास्ता अपनी दिशा बदल रहा है। किले तक पहुंचने का एक और रास्ता है, जो दूर से दिखाई नहीं देता है ।
इसी श्रंखला में, मेरठ और बुंदेलखंड का एक समृद्ध एवं साझा इतिहास रहा है। बुंदेलखंड, मध्य और उत्तर भारत का एक क्षेत्र है, जिसे अपनी समृद्ध संस्कृति और इतिहास के लिए जाना जाता है। यह क्षेत्र एक पर्वत श्रृंखला है और उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश राज्यों के बीच विभाजित है। झांसी, बुंदेलखंड का सबसे बड़ा शहर है। बुंदेलखंड नाम बुंदेला राजवंश से आया है, जिसने 14वीं शताब्दी में चंदेलों के पतन के बाद इस क्षेत्र पर शासन किया था। ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से पहले, इस क्षेत्र में ओरछा, दतिया और समथर जैसी कई रियासतें भी मौजूद थीं। बुंदेलखंड, को विशेषतौर पर अपने ऐतिहासिक किलों के लिए जाना जाता है। ऐतिहासिक रूप से समृद्ध माने जाने वाले ये किले भारतीय संस्कृति और विरासत को दर्शाते हैं। 
बुंदेलखंड के कुछ लोकप्रिय किले निम्नवत दिए गए हैं:
१. कालिंजर दुर्ग: यह बुंदेलखंड का सबसे लोकप्रिय किला है जिसका भारतीय इतिहास में एक निर्विवाद स्थान रहा है। इस किले पर दुश्मनों द्वारा कई बार हमला किया गया, लेकिन हर बार दुश्मनों को मुहं की खानी पड़ी। परिदृश्य फोटोग्राफरों (Landscape Photographers) के लिए यह किला एक सोने की खान माना जाता है क्योंकि कालिंजर किले से उन्हें मनोरम एवं मनमोहक दृश्य दिखाई देते हैं।
२. झाँसी का किला: इस किले का निर्माण ओरछा के राजा बीर सिंह जू देव (1606-27) ने बलवंतनगर (वर्तमान झांसी) शहर में बंगीरा नामक चट्टानी पहाड़ी पर करवाया था। झाँसी का किला 11वीं से 17वीं शताब्दी तक बलवंत नगर में चंदेल राजाओं के गढ़ के रूप में कार्य करता था। इस किले में दस द्वार हैं, तथा यहां पर प्राचीन मूर्तियों का एक समृद्ध संग्रह मौजूद है जो बुंदेलखंड के घटना पूर्ण इतिहास के बारे में एक उत्कृष्ट जानकारी प्रदान करता है।
३. ओरछा किला: यह किला ओरछा में बेतवा नदी के तट पर स्थित है। इस किले का निर्माण बुंदेल शासक रुद्र प्रताप सिंह द्वारा 16वीं शताब्दी में करवाया गया था, जिसे पूरा होने में कई साल लग गए।  किले के परिसर में महलों, मंदिरों, स्मारकों और ऐतिहासिक स्मारकों सहित कई दुर्लभ संरचनाएं शामिल हैं। यह राजसी किला शानदार बुंदेला राजपूतों और उनकी वीरता की कहानियों के बारे में बताता है। किले के परिसर में प्रमुख राजा महल स्थित  है, जो जटिल वास्तुकला का एक नमूना है। इसका एक हिस्सा राजा राम मंदिर के रूप में परिवर्तित है जो देश में एकमात्र ऐसा स्थान है जहां भगवान राम को राजा राम के रूप में पूजा जाता है। किले के परिसर में अन्य लोकप्रिय संरचनाओं में 1605 में बीर सिंह देव द्वारा निर्मित जहांगीर महल, और विशेष रूप से नर्तक-कवि राम प्रवेश के लिए राजा इंद्रजीत द्वारा निर्मित राय प्रवीण महल शामिल हैं। ओरछा किले का ‘लाइट एंड साउंड शो’ (Light And Sound Show) यहां आने वाले पर्यटकों के बीच एक प्रमुख आकर्षण माना जाता है।
४. अजयगढ़ किला: अजयगढ़ किला चंदेल वंश का एक महत्वपूर्ण स्थापत्य स्मारक माना जाता है। चंदेल मंदिर के पास स्थित यह किला चंदेल शासकों के शासनकाल के अंतिम कुछ वर्षों के लिए, चंदेल राजवंश की राजधानी के रूप में कार्य करता था। याद रखें, कि किले में जाने के लिए आपको 500 खड़ी सीढ़ियां चढ़नी होंगी।
अगर आपको भारत के इतिहास और कला को समझने में विशेष रुचि है तो आपको बुंदेलखंड के इन ऐतिहासिक किलों को अवश्य देखना चाहिए। इन किलों ने वर्षों से कई शासकों के उदय और पतन को देखा है और अभी भी उनकी दीवारों में भारत के समृद्ध इतिहास की झलक चित्रकारी द्वारा उकेरी हुई दिखाई देती है। इन किलों की ऐतिहासिक अहमियत को समझते हुए उत्तर प्रदेश सरकार भी बुंदेलखंड क्षेत्र के प्राचीन किलों का जीर्णोद्धार करने और इन्हें पर्यटन के नए केंद्र के रूप में विकसित करने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में अधिकारियों को इन ऐतिहासिक किलों की मरम्मत करने और उन्हें नए पर्यटन स्थलों में बदलने का निर्देश दिया था। 
जिन किलों को नया रूप मिलेगा उनमें कालिंजर किला, झांसी किला, रामपुर किला, समथर किला, बरुआसागर किला, टोडी फतेहपुर किला और जगमनपुर किला शामिल हैं। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए मुख्यमंत्री जी ने इन किलों में कई अतिरिक्त गतिविधियों को जोड़ने का सुझाव दिया है, जिनमें ‘लाइट एंड साउंड शो’ (Light And Sound Shows), ‘कैंपिंग और ट्रैकिंग सुविधाएं’ (Camping And Trekking Facilities), ‘वाटर स्पोर्ट्स और साहसिक पर्यटन गतिविधियां’ (Water Sports And Adventure Tourism Activities) आदि शामिल हैं। साथ ही किलों के पुरातात्विक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को समझते हुए इन किलों पर एक कॉफी टेबल बुक (Coffee Table Book) के निर्माण का भी आह्वान किया गया है। 
 
संदर्भ  
https://bit.ly/3zPDHob 
https://bit.ly/3GFamka 
https://bit.ly/2NhgrVW 
https://bit.ly/43qcYvW 
https://bit.ly/3MDgqxs 
https://bit.ly/3UuLBwx 
 
चित्र संदर्भ 
1. मुस्तफा महल को संदर्भित करता एक चित्रण (prarang)
2. गढ़मुक्तेश्वर किले की दीवार को दर्शाता एक चित्रण (youtube) 
3. लाक्षागढ़ किले को दर्शाता एक चित्रण (youtube) 
4. परीक्षितगढ़ किले को दर्शाता एक चित्रण (youtube) 
5. अहमदगढ़ किले को दर्शाता एक चित्रण (youtube) 
6. ऊंचा गांव किले को दर्शाता चित्रण (wikimedia) 
7. मड फोर्ड को दर्शाता चित्रण (youtube) 
8. मुस्तफा महल को संदर्भित करता एक चित्रण (prarang) 
9. गढ़कुंडार किले को दर्शाता चित्रण (wikimedia) 
10. कालिंजर दुर्ग को दर्शाता चित्रण (wikimedia) 
11. झाँसी के किले को संदर्भित करता एक चित्रण (prarang) 
12. ओरछा किले को दर्शाता चित्रण (prarang) 
13. अजयगढ़ किले को दर्शाता चित्रण (wikimedia) 
14. अजयगढ़ पैलेस का विहंगम दृश्य को दर्शाता चित्रण (wikimedia)