15 तोपों की सलामी वाली रियासत था हमारा रामपुर

अवधारणा II - नागरिक की पहचान
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15 तोपों की सलामी वाली रियासत था हमारा रामपुर

क्या आप जानते हैं कि हमारा रामपुर संयुक्त प्रांत (वर्तमान उत्तर प्रदेश) की सबसे अमीर रियासत था। अपनी संपत्ति के अलावा, हमारा रामपुर अपने स्वादिष्ट व्यंजनों, शिकारी कुत्तों और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के रामपुर-सहसवान घराने के लिए भी प्रसिद्ध था। 1 दिसंबर 1949 में रामपुर के संयुक्त प्रांत में विलय होने के बाद इसे पश्चिमी खंड में एक ज़िला घोषित कर दिया गया। यूं तो भारत में रामपुर के समान ही कई अन्य रियासतें थीं, लेकिन इन रियासतों के बारे में अधिक सांख्यिकीय जानकारी उपलब्ध नहीं है क्योंकि ब्रिटिश राज के सीधे अधीन क्षेत्रों की तुलना में वहां जनसंख्या जनगणना बहुत कम या न के बराबर होती थी।
हालाँकि, इस मामले में रामपुर कुछ अपवादों में से एक है क्योंकि इसे 1911 में मानद 15 तोपों की सलामी के साथ अपना स्वयं का गज़ेटियर मिला था। तो, आइए आज के इस लेख में हम ब्रिटिश शासन के दौरान रामपुर और भारत की अन्य महत्वपूर्ण रियासतों के बारे में जानते हैं। साथ ही यह भी जानते हैं कि स्वतंत्रता के बाद कौन-कौन सी रियासतें पाकिस्तान में चली गईं और आज उनकी स्थिति कैसी है। भारतीय रियासतें भारतीय उपमहाद्वीप के वे राज्य थे, जिन पर अंग्रेजों ने विजय नहीं पाई थी, लेकिन जो आम तौर पर पहले ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) और फिर ब्रिटिश शासन के साथ संधि द्वारा बंधे हुए थे। इसके परिणामस्वरूप कई भारतीय राजकुमारों को 'संरक्षित' का दर्जा प्राप्त था। सबसे पहले पुर्तगाली, फ्रांसीसी और ब्रिटिश व्यापारियों के साथ आकर्षक व्यवस्था का आनंद लेते हुए, अधिकांश स्वतंत्र भारतीय शासक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ संधि के तहत जुड़े हुए थे।
इस संधि के तहत, ईस्ट इंडिया कंपनी और 1858 के बाद से ब्रिटिश शासन द्वारा इन रियासतों को सैन्य सहायता प्रदान की जाती थी, लेकिन बदले में इनसे मनमाना धन वसूला जाता था और आगे चलकर विदेशी शासको द्वारा इन देसी शासकों पर अपने निरीक्षकों और विदेश नीतियों को थोप दिया गया। इस प्रणाली के तहत ईस्ट इंडिया कंपनी का संरक्षण लेने वाली पहली रियासत 1798 में हैदराबाद थी। हैदराबाद के निज़ाम ने वार्षिक शुल्क के बदले में ईस्ट इंडिया कंपनी से सैन्य सहायता ली और 1799 में कंपनी के साथ एक संधि पर हस्ताक्षर किए। गवर्नर-जनरल लॉर्ड वेलेस्ले (Lord Wellesley) ने अगले सात वर्षों में इस तरह की लगभग 100 संधियों को अंजाम दिया। आमतौर पर, एक रियासत में एक स्थायी ब्रिटिश रेज़िडेंट होता था जो कंपनी का प्रतिनिधित्व करता था, और कुछ राज्यों की सीमाओं के भीतर एक गैरीसन भी होता था। 1947 के बाद रियासतों का स्वतंत्र भारत या पाकिस्तान में विलय कर दिया गया और उनके शासकों की अंततः पेंशन बंद कर दी गई। इन रियासतों की संख्या का सही आकलन करना थोड़ा कठिन है। फिर भी इनकी संख्या लगभग 550 से 700 के बीच थी। यदि जनसंख्या की बात की जाए, तो 1857 में इन रियासतों के तहत लगभग 180 मिलियन निवासी आते थे। एक दिलचस्प बात यह है कि अंग्रेजों द्वारा इन शासकों को 'राजा' नहीं, बल्कि 'राजकुमार' और उनके क्षेत्रों को 'राज्य' नहीं, बल्कि 'रियासत' कहा जाता था, ताकि इन शब्दों से लगातार इन रियासतों के शासको को याद दिलाया जा सके, कि ब्रिटिश सम्रागी सर्वोच्च है।
कुछ सबसे महत्वपूर्ण भारतीय रियासतों के नाम निम्नलिखित हैं:
- बहावलपुर
- बड़ौदा
- बस्तर
- भोपाल
- बीकानेर
- कोचीन
- कच्छ
- गुजरात
- ग्वालियर
- हैदराबाद
- इंदौर
- जयपुर
- जैसलमेर
- जम्मू
18वीं और 19वीं शताब्दी की उथल-पुथल के बावजूद अंग्रेजों के संरक्षण के कारण, रामपुर के नवाब भी अपने राज्य को अक्षुण्ण बनाए रखने में सक्षम रहे। जब उन्होंने अंग्रेजों के साथ ऐसी ही एक संधि पर हस्ताक्षर किए, तो रामपुर भी ब्रिटिश भारत की रियासत बन गया, जिसे 15 तोपों की सलामी प्राप्त थी। ब्रिटिश प्रणाली के तहत किसी रियासत को कितनी तोपों की सलामी दी जाने की आवश्यकता है, इससे रियासतों की रैंकिंग निश्चित की जाती थी। भारत की स्वतंत्रता के बाद रामपुर 1949 में भारतीय संघ में विलय करने वाली पहली रियासत बन गया। उस दौरान यह नवाब रज़ा अली खान के अधीन था।
आइए अब ऐसी कुछ रियासतों के नाम जानते हैं जो स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान का हिस्सा बन गईं:
बहावलपुर: वर्तमान में बहावलपुर पंजाब प्रांत में स्थित पाकिस्तान का 12वां सबसे बड़ा शहर है। यह चोलिस्तान रेगिस्तान में देरावर किले के पास स्थित है। आज़ादी के बाद, बहावलपुर के नवाब सादिक मुहम्मद खान पहले व्यक्ति बने जिन्होंने 3 अक्टूबर 1947 को अपने राज्य को पाकिस्तान में शामिल कर लिया।
खैरपुर: वर्तमान में यह पाकिस्तान के सिंध प्रांत का 12वाँ सबसे बड़ा शहर है। मीर शोएब खान ने 1783 में इसकी स्थापना की थी। 3 अक्टूबर 1947 को, खैरपुर पाकिस्तान में शामिल हो गया।
चित्राल: पाकिस्तान की सुंदरता का प्रतीक और ऊंचे पहाड़ों का घर, चित्राल खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में चित्राल नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। पाकिस्तान में चित्राल का विलय 15 अगस्त 1957 को चित्राल के नवाब मुजफ्फर-उल-मुल्क द्वारा हुआ।
स्वात: 3 नवंबर 1947 को पाकिस्तान में स्वात का विलय किया गया था। विलय के कुछ दशकों बाद तक स्वात पर एक रियासत के रूप में शासन किया गया।
हुंजा: हुंजा घाटी गिलगित बाल्टिस्तान प्रांत के सुदूर उत्तरी भाग में स्थित है। यह सबसे छोटी रियासत थी और जम्मू-कश्मीर के महाराजा के अधीन थी।
नागर: नागर, एक खूबसूरत पहाड़ी स्थान है, जिसे गिलगित बाल्टिस्तान प्रांत के ज़िले के रूप में जाना जाता है। लोकप्रिय काराकोरम राजमार्ग (पाकिस्तान और चीन का सड़क मार्ग) यहां से होकर गुज़रता है। नागर एक छोटा घाटी राज्य था। यहां के शासक शौकत अली खान ने 18 नवंबर 1947 को इसे पाकिस्तान के क्षेत्र में शामिल कर लिया।
अंब: अंब खैबर पख्तूनख्वा में स्थित एक गांव है और सिंधु नदी के तट पर स्थित है। 31 दिसंबर 1947 को अंब पाकिस्तान में शामिल हो गया। यह पाकिस्तान के क्षेत्र के भीतर एक स्वायत्त राज्य था और फिर 1969 में नवाब फ़रीद खान की मृत्यु के बाद प्रांत में शामिल किया गया था।
फ़ुरा : लगभग 8,000 की आबादी वाला, फुरा खानते अंब के पास स्थित है। नवाब अता मुहम्मद खान, जो फुरा के अंतिम नवाब थे, पाकिस्तान में विलय के संबंध में अंब के नवाब से सहमत थे। जिसके कारण फ़ुरा को पूरी तरह से उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत का हिस्सा बना लिया गया।
लास बेला: लास बेला बलूचिस्तान प्रांत का जिला है। यह 30 जून 1954 को कलात डिवीज़न में एक अलग ज़िला बन गया। यद्यपि मार्च 1948 को लास बेला के शासक ने इसका विलय किया था, लेकिन इसे 17 मार्च 1948 को स्वीकृति मिली।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2fy2mn35
https://tinyurl.com/6y5eej7z
https://tinyurl.com/57hv3fek

चित्र संदर्भ
1. रामपुर रियासत के सैनिकों को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
2. पुरानी तोपों को संदर्भित करता एक चित्रण (GetArchive)
3. नवाब रज़ा अली को दर्शाता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
4. रामपुर रियासत के सैनिकों को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)