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अजंता की ये गुफाएं महाराष्ट्र राज्य के छत्रपति संभाजीनगर (पूर्व औरंगाबाद) जिले में, दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर लगभग 480 ईस्वी के समयकाल तक, 29 चट्टानों को काटकर बनाई गई बौद्ध गुफा स्मारक हैं। अजंता की गुफाएं यूनेस्को(UNESCO) विश्व धरोहर स्थल भी हैं। इन्हें सार्वभौमिक रूप से, बौद्ध धार्मिक कला की उत्कृष्ट कृतियों में से एक माना जाता हैं। गुफाओं में चित्रकारी तथा पत्थर में तराशी गई मूर्तियां भी शामिल हैं, जिन्हें प्राचीन भारतीय कला के बेहतरीन जीवित उदाहरणों में से एक माना जाता है।यहां का अभिव्यंजक चित्र विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जो अपने हावभाव, मुद्रा एवं अपने रूप के माध्यम से भावनाओं को प्रस्तुत करता है।
दरअसल, इन गुफाओं का निर्माण दो चरणों में किया गया था। पहला चरण ईसा पूर्व दूसरी
शताब्दी के आसपास शुरू हुआ था, जबकि दूसरा चरण, लगभग 400 से 650 ईस्वी के बीच, या फिर
460-480 ईस्वी की संक्षिप्त अवधि में पूरा हुआ था।
अजंता की गुफाएं 75 मीटर (246 फीट)
ऊंची चट्टान की दीवार में उकेरी गई हैं। इसमें विभिन्न बौद्ध परंपराओं के प्राचीन
मठों (विहार) और पूजा-कक्षों (चैत्य) का निर्माण किया गया हैं। इन गुफाओं में
बुद्ध के पिछले जन्मों तथा पुनर्जन्मों को दर्शाने वाली चित्रकारी, आर्यासुर की
जातकमाला की सचित्र कहानियां एवं चट्टानों को काटकर बनाई गई बौद्ध देवताओं की मूर्तियां
भी मौजूद हैं।
संदर्भ