हिमालय की ऊंची चोटियों को भी बौना साबित कर चुकी हैं, मेरठ की तूलिका रानी

पर्वत, पहाड़ियाँ और पठार
25-08-2023 09:36 AM
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हिमालय की ऊंची चोटियों को भी बौना साबित कर चुकी हैं,  मेरठ की तूलिका रानी

कई फीट मोटी बर्फ से लदी हिमालय की चोटियां अपने भीतर कई दिलचस्प और गहरे रहस्यों को छुपाए हुए हैं। ये ऊंची-ऊंची चोटियां कई दशकों से पूरी दुनियां के एडवेंचर प्रेमियों (Adventure Lovers) को अपनी ओर खींचती आ रही हैं। लेकिन, वास्तव में इन्हें पार कर पाना (चढ़ना) इतना भी आसान नहीं है। हालांकि, आज हम अपने मेरठ की एक ऐसी बहादुर बेटी के बारे में जानेंगे, जिसके असीम साहस के आगे हिमालय की विशालकाय चोटियां भी छोटी पड़ गई हैं। हिमालय, एशिया में मौजूद पहाड़ों की एक विशाल श्रृंखला है। ये पहाड़ भारतीय उपमहाद्वीप की समतल भूमि को तिब्बती पठार से अलग करते हैं। इन पहाड़ों में पृथ्वी की कुछ सबसे ऊंची चोटियां हैं, जिनमें सबसे ऊंची माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) भी शामिल है। हिमालय में 7,200 मीटर (23,600 फीट) से अधिक ऊंची 100 से अधिक चोटियां पाई जाती हैं। “हिमालय” नाम संस्कृत के शब्द “हिम+आलय” से आया है, जिसका अर्थ “बर्फ+घर” या “निवास” यानि जहां बर्फ का निवास होता है। हिमालय पांच देशों (नेपाल, चीन, पाकिस्तान, भूटान और भारत) की सीमाओं को छूता या पार करता है। हिमालय की सीमा उत्तर-पश्चिम में काराकोरम और हिंदू कुश पर्वत मालाओं तथा उत्तर में तिब्बती पठार और दक्षिण में सिंधु-गंगा के मैदान से लगती है। दुनिया की कुछ सबसे लंबी नदियां, जैसे सिंधु, गंगा और त्सांगपो-ब्रह्मपुत्र, हिमालय से ही शुरू होती हैं। हिमालयी क्षेत्र से बहने वाली इन नदियों पर लगभग 600 मिलियन यानि लगभग 60 करोड़ लोग निर्भर हैं, वहीं 53 मिलियन लोग इन्हीं हिमालयी क्षेत्रों में रहते हैं। हिमालय का दक्षिण एशिया और तिब्बत की संस्कृतियों पर गहरा प्रभाव रहा है। हिंदू और बौद्ध धर्म में कई पर्वतों को बेहद पवित्र माना जाता है। हिमालय की कंचनजंगा, मचापूछारे, नंदा देवी और कैलाश जैसी कुछ चोटियों पर चढ़ाई की अनुमति नहीं दी जाती है। हिमालय पर्वत का निर्माण भारतीय टेक्टोनिक प्लेट यूरेशियन प्लेट (Indian Tectonic Plate Eurasian Plate) के नीचे खिसकने के कारण हुआ है। चलिए, अब हिमालय से जुड़े कुछ दिलचस्प रहस्यों के बारे में जानते हैं: 1. अस्पष्ट वातावरण: आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया भर में बढ़ते प्रदूषण की समस्याओं के बावजूद, हिमालय के लोग अस्थमा और गठिया जैसी बीमारियों से बहुत दूर रहते हैं। हिमालय की घाटियों में रहने वाले लोगों को अस्थमा, तपेदिक, गठिया, कुष्ठ रोग और त्वचा रोग जैसी बीमारियां छू भी नहीं सकती हैं। तिब्बती लोग औसतन 100 साल तक भी जीवित रहते हैं, और यह स्वस्थता आज भी एक रहस्य बनी हुई है। 2. मानव उत्पत्ति: पृथ्वी पर सबसे पुराने जीवाश्म हिमालय में ही खोजे गए हैं, जिससे पता चलता है कि मनुष्य की उत्पत्ति संभवतः यहीं पर हुई होगी। हालांकि, इस तथ्य की पुष्टि अभी तक नहीं हुई है। यहां पर फल फूल और जड़ी बूटियां भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। 3. गुफाएं और मंदिर: हिमालय में कई मठों और गुफाओं को देखा जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि यहां पर कई तपस्वी हजारों वर्षों से ध्यान कर रहे हैं। विभिन्न धर्मों में इन पर्वतों का इतिहास भी बेहद आध्यात्मिक और पवित्र रहा है। 4. रहस्यमय जानवर: कई जानकार यह दावा करते हैं कि, इन हिमालयों में आज भी यति (Yeti), या हिममानव, रहते हैं। हालांकि, वैज्ञानिक अभी भी इनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते हैं। 5. जादुई जड़ी-बूटियां: हिमालयी क्षेत्र औषधीय गुणों वाली शक्तिशाली जड़ी-बूटियों से भरा पड़ा है। कहा जाता है कि, ये जड़ी-बूटियां कई गंभीर बीमारियों को ठीक कर सकती हैं और जीवन प्रत्याशा को बढ़ाती हैं। हालांकि, इनकी पूरी क्षमता को अभी तक समझा नहीं जा सका है। 6. रहस्यमय स्थान: कुछ हिमालयी स्थानों पर, मोबाइल फोन आश्चर्यजनक रूप से अच्छे से काम करते हैं, लेकिन केवल एक या दो कदम चलने पर ही वह काम करना बंद कर देते हैं। इसके पीछे का कारण आज भी अज्ञात बना हुआ है। 7. गुरुडोंगमार झील: गुरुडोंगमार, 17,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित एक ऐसी झील है, जहां वर्ष के अधिकांश समय में जमा देने वाला तापमान रहता है। लेकिन, आपको जानकर हैरानी होगी कि, इस बेहद ठंडे वातावरण के बावजूद कंचनजंगा पर्वत शृंखला के सामने स्थित “गुरुडोंगमार झील” कभी नहीं जमती है। एक स्थानीय कहानी के अनुसार गुरु पद्मसंभव ने झील के एक हिस्से को अविरल रहने का आशीर्वाद दिया था। 8. ज्ञानगंज: हिमालय की गहराइयों में छिपा हुआ ज्ञानगंज, रहस्यमय योगियों और सिद्ध पुरुषों की स्थली मानी जाती है। यह अभयारण्य, सामान्य लोगों की समझ और दृष्टि से भी बाहर है, यहां केवल हृदय और आत्मा से शुद्ध लोग ही आ सकते हैं। 9. नंदा देवी: कई लोगों के लिए “नंदा देवी पर्वत” आज भी एक अनसुलझी पहेली की तरह है। माना जाता है कि वैज्ञानिकों के एक समूह ने परमाणु सामग्री को समझने के लिए इसके टॉप पर एक विशेष परमाणु उपकरण लगाने की कोशिश की थी। लेकिन, ऐसा कहा जाता है कि, वे लोग इन मिशन को पूरा नहीं कर सके और उन्होंने बेहद खतरनाक प्लूटोनियम (Plutonium) का एक गुच्छा वहीं छोड़ दिया जो कि अभी तक नहीं मिला है। कई जानकार मानते हैं कि नंदा देवी पर्वत पर परमाणु सामग्री छोड़ना भविष्य में हमारे लिए एक बड़ी गलती साबित होगी। 10. ब्रोकपा समुदाय: जम्मू कश्मीर के सुदूर इलाकों में ब्रोकपा नामक एक समुदाय रहता है, जहां के लोग खुद को प्राचीन आर्य वंश के अंतिम वंशज बताते हैं। ये लोग यूरोपीय लोगों जैसी शारीरिक विशेषताओं वाले प्रतीत होते हैं, और अपनी विरासत को संरक्षित करने के लिए अपने रीति-रिवाजों और परंपराओं को आज भी कायम रखे हुए हैं। 11. रूपकुंड झील: पहाड़ों में समुद्र से 16,500 फीट की ऊंचाई पर, “रूपकुंड” नामक यह आश्चर्यजनक बर्फीली झील है। गर्मियों में जब यहां की बर्फ पिघलना शुरू होती है तब इस झील से जमे हुए पानी से सैकड़ों कंकाल बाहर निकलने लगते हैं। कुछ कंकालों में अभी भी त्वचा के टुकड़े, बाल और यहां तक कि पुराने जमाने के चमड़े के कपड़े मौजूद हैं। कुछ लोग कहते हैं कि, वे द्वितीय विश्व युद्ध के बचे हुए सैनिक हैं, जबकि अन्य सोचते हैं कि, यह किसी शाही परिवार का कोई अभिशाप है। 12. पारो तख्तसंग: टाइगर्स नेस्ट (Tigers Nest) के नाम से मशहूर पारो तख्तसंग नामक जगह की कहानी बेहद दिलचस्प है। इसका निर्माण 1692 में हुआ और इसका नाम गुरु पद्मसंभव से जुड़ी एक कहानी के आधार पर पड़ा। कहानी के अनुसार वह ध्यान करने के लिए बाघ की पीठ पर बैठकर, यहां की एक गुफा में पहुंचे। एक खड़ी चट्टान के किनारे पर स्थित, इस मठ की चढ़ाई करना आज भी चुनौती-पूर्ण माना जाता है। 12. ओम पर्वत: “ओम पर्वत” एक ऐसा पहाड़ है, जिसकी चोटी पर विशालकाय “ओम” (ॐ) की पवित्र आकृति बनती है। 13. कैलाश पर्वत: समुद्र तल से 21,000 फीट ऊपर स्थित कैलाश पर्वत के बारे में माना जाता है कि, यहां स्वयं भगवान शिव निवास करते हैं। कई लोगों ने इस पर चढ़ने की भी कोशिश की है, लेकिन, यह सभी के लिए मुश्किल साबित हुआ।
कैलाश पर्वत के साथ-साथ इन हिमालयी श्रृंखलाओं में कई ऐसे पहाड़ हैं, जिन्हें चढ़ना कई अनुभवी लोगों के लिए भी असंभव माना जाता है। लेकिन, आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि, मेरठ की रहने वाली “तूलिका रानी” दुनियाभर के कई चुनौतीपूर्ण पहाड़ों पर चढ़ चुकी हैं। इसी वजह से आज वह नारी शक्ति के लिए बड़ी मिसाल बन गई हैं। तूलिका ने अपनी प्रबल इच्छाशक्ति के बलबूते एशिया का सबसे ऊंचा ज्वालामुखी भी फ़तह कर लिया। तूलिका ने अब तक माउंट एवरेस्ट की कई चोटियों को फतह किया है। तूलिका 8848 मीटर ऊंचे माउंट एवरेस्ट समेत दुनिया की कई ऊंची चोटियों पर सफलतापूर्वक अपना अभियान पूरा कर चुकी हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/yjdyu98r
https://tinyurl.com/4y4favtx
https://tinyurl.com/2p96bzmy
https://tinyurl.com/2p9xunm3

चित्र संदर्भ
1. पहाड़ की चोटी पर बैठी महिला को दर्शाता चित्रण (staticflickr)
2. हिमालय की ऊंची चोटियों को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
3. हिमालय के वृहिंगम दृश्य को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
4. पहाड़ी लोगो को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
5. हिमालय घाटी को दर्शाता चित्रण (G Adventures)
6. हिमालय में मंदिर को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
7. यति को दर्शाता चित्रण (Pxfuel)
8. कीड़ा जड़ी को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
9. पहाड़ों में एक संरचना को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
10. गुरुडोंगमार झील को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
11. एक काल्पनिक दृश्य को दर्शाता चित्रण (flickr)
12. नंदा देवी को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
13. ब्रोकपा समुदाय को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
14. रूपकुंड झील में नर कंकालों को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
15. पारो तख्तसंग को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
16. ओम पर्वत को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
17. कैलाश पर्वत को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)
18. माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)