भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हमारे शहर और मेरठ कॉलेज के छात्रों का योगदान

औपनिवेशिक काल और विश्व युद्ध : 1780 ई. से 1947 ई.
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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हमारे शहर और मेरठ कॉलेज के छात्रों का योगदान

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम युद्ध के इतिहास में हमारे शहर मेरठ का नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। सिपाही विद्रोह (sepoy mutiny), जिसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला युद्ध कहा जाता है, हमारे शहर मेरठ में स्थित अंग्रेजों की छावनी से शुरू हुआ था, जिसे अंग्रेजों द्वारा 1803 में स्थापित किया गया था। दमनकारी कानूनों और नियमों की एक श्रृंखला के बाद, भारतीय अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह करने के अवसर की प्रतीक्षा कर रहे थे। लेकिन 9 मई 1857 को मेरठ के सिपाहियों के सब्र का बांध तब टूट गया जब सैनिकों ने एनफील्ड कारतूस को मुँह से छीलकर चलाने से मना कर दिया, जिसके बदले में अंग्रेजों ने उन्हें लंबी कैद की सजा सुना दी। उनके पैरों में बेड़ियाँ डाल दी गई और उन्हें जेल में डाल दिया गया। इससे उनके साथी सिपाहियों का गुस्सा विद्रोह के रूप में फूट पड़ा। अगले दिन 10 मई 1857 को ब्रिटिश सेना के पीड़ित भारतीय सैनिकों ने ब्रिटिश अधिकारियों को गोली मार कर मेरठ की इस धरती पर शाही शक्तियों के खिलाफ अपनी लड़ाई शुरू की। 10 मई, 1857 को, जब मेरठ के यूरोपीय निवासी चर्च में भाग ले रहे थे, तो बंदूकों की आवाज और धुएं के गुबार ने उन्हें देशी सैनिकों के विद्रोह का संकेत दिया। सिपाहियों ने विद्रोह करते हुए सत्ता का केंद्र और मुगलकालीन भारत की राजधानी दिल्ली की ओर कूच किया। मेरठ से शुरू हुई चिंगारी जल्द ही पूरे भारत में फैल गई और स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रवादी संघर्ष का रूप ले लिया। आजादी की लड़ाई को कुचलने में अंग्रेजों को एक साल लग गया। फिर भी, मेरठ में शुरू हुआ भारतीय स्वतंत्रता का पहला युद्ध पूरे देश में देशभक्तों को प्रेरित करता रहा। इसने 19वीं सदी के उत्तरार्ध में संगठित राष्ट्रीय आंदोलन का मार्ग प्रशस्त किया।
क्या आप जानते हैं कि स्वतंत्रता के लिये अंग्रेजों के विरुद्ध न केवल हमारे शहर के स्वतंत्रता सेनानियों ने संघर्ष किया बल्कि हमारे मेरठ कॉलेज के छात्रों एवं उनके कर्मचारियों ने भी स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था । 1892 में स्थापना के बाद से ही हमारे शहर के मेरठ कॉलेज के छात्रों और कर्मचारियों ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। दमनकारी औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध विचारधारा से प्रोत्साहित होकर इसके प्रसार के लिए यहाँ के छात्रों ने कई छात्र क्लबों, समितियों और वाद-विवाद समितियों का गठन किया। कॉलेज के शिक्षकों द्वारा छात्रों को स्वतंत्रता आंदोलन के कई पहलुओं से परिचित कराया गया। छात्रों और शिक्षकों द्वारा आर्य समाज के स्वदेश और स्वराज सिद्धांतों का पालन किया गया। मेरठ कॉलेज के सीता राम, डी डी डुथी, बृज भूषण दास और वी एस डबलिश सहित कई छात्रों ने स्वदेशी आंदोलन में भाग लिया और स्वतंत्रता के विचारों को आम लोगों तक फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संकाय द्वारा छात्रों को अपनी संस्कृति और विरासत के प्रति आत्म-सम्मान और गर्व की भावना विकसित करने की शिक्षा दी गई जिससे छात्रों द्वारा आत्म गौरव प्राप्त करने के लिए स्वतंत्रता की लड़ाई में सक्रियता से भाग लिया गया।
मेरठ कॉलेज ने छात्रों के लिए भारतीयों के शोषण के संबंध में अपनी राय विकसित करने के लिए एक माहौल भी बनाया, जिसने उन्हें ब्रिटिश सरकार के कार्यों की आलोचना करने के लिए सशक्त और आत्मविश्वास दिया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मेरठ कॉलेज, कई स्वतंत्रता सेनानियों के लिए लोगों को संबोधित करने का स्थान बन गया। स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिक नेता गोपाल कृष्ण गोखले ने भी कॉलेज का दौरा किया और छात्रों को संबोधित किया और उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ने और स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया था।
आइए अब मेरठ के उन स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं जिन्होंने अंग्रेजों की लाठियों और कैद से न डरकर स्वतंत्रता के लिए संघर्ष में अपना सर्वस्व झोंक दिया। उत्तर प्रदेश राज्य के अभिलेखागार में कई स्वतंत्रता सेनानियों के अभिलिखित संस्मरण दर्ज हैं, जिनमें से कई संस्करण हमारे मेरठ शहर के स्वतंत्रता सेनानियों के हैं। ऐसे ही कुछ मेरठ के स्वतंत्रता सेनानियों की सूची नीचे दी गयी है:
1. श्री बसंत सिंह भृंग - 1942 में हस्तिनापुर, मेरठ में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया।
2. आचार्य दीपांकर शास्त्री -1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लिया।
3. श्री अनुप सिंह त्यागी - 1930 और 1942 के आंदोलनों में भाग लिया।
4. श्री हर दत्त शास्त्री - 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लिया।
5. श्री जगमोहन शर्मा- 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लिया।
6. शहीद चंद्रभान- 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लिया।
7. श्रीदत्त त्रिपाठी- 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लिया।
8. श्री कांति प्रसाद भटनागर- 1930 और 1942 के आंदोलनों में भाग लिया।
9. श्री विद्या सागर दीक्षित- 1930 के आंदोलन में भाग लिया।
10. श्री बाबू राम त्यागी- 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लिया।
11. श्री राजेश्वर शास्त्री- 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया।
12. श्री होतीलाल अग्रवाल- 1940 और 1942 के आंदोलनों में भाग लिया।
13. श्री खचेंडी सिंह- 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया।


संदर्भ
https://shorturl.at/wGIU6
https://shorturl.at/bvwK3
https://shorturl.at/glGK3

चित्र संदर्भ
1. मेरठ कॉलेज को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
2. 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)
3. विद्रोह के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (martinrandall)
4. अंग्रेजों भारत छोड़ो आन्दोलन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)