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हमारा देश भारत विविधता का देश है। यह विविधता देश की विभिन्न इमारतों की स्थापत्य शैली में भी देखी जा सकती है। समय समय पर देश में सत्तारूढ़ हुए विभिन्न राजाओं एवं शासकों द्वारा विभिन्न शैलियों में वास्तुशिल्प कलाकृतियों एवं इमारतों का निर्माण कराया गया, जो आज भी विद्यमान हैं। देसी शासकों द्वारा भारतीय शैली, मुगलों द्वारा इस्लामिक शैली, तथा अंग्रेजों द्वारा ग्रीक और रोमन शास्त्रीय वास्तुकला शैली में इमारतों का निर्माण कराया गया। 1857 के विद्रोह के बाद, अंग्रेजों ने इस्लामिक, नियो-गॉथिक और शास्त्रीय शैलियों के तत्वों के मिश्रण से युक्त शैली में इमारतों का निर्माण कराया, जिससे इंडो सारासेनिक वास्तुकला (Indo Saracenic) का जन्म हुआ। आइए आज के अपने इस लेख में, हम इंडो सारासेनिक वास्तुकला के विषय में विस्तार से जानते हैं। साथ ही भारत में इस शैली में निर्मित इमारतों के कुछ उदाहरण भी देखते हैं।
इंडो सारासेनिक वास्तुकला को इंडो-गॉथिक, नव-मुगल, मुगल-गॉथिक या हिंदू शैली की वास्तुकला के रूप में भी जाना जाता है। 'सारासेन' (Saracen)शब्द का उपयोग खानाबदोशों या 'रेगिस्तानी लोगों' के लिए किया जाता था। बाद में इस शब्द का उपयोग अरब या मुस्लिम के लिए किया जाने लगा। भारत में अधिकांशतः पुरानी सरकारी और सार्वजनिक इमारतें इसी शैली में बनी हुई है। इंडो सारासेनिक शैली में बनी अधिकांश इमारतों की मुख्य विशेषता बल्बनुमा गुंबद हैं जिनके ऊपर लटकते ब्रैकेट वाले कंगनी बने हुए हैं। इन इमारतों में असंख्य डिजाइनों में मेहराब बनाए गए हैं। पश्चिम बंगाल इमारतों की छतें घुमावदार थीं। इस शैली की एक और उल्लेखनीय विशेषता शिखरों, मीनारों और टावरों का व्यापक उपयोग है। इन इमारतों के प्रवेश द्वारों को 'इवान' कहा जाता था। इनको प्रायः धनुषाकार अग्रभाग के नीचे बनाया जाता था। इस शैली की सजावट इस्लामी और हिंदू शैली से मिलती है। खिड़कियों और बालकनियों में जालीदार या छिद्रित दरवाजों या स्क्रीन का उपयोग आम था। आइए अब इस शैली में बनी विभिन्न इमारतों के उदाहरण देखते हैं:
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, मुंबई:
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस इंडो सारसेनिक वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है। इमारत में कई गुंबददार छतों के साथ-साथ कई शिखर भी हैं। इसे फ्रेडरिक विलियम स्टीवंस (Frederick William Stevens) और एक्सल हैग (Axel Haig) द्वारा डिजाइन किया गया था। वास्तव में यह प्रतिष्ठित इमारत देश की आर्थिक राजधानी मुंबई का प्रतीक है। 2004 में इसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site) के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।
काचीगुडा रेलवे स्टेशन, हैदराबाद:
हैदराबाद का काचीगुड़ा रेलवे स्टेशन इंडो-सारसेनिक वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है। यह रेलवे स्टेशन 1916 में हैदराबाद के निज़ाम द्वारा बनवाया गया था। इस रेलवे स्टेशन में इस शैली में बनी कमल की आकृतियाँ, गुंबद, छतरियाँ और बहुत कुछ मौजूद हैं।
सामान्य डाकघर, मुंबई
इंडो-सारसेनिक शैली में बनी यह भव्य इमारत बेहद आकर्षक है। यह इमारत कर्नाटक के गोल गुंबज की तर्ज पर बनाई गई है। इसका निर्माण 1904 में शुरू हुआ था और 1913 में पूरा हुआ था। इस इमारत में काले बेसाल्ट पत्थर का प्रयोग बहुलता के साथ किया गया है। यहां एक युद्ध स्मारक पट्टिका लटकी हुई है, इसमें प्रथम विश्व युद्ध में मारे गए ब्रिटिश भारतीय सेना के कर्मचारियों के नामों का उल्लेख है।
मैसूर पैलेस, कर्नाटक:
मैसूर पैलेस वास्तुकला की इंडो-सारसेनिक शैली का एक सुंदर उदाहरण है। इस महल को 1897 से 1912 के बीच बनाया गया था। यह आज भी वाडियार राजवंश का आधिकारिक निवास है। इसकी वास्तुकला में हिंदू, मुगल, राजपूत और गोथिक शैली का भी मिश्रण किया गया है।
विक्टोरिया मेमोरियल, कोलकाता:
कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल की खूबसूरती को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। इंडो-सारसेनिक शैली में निर्मित, इस इमारत में मुगल, वेनिस, मिस्र और दक्कन शैली के तत्वों को भी शामिल किया गया है। इस संरचना की गुंबद के ठीक ऊपर विजय का प्रतीक विजयदूत भी बनाया गया है। यह इमारत दूर से देखने में जितनी सुंदर है, अंदर से उतनी ही भव्य है।
औपनिवेशिक शासन के दौरान बनाए गए अधिकांश किलों, इमारतों और स्मारकों पर इंडो-सारसेनिक वास्तुकला के साथ विशिष्ट अंग्रेजी शैली का प्रभाव भी दिखाई देता है। इस शैली को आधुनिक वास्तुकला के नाम से भी जाना जाता है। हालाँकि आधुनिक वास्तुकला में बांस, लाल पत्थर, लकड़ी, कपास फाइबर जैसी सामग्रियों का उपयोग अधिक किया गया था। वर्तमान राष्ट्रपति भवन, जिसे मूल रूप से भारत के तत्कालीन वायसराय के लिए बनाया गया था और इसका नाम 'वायसराय हाउस' रखा गया था, नवशास्त्रीय वास्तुकला की शुरुआती इमारत है।
इसके अलावा संसद भवन, दिल्ली, गेटवे ऑफ इंडिया (Gateway of India), मुंबई, लोटस टेम्पल (Lotus Temple), दिल्ली, बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court), मुंबई, छत्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (Chhatrapati Shivaji International Airport), मुंबई, ब्रिटिश काउंसिल बिल्डिंग (The British Council Building), दिल्ली आधुनिक वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण है।
वास्तव में आधुनिक भारतीय वास्तुकला प्रत्येक उस प्रभाव का प्रमाण है जिसका राष्ट्र ने सदियों से अनुभव किया है। बदलते शासकों एवं साम्राज्यों के अनुरूप ढालते हुए भी भारतीय शैली ने अपने मूल रूप को आज तक बनाए रखा है।
संदर्भ
https://shorturl.at/frtvC
https://shorturl.at/wFHT9
https://shorturl.at/iGRS2
https://shorturl.at/mnBZ4
चित्र संदर्भ
1. छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, मुंबई को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. हमारे रामपुर में इंडो-सरसेनिक वास्तुकला के प्रमुख बिंदुओं को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
3. छत्रपति शिवाजी टर्मिनस को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. काचीगुडा रेलवे स्टेशन, हैदराबाद को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. सामान्य डाकघर, मुंबई को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. मैसूर पैलेस, कर्नाटक को दर्शाता एक चित्रण (wallpaperflare)
7. विक्टोरिया मेमोरियल, कोलकाता को दर्शाता एक चित्रण (Wikipedia)
8. गेटवे ऑफ इंडिया को दर्शाता एक चित्रण (Wikipedia)