सुंदर होने के साथ-साथ, बंगाल क्लॉकवाइन के हैं कई औषधीय लाभ

वृक्ष, झाड़ियाँ और बेलें
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सुंदर होने के साथ-साथ, बंगाल क्लॉकवाइन के हैं कई औषधीय लाभ
रामपुर में गोल्डन पोथोस, चने का पौधा, गार्डन क्रोटन जैसे कई आम पौधे पाए जाते हैं। हालांकि, इस लेख में हम एक ऐसे पौधे के बारे में बात करेंगे, जो शायद हमारे शहर में नहीं मिलता। बंगाल क्लॉकवाइन (Bengal Clock Vine), जिसे थुनबर्गिया ग्रैंडिफ़्लोरा के नाम से भी जाना जाता है, एक सदाबहार लता है, जो एकेंथेसी परिवार से संबंधित है।यह पौधा, चीन, भारत, नेपाल, बांगलादेश, इंडोचाइना और म्यांमार का मूल निवासी है।
यह लता, लैंडस्केपिंग के लिए बेहतरीन होती है, क्योंकि यह अपने आसपास के वातावरण में घुल-मिल जाती है। यह आकर्षण बढ़ाने, हेज़ (दीवार जैसी झाड़ियाँ), स्क्रीनिंग, सामान्य बगवानी उपयोग, प्राकृतिक बगीचों, कंटेनर प्लांटिंग और हैंगिंग बास्केट के लिए उपयुक्त होती है। तो आइए, आज हम इस पौधे के बारे में और विस्तार से जानें।
हम इसके विशिष्ट लक्षणों, प्राकृतिक आवास, फूलों, फलों आदि पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा, हम इसके उपयोग और लाभों पर भी बात करेंगे, खासकर इसके औषधीय गुणों के बारे में जानेंगे। अंत में, हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि बंगाल क्लॉकवाइन को कैसे उगाया जाए और उसकी देखभाल कैसे की जाए। हम जानेंगे कि इसे कब लगाना चाहिए, किस तरह की देखभाल की आवश्यकता होती है और इसे सही तरीके से कैसे बनाए रखा जाए।
बंगाल क्लॉकवाइन का परिचय
थुनबर्गिया ग्रैंडिफ़्लोरा, एक सदाबहार बहुवर्षीय पौधा है। यह एक तेज़ी से चढ़ने वाली लता है, जिसके तने मज़बूत होते हैं। इसकी तेज़ी से बढ़ने की प्रवृत्ति के कारण, इसका फैलाव बहुत होता है। यह तेज़ी से बढ़ने वाला पौधा है, जिसे सहारे की आवश्यकता होती है, और इसके रस्सी जैसे तने बड़ी संरचनाओं के शीर्ष तक पहुँच सकते हैं या मध्यम आकार के पेड़ों को भी ढक सकते हैं। इसके सरल पत्ते तनों पर विपरीत या उप-विपरीत स्थिति में लगे होते हैं। इनकी आकार में विशेषत: दिल के आकार की लंबी आकृति होती है, जो अंडाकार से दीर्घवृत्ताकार तक बदलती रहती है, और इनमें हल्का किनारा होता है। इनकी लंबाई, 10-20 सेंटीमीटर तक होती है। ये गहरे हरे रंग के, चमड़े जैसे और नरम बालों वाले होते हैं।
इसके फूल एकल या लटके हुए रेसमेस (झुके हुए गुच्छों) में होते हैं। ये शंख के आकार के होते हैं, जो थोड़े गहरे होते हैं, लगभग 3 इंच लंबे होते हैं, हलके नीले या सफ़ेद कप के आकार के होते हैं और इनके केंद्र में हल्के पीले से क्रीम नीले रंग की धारियाँ होती हैं। इसका फल, जिसे कैप्सूल कहा जाता है, साधारण और विशेष रूप से आकर्षक नहीं होता।
इसकी दो किस्में होती हैं:
⦁ ऑगस्टा – यह सबसे सामान्य किस्म है। इसके फूल लैवेंडर नीले से बैंगनी नीले रंग के होते हैं, और इनके गले में पीला रंग होता है।
⦁ अल्बा – इसके फूल सफ़ेद होते हैं, और इनके गले में पीला रंग होता है।
थुनबर्गिया की एक और प्रजाति है, जो थुनबर्गिया ग्रैंडिफ़्लोरा से निकटता से संबंधित है | इस प्रजाति के फूल हलके मावे रंग के होते हैं। यह थुनबर्गिया ग्रैंडिफ़्लोरा की तुलना में कम घना होता है।
बंगाल क्लॉकवाइन की विशेषताएँ
⦁ आवास: यह पौधा, पानी के किनारे (यानि नदी और नालों के पास), विक्षुब्ध जंगलों, वन सीमाओं, खुले जंगलों, सड़कों के किनारे, बाड़ों, बागों और उष्णकटिबंधीय तथा उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में लगने वाले बागवानी फ़सलों में पाया जाता है।
⦁ स्वभाव: यह एक दीर्घजीवी (यानी बहुवर्षीय) और तेज़ी से चढ़ने वाली लता है, जो पेड़ों को ढक सकती है और 15 मीटर तक ऊँची हो सकती है।
विशिष्ट लक्षण
⦁ यह एक दीर्घजीवी लता है, जिसकी भूमिगत कंदमूल (ट्यूबरस रूट्स) होती हैं, और यह 15 मीटर तक ऊँची हो सकती है।
⦁ इसके युवा तने, वर्गाकार आकार के होते हैं और इन पर 4-12 सेंटीमीटर लंबे डंठल वाली विपरीत स्थिति में पत्तियाँ होती हैं।
⦁ ये पत्तियाँ, आकार में भिन्न-भिन्न होती हैं, और उनके किनारे पर अक्सर कई बड़े दाँतेदार या छोटे नुकीले लोब्स होते हैं।
⦁ इसके हल्के नीले, बैंगनी, मावे या कभी-कभी सफ़ेद रंग के शंखनुमा फूल (3-8 सेंटीमीटर लंबे और 6-8 सेंटीमीटर चौड़े) होते हैं, जिनके गले में हल्का पीला या सफ़ेद रंग होता है।
⦁ प्रत्येक फूल, एक लंबे डंठल (4-5 सेंटीमीटर लंबा) पर होता है, और इसके आधार पर दो पत्तियों जैसे ब्रैक्ट्स (15-40 मिमी लंबे) होते हैं।
⦁ इसके फल का कैप्सूल, जब बनता है, गोलाकार होता है, और इसका लंबा, नुकीला ढीला आकार (2-5 सेंटीमीटर लंबा) होता है!
तने और पत्तियाँ
युवा तने हरे रंग के, रेशमी बालों वाले और वर्गाकार होते हैं। जैसे-जैसे तने पुराने होते हैं, वे मोटे हो जाते हैं और भूरें रंग के हो जाते हैं। इनका आकार थोड़ा गोलाई लिए होते है।
विपरीत स्थिति में लगे पत्तियाँ बालों वाले रेशमी डंठल पर होती हैं, जिनकी लंबाई 2-12 सेंटीमीटर तक होती है। इन पत्तियों का आकार भिन्न-भिन्न होता है (8-22 सेंटीमीटर लंबी और 3-15 सेंटीमीटर चौड़ी)। इनकी जड़ का आकार आमतौर पर चौड़ा दिल जैसा (कार्डेट), त्रिकोणीय, अंडाकार या संकीर्ण हो सकता है।
फूल और फल
इसके शंख के आकार (ट्यूबलर) के फूल, लंबे लटके हुए गुच्छों (रेसमेस) में लगे होते हैं। ये फूल, बड़े और आकर्षक होते हैं (3-8 सेंटीमीटर लंबा और 6-8 सेंटीमीटर चौड़ा)। इन फूलों में पाँच हल्के नीले, बैंगनी, मावे या कभी-कभी सफ़ेद रंग के पंखुड़ी के खंड होते हैं, और इनके गले में हल्का पीला या सफ़ेद रंग होता है। प्रत्येक फूल एक लंबे डंठल (पेडिकेल) पर 4-5 सेंटीमीटर लंबा होता है, और इसके आधार पर दो पत्तियों जैसी ब्रैक्ट्स (ब्रैक्टिओल्स) होती हैं। ये ब्रैक्ट्स (15-40 मिमी लंबी और 10-20 मिमी चौड़ी) अंडाकार (ओवेट) आकार की होती हैं, और इनके सिरे नुकीले (एक्यूमिनेट) होते हैं।
इनके फूलों में रेशमी बाहरी आवरण होते हैं, जो आपस में जुड़े होते हैं और एक अंगूठी जैसी संरचना (कॅलिक्स ट्यूब) में परिवर्तित होते हैं, जो हरे रंग का होता है और कभी-कभी इसमें बैंगनी या लाल रंग की धारियाँ भी होती हैं। ये फूल, पूरे साल खिलते हैं, लेकिन यह गर्मी और शरद ऋतु में सबसे अधिक होते हैं।
बंगाल क्लॉकवाइन के उपयोग और अनुप्रयोग
इसके बड़े और रंगीन फूलों तथा घने पत्तों के कारण यह तिनकों, बाड़ों और दीवारों पर लगाने के लिए एक लोकप्रिय विकल्प बन जाता है। सजावट के अलावा, बंगाल क्लॉकवाइन के पारंपरिक चिकित्सा में भी कई उपयोग हैं। इसके पत्ते और फूलों में जीवाणुरोधी (Antibacterial) और प्रज्वलनरोधी (Anti-inflammatory) गुण पाए जाते हैं, जिन्हें बुखार, खांसी, और त्वचा के संक्रमण जैसे रोगों के इलाज में उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, यह पौधा दर्द निवारण और सूजन कम करने के लिए भी प्रभावी माना जाता है।

बंगाल क्लॉकवाइन को उगाने और उसकी देखभाल करने के तरीके
कब लगाएं?

थुनबर्गिया को लगाने का सबसे अच्छा समय वसंत का मौसम होता है, यानी मार्च और अप्रैल के पहले सप्ताह में। यह समय इसलिए आदर्श है क्योंकि लताएँ गर्मियों में खिलती हैं, यानी अप्रैल के अंत से जुलाई तक। इस समय, पौधे को पर्याप्त सूर्यप्रकाश मिल सकता है, जिससे यह अपनी प्रारंभिक अवस्था में अच्छे से बढ़ता है।
लगाने के टिप्स
1.) थुनबर्गिया ग्रैंडिफ़्लोरा, जब पूरी तरह से विकसित हो जाता है, तो यह 8 फीट तक ऊँचा हो सकता है। इसलिए, इसे ऐसे स्थान पर लगाना जरूरी है जहाँ इसके बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह हो। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आप पौधे के लिए ऐसा गड्ढा खोदें जो जड़ की गेंद (रूट बॉल) के आकार से तीन गुना चौड़ा हो, ताकि जड़ों को फैलने के लिए पर्याप्त स्थान मिल सके।
2.) जब आप लता लगाएं, तो उसे मज़बूत सहारे की आवश्यकता होगी ताकि वह अच्छे से बढ़ सके। चूँकि यह एक चढ़ने वाली लता है, इसे बाड़ या मज़बूत खंभों के पास लगाना चाहिए, ताकि यह उन पर लिपटकर तेज़ी से बढ़ सके। साथ ही, मिट्टी की जल निकासी और बनावट को सुधारने के लिए, आप उसमें खाद और लगभग 7 सेंटीमीटर मल्च मिला सकते हैं।
देखभाल के टिप्स:
1.) थुनबर्गिया ग्रैंडिफ़्लोरा को बहुत कम देखभाल की आवश्यकता होती है। सबसे पहली बात, यह सुनिश्चित करें कि मिट्टी अच्छी तरह से जल निकासी वाली हो। पौधे को नियमित रूप से पानी देना पर्याप्त है ताकि मिट्टी गीली बनी रहे और पौधा अच्छे से बढ़ सके।
2.) साथ ही, पौधे को जैविक खाद और एनपीके उर्वरक भी उपलब्ध कराएं।
3.) आपको लताओं की उचित छंटाई करनी चाहिए। 2 से 6 फ़ीट तक की टहनियाँ काटकर शाखाओं का वजन कम करें।
4.) इसके अलावा, शुरुआती चरणों में, लताओं को सीधा रखने के लिए, उन्हें मज़बूत बाड़ या कड़ी छड़ी से बांधना आवश्यक है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/mvt9k86r
https://tinyurl.com/26fdavpr
https://tinyurl.com/m3f7tmem
https://tinyurl.com/53kmkmx9

चित्र संदर्भ
1. बंगाल क्लॉकवाइन (Bengal Clock Vine) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. बंगाल क्लॉकवाइन की फ़ैली हुई बेल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. बंगाल क्लॉकवाइन की कलियों और फूलों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. एक साथ खिले बंगाल क्लॉकवाइन के दो फूलों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)