भाई दूज त्योहार है, रामपुर में सभी परिवारों व भाई–बहनों के एक साथ आने का समय

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
31-10-2024 09:27 AM
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भाई दूज त्योहार है, रामपुर में सभी परिवारों व भाई–बहनों के एक साथ आने का समय
नव दीप जले,
नव फूल खिलें,
नित नई बहार मिले,
 दिवाली के पावन अवसर पर, रामपुर वासियों, आपको मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिले!
रामपुर शहर में, कोई भी त्योहार, हमारे परिवारों के एक साथ आने का एक खास अवसर होता है, और इनमें से एक विशेष उत्सव भाई दूज है । इस दिन बहनें और भाई अपने रिश्ते को और भी मज़बूत बनाते हैं। बहनें, अपने भाइयों के माथे पर औपचारिक तिलक लगाती हैं और उनकी खुशी और स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती हैं। रामपुर में यह त्योहार, भाई-बहनों के प्यार और सुरक्षा की एक खूबसूरत याद दिलाता है जो इसे हर परिवार के लिए, प्यार और खुशी का एक विशेष अवसर बनाता है। यह उत्सव, खुशी, प्यार और हंसी से भरा होता है, जो परिवारों के बीच घनिष्ठ संबंधों को दर्शाता है। आज हम, भाई दूज के त्योहार पर चर्चा करेंगे। क्योंकि यह विशेष अवसर भाइयों और बहनों के बीच बने मज़बूत संबंध को उजागर करता है, एवं प्यार, देखभाल और सुरक्षा पर जोर देता है। आगे, हम भाई दूज के सांस्कृतिक महत्व का पता लगाएंगे, तथा इसकी उत्पत्ति और इससे जुड़ी परंपराओं को देखेंगे। अंत में, हम इस बात का संक्षिप्त विवरण देंगे कि, भाई दूज, विभिन्न क्षेत्रों में कैसे मनाया जाता है | 
जबकि, भाई दूज, मुख्य रूप से भाइयों और बहनों के बीच के बंधन पर केंद्रित है, यह त्योहार, भाईचारे का भी जश्न मनाता है। बहनें न केवल अपने जैविक भाइयों के साथ अनुष्ठान करती हैं, बल्कि, उन पुरुष मित्रों को भी अपना आशीर्वाद देती हैं, जिन्हें वे भाई मानती हैं। यह समावेशिता, भाई दूज को, उन सभी पुरुष शख्सियतों के महत्व की सराहना करने और स्वीकार करने का एक अवसर बनाती है, जिन्होंने जीवन की यात्रा में, अटूट समर्थन और प्यार प्रदान किया है।
भाई दूज के दौरान, तिलक समारोह का बहुत महत्व है, क्योंकि, यह बहन के आशीर्वाद और भाई की रक्षा के वचन का प्रतिनिधित्व करता है। यह तिलक सिंदूर, चावल और आप्टा पौधे की पत्तियों से लगाया जाता है। यह भाई-बहन के बीच के रिश्ते की शुभता और पवित्रता का प्रतीक है। यह अनुष्ठान एकता, विश्वास और सम्मान का भी प्रतीक है। उपहारों और मिठाइयों के आदान-प्रदान से भाइयों और बहनों के बीच साझा प्यार और मज़बूत होता है, जिससे इस उत्सव का खुशी भरा माहौल बढ़ जाता है।
भाई दूज, अपने समृद्ध सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व के साथ, भाइयों और बहनों के बंधन का खूबसूरती से सम्मान करता है। यह न केवल उनके संबंध को मज़बूत करता है, बल्कि, परिवार के भीतर प्यार, विश्वास और सम्मान के महत्व की भी पुष्टि करता है। यह उत्सव, भाई-बहनों को एक साथ आने और उनके द्वारा साझा किए गए अनूठे रिश्ते को संजोने का मौका देता है। ऐसी दुनिया में, जहां रिश्तों को अक्सर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, भाई दूज, भाई-बहन के बंधन को पोषित करने और संजोने की याद दिलाता है। यह ऐसी यादें और परंपराएं बनाता है, जिन्हें जीवन भर संजोकर रखा जाएगा।
भाई दूज का महत्व-
भाई दूज का उत्सव, भाई टीका के रूप में भी प्रख्यात है। भाऊ- बीज या भाई फोंटा, एक ऐसा त्योहार है, जो विक्रम संवत हिंदू कैलेंडर के कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष (उज्ज्वल पखवाड़े) के दूसरे चंद्र दिवस पर आता है। इसे हमारे देश भारत, नेपाल और अन्य देशों के हिंदु लोगों के बीच मनाया जाता है। इसे भारत के दक्षिणी भाग में, “यम द्वितीया” के रूप में भी मनाया जाता है। इस शुभ दिन की उत्पत्ति से संबंधित कुछ हिंदू पौराणिक कथाएं हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, राक्षस नरकासुर को मारने के बाद भगवान कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए थे। उनकी बहन ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया और फूलों और मिठाइयों के ज़रिए इस मौके को वाकई में खास बना दिया। सुभद्रा ने अपने भाई कृष्ण के माथे पर औपचारिक “तिलक” भी लगाया और इसलिए वहीं से “भाई दूज” का त्योहार को अपना रूप मिला।
एक अन्य किंवदंती, मृत्यु के देवता यम और उनकी बहन यमुना की कहानी के इर्द-गिर्द घूमती है। माना जाता है कि, वह अपनी प्यारी बहन से अमावस्या के दूसरे दिन – द्वितीया पर मिले थे और इस प्रकार उस दिन से इस अवसर को पूरे देश में “यमद्वितीया” के रूप में मनाया जाने लगा।
भाई दूज भारत व हमारे राज्य का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इसे पूरे देश में, बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
भाई दूज, दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘भाई’ और ‘दूज’ अर्थात, अमावस्या के उद्भव के बाद दूसरा दिन। यह त्योहार, दिवाली के जीवंत त्योहार के तुरंत बाद, कार्तिक माह में, शुक्ल पक्ष के दूसरे चंद्र दिवस पर पड़ता है। इस वर्ष, भाई दूज, 3 नवंबर, रविवार को मनाया जायेगा । त्योहार का मुख्य अनुष्ठान, 3 नवंबर को अपराहन समय के दौरान होगा, जो दोपहर 01:17 बजे से 03:38 बजे तक है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/mr2mc9vk
https://tinyurl.com/7nbxp8pc
https://tinyurl.com/2m7jws3e

चित्र संदर्भ
1. भाई के माथे पर टीका लगाती बहन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. भाई दूज की पूजा के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. अपने भाई को मिठाई खिलाती बहन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)