भारतीय परंपरा में माना जाता है कि सातवाहन राजा शालिवाहन ने शक शासकों (Saka rulers) को हराने के बाद प्रारंभिक भारतीय कैलेंडर की स्थापना की जिसे शक कैलेंडर के रूप में जाना जाता है। लेकिन शक युग की उत्पत्ति आज भी अत्यधिक विवादास्पद है। विद्वानों के अनुसार, शक युग की शुरुआत 78 ई. में इंडो-सीथियन (Indo-Scythian) राजा चश्ताना के राज्यारोहण से हुई थी। शकों द्वारा जारी कैलेंडर एक सौर कैलेंडर है जिसका उपयोग ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian calendar) के साथ-साथ भारत के राजपत्र में, ऑल इंडिया रेडियो (All India Radio) द्वारा समाचार प्रसारण में किया जाता है। इसके अलावा भारत सरकार द्वारा जारी कैलेंडर और आधिकारिक संचार में भी इसका उपयोग किया जाता है। शक संवत आम तौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर से 78 वर्ष पीछे है।
ऐतिहासिक भारतीय प्रभाव के कारण, शक कैलेंडर का उपयोग इंडोनेशियाई हिंदुओं (Indonesian Hindus) के बीच जावा (Java) और बाली (Bali) में भी किया जाता है। न्येपी, "मौन का दिन", बाली में शक नव वर्ष के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। नेपाल का नेपाल संबत शक कैलेंडर से विकसित हुआ है। जैसा कि लगुना ताम्रपत्र शिलालेख (laguna copper plate inscription) में लिखा गया है, शक कैलेंडर का उपयोग आधुनिक फिलीपींस (Philippines) के कई क्षेत्रों में भी किया जाता था। भारत में, युगाब्द का प्रयोग शक/नेपाल संबत के संबंधित महीनों के साथ भी किया जाता है। युगाब्द भारतीय ज्योतिष द्वारा संरक्षित कलियुग सांख्य पर आधारित है। कलियुग 5,125 वर्ष पहले शुरू हुआ था और 2024 ईस्वी तक 426,875 वर्ष शेष हैं। कलियुग का अंत वर्ष 428,899 ईस्वी में होगा।
ग्रेगोरियन कैलेंडर के महीने आमतौर पर हिंदू और बौद्ध कैलेंडर के साथ उपयोग किए जाने वाले नक्षत्र राशि चक्र की बजाय उष्णकटिबंधीय (tropical) राशि चक्र के संकेतों का अनुसरण करते हैं।
| क्रम संख्या |
नाम (संस्कृत) |
दिन |
आरंभ तिथि (ग्रेगोरियन) |
उष्णकटिबंधीय राशि चक्र |
| 1 |
चैत्र |
30/31 |
21/22 मार्च |
मेष |
| 2 |
वैशाख |
31 |
21 अप्रैल |
वृषभ राशि |
| 3 |
ज्येष्ठ |
31 |
22 मई |
मिथुन राशि |
| 4 |
आषाढ़ |
31 |
22 जून |
कर्क |
| 5 |
श्रावण |
31 |
23 जुलाई |
सिंह |
| 6 |
भाद्रपद |
31 |
23 अगस्त |
कन्या |
| 7 |
आश्विन |
30 |
23 सितम्बर |
तुला |
| 8 |
कार्तिक |
30 |
23 अक्टूबर |
वृश्चिक |
| 9 |
अग्रहायण/मार्गशीर्ष |
30 |
22 नवंबर |
धनुराशि |
| 10 |
पौष |
30 |
22 दिसंबर |
मकर |
| 11 |
माघ |
30 |
21 जनवरी |
कुंभ राशि |
| 12 |
फाल्गुन |
30 |
20 फरवरी |
मीन राशि |
शक कलैण्डर आधिकारिक उपयोग 1 चैत्र, 1879 शक् युग, या 22 मार्च 1957 में आरम्भ किया गया था। हालाँकि, सरकारी अधिकारियों ने ग्रेगोरियन कैलेंडर के नये साल के बजाय धार्मिक कैलेंडर के नये साल को प्राथमिकता दी है। भारत में प्रयोग होने वाला एक अन्य कलैंडर है विक्रमी कैलेंड जिसे विक्रम संवत के नाम से जाना जाता है, यह भारतीय उपमहाद्वीप और नेपाल में इस्तेमाल किया जाने वाला ऐतिहासिक हिंदू कैलेंडर है। विक्रम संवत् या विक्रमी भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित हिन्दू पंचांग है।भारत में यह अनेकों राज्यों में प्रचलित पारम्परिक पञ्चाङ्ग (Almanac) है। नेपाल के सरकारी संवत् के रुप मे विक्रम संवत् ही चला आ रहा है। इसमें चन्द्र मास एवं सौर नक्षत्र वर्ष (solar sidereal years) का उपयोग किया जाता है। प्रायः माना जाता है कि विक्रमी संवत् का आरम्भ 57 ई.पू. में हुआ था।

विक्रम संवत कैलेंडर एक प्राचीन और मध्यकालीन युग का कैलेंडर है, जिसका नाम महान राजा विक्रमादित्य के नाम पर रखा गया है। लेकिन "विक्रम संवत" शब्द 9वीं शताब्दी से पहले के ऐतिहासिक रिकॉर्ड में नहीं मिलता है। हालांकि, यह सुझाव दिया जाता है कि यह युग, उज्जैन से शकों को निष्कासित करने वाले राजा विक्रमादित्य की स्मृति पर आधारित था, लेकिन इस सिद्धांत का कोई ऐतिहासिक आधार नहीं है। 9वीं शताब्दी में, पुरालेख कला (archival art) में विक्रम संवत का उपयोग शुरू हुआ, और समय के साथ यह हिंदू कैलेंडर युग के रूप में लोकप्रिय हो गया। वहीँ बौद्ध और जैन पुरालेख बुद्ध या महावीर पर आधारित युग का उपयोग करते रहे। भारतीय परंपरा में मुहूर्त का विशेष महत्व है जिसके लिए कैलेंडर का उपयोग किया जाता है।
मुहूर्त हिंदू कैलेंडर में निमिषा, काष्ठा और काल के साथ-साथ समय मापने की एक हिंदू इकाई है। हिन्दू धर्म में मुहूर्त एक समय मापन इकाई है। वर्तमान हिन्दी भाषा में इस शब्द को किसी कार्य को आरम्भ करने की "शुभ घड़ी" को कहने लगे हैं। एक मुहूर्त लगभग दो घड़ी या 48 मिनट के बराबर होता है। प्रत्येक मुहूर्त को 30 कला में विभाजित किया गया है, (1 कला = 1.6 मिनट या 96 सेकंड)। प्रत्येक कला को 30 काष्ठा (1 काष्ठा ≈ 3.2 सेकंड) में विभाजित किया गया है। मुहूर्त संस्कृत के मूल शब्दों मुहु (क्षण/तत्काल) और ऋता (क्रम) का संयोजन है। ऋग् वेद III.33.5 में इसका विस्तृत उल्लेख किया गया है। ऋत ऋतुओं के प्राकृतिक, वार्षिक क्रम को संदर्भित करता है, इसलिए मुहूर्त इनके दैनिक प्रतिबिंब को संदर्भित करता है।

परंपरागत रूप से मुहूर्त की गणना वसंत विषुव पर सुबह 06:00 बजे सूर्योदय से की जाती है, जो कि वैदिक नव वर्ष है। इस दौरान सभी नक्षत्र अपनी चरम सीमा को पार नहीं कर रहे होते हैं, इसलिए किसी भी स्थिति में यह स्पष्ट नहीं होता है कि कौन सा नक्षत्र मुहूर्त की अध्यक्षता कर रहा है। फिर भी यह स्पष्ट है कि सहसंबद्ध नक्षत्रों (Correlated constellations) की एक या अधिक प्रमुख विशेषताएं, जिनसे बाद के मुहूर्तों के नाम निकले, ध्रुवीय अक्ष (polar axis) पर उन्हीं के खगोलीय देशांतर के भीतर आते हैं।
| क्रमांक |
समय |
मुहूर्त |
गुण |
| 1 |
06:00 - 06:48 |
रुद्र |
अशुभ |
| 2 |
06:48 - 07:36 |
आहि |
अशुभ |
| 3 |
07:36 - 08:24 |
मित्र |
शुभ |
| 4 |
08:24 - 09:12 |
पितॄ |
अशुभ |
| 5 |
09:12 - 10:00 |
वसु |
शुभ |
| 6 |
10:00 - 10:48 |
वाराह |
शुभ |
| 7 |
10:48 - 11:36 |
विश्वेदेवा |
शुभ |
| 8 |
11:36 - 12:24 |
विधि |
शुभ - सोमवार और शुक्रवार को छोड़कर |
| 9 |
12:24 - 13:12 |
सतमुखी |
शुभ |
| 10 |
13:12 - 14:00 |
पुरुहूत |
अशुभ |
| 11 |
14:00 - 14:48 |
वाहिनी |
अशुभ |
| 12 |
14:48 - 15:36 |
नक्तनकरा |
अशुभ |
| 13 |
15:36 - 16:24 |
वरुण |
शुभ |
| 14 |
16:24 - 17:12 |
अर्यमा |
शुभ - रविवार को छोड़कर |
| 15 |
17:12 - 18:00 |
भग |
अशुभ |
| 16 |
18:00 - 18:48 |
गिरीश |
अशुभ |
| 17 |
18:48 - 19:36 |
अजपाद |
अशुभ |
| 18 |
19:36 - 20:24 |
अहिर बुध्न्य |
शुभ |
| 19 |
20:24 - 21:12 |
पुष्य |
शुभ |
| 20 |
21:12 - 22:00 |
अश्विनी |
शुभ |
| 21 |
22:00 - 22:48 |
यम |
अशुभ |
| 22 |
22:48 - 23:36 |
अग्नि |
शुभ |
| 23 |
23:36 - 24:24 |
विधातॄ |
शुभ |
| 24 |
24:24 - 01:12 |
क्ण्ड |
शुभ |
| 25 |
01:12 - 02:00 |
अदिति |
शुभ |
| 26 |
02:00 - 02:48 |
जीव/अमृत |
बहुत शुभ |
| 27 |
02:48 - 03:36 |
विष्णु |
शुभ |
| 28 |
03:36 - 04:24 |
युमिगद्युति |
शुभ |
| 29 |
04:24 - 05:12 |
ब्रह्म |
बहुत शुभ |
| 30 |
05:12 - 06:00 |
समुद्रम् |
शुभ |
अमृत/जीव मुहूर्त और ब्रह्म मुहूर्त बहुत श्रेष्ठ होते हैं ; ब्रह्म मुहूर्त सूर्योदय से पच्चीस नाड़ियां पूर्व, यानि लगभग दो घंटे पूर्व होता है। यह समय योग साधना और ध्यान लगाने के लिये सर्वोत्तम कहा गया है।
संदर्भ :
https://shorturl.at/fzZ06
https://shorturl.at/eikD4
https://shorturl.at/oqsOU
https://shorturl.at/jsKO8
चित्र संदर्भ
1. शक कैलेंडर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. गोरखा (बाद में नेपाल के) राजा पृथ्वी नारायण शाह की मुहर ने शक युग 1685 (ई. 1763) को दिनांकित किया जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. महाराजा विक्रमादित्य को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. शुभ मुहूर्त शब्द को दर्शाता एक चित्रण (prarang)