2018 में स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (Stockholm International Peace Research Institute) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि दुनिया के शीर्ष 100 हथियार बनाने वाले संस्थानों में से 80 उद्यम, अमेरिका, यूरोप और रूस में स्थित हैं। शेष 20 संस्थानों में से 6 जापान में, 3 इज़राइल, 3 भारत, 3 दक्षिण कोरिया में, 2 तुर्की में, और 1-1 ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और सिंगापुर में स्थित हैं। आज के इस लेख में, हम भारत के हथियार निर्माण उद्योग पर ध्यान देंगे। इसके तहत हम भारत के कुछ बड़े हथियार की बिक्री पर नज़र डालेंगे। साथ ही, दुनिया के प्रमुख हथियार के बारे में भी जानेंगे। अंत में हम रामपुरी चाकू उद्योग की अस्थिर स्थिति पर चर्चा करेंगे। 
आज भारत की तीन सरकारी कंपनियाँ दुनिया की शीर्ष 100 हथियार आपूर्तिकर्ताओं में शामिल हैं। 
इनमें शामिल है:
 ➜हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, जो कि 38वें स्थान पर है।
➜भारतीय आयुध निर्माणियाँ, जो कि 56वें स्थान पर है।
➜भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, जो कि 62वें स्थान पर है।। 
2018 में, इन कंपनियों ने कुल मिलाकर, 5.9 बिलियन डॉलर के हथियार बेचे। यह बिक्री, 2017 की तुलना में 6.9% कम थी और यह शीर्ष 100 आपूर्तिकर्ताओं की कुल बिक्री का केवल 1.4% है।
इन कंपनियों की बिक्री का अधिकतर हिस्सा, घरेलू माँग पर निर्भर करता है। 2018 में, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स की बिक्री में वृद्धि हुई। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स की बिक्री में 3.5% और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स की बिक्री में 5.9% की वृद्धि दर्ज की गई। लेकिन भारतीय आयुध निर्माणियों की बिक्री में 27% की गिरावट आई। ऐसा संभवतः गिरावट भारतीय सेना से कम ऑर्डर मिलने के कारण हुआ।

संयुक्त राज्य अमेरिका, दुनिया का सबसे बड़ा हथियार निर्यातक है। 2018 से 2022 के बीच, वैश्विक हथियार व्यापार में 40% हिस्सा अकेले अमेरिका का था। इस अवधि में, उसका पाँचवाँ हिस्सा, सऊदी अरब को निर्यात हुआ। जापान को 8.6% और ऑस्ट्रेलिया को 8.4% हथियार मिले।
लेख में आगे दुनिया के सबसे बड़े हथियार निर्यातकों की और उनके व्यापार में हुए बदलावों की सूची दी गई है
        
            
                | रैंक | 
                देश | 
                वैश्विक निर्यात में हिस्सा (2018-2022) | 
                बदलाव (2013-2017) | 
            
        
        
            
                | 1 | 
                🇺🇸 अमेरिका | 
                40% | 
                0.14 | 
            
            
                | 2 | 
                🇷🇺 रूस | 
                16% | 
                -31% | 
            
            
                | 3 | 
                🇫🇷 फ़्रांस | 
                11% | 
                0.44 | 
            
            
                | 4 | 
                🇨🇳 चीन | 
                5% | 
                -23% | 
            
            
                | 5 | 
                🇩🇪 जर्मनी | 
                4% | 
                -35% | 
            
            
                | 6 | 
                🇮🇹 इटली | 
                4% | 
                0.45 | 
            
            
                | 7 | 
                🇬🇧 यूके | 
                3% | 
                -35% | 
            
            
                | 8 | 
                🇪🇸 स्पेन | 
                3% | 
                -4% | 
            
            
                | 9 | 
                🇰🇷 द. कोरिया | 
                2% | 
                0.74 | 
            
            
                | 10 | 
                🇮🇱 इज़राइल | 
                2% | 
                -15% | 
            
        
    
इस सूची से पता चलता है कि रूस और फ्रांस की रैंकिंग में थोड़ा ही अंतर है। रूस का हिस्सा 16% और फ़्रांस का 11% है। फ़्रांस के हथियार निर्यात में 44% की वृद्धि हुई, जिसमें भारत को बड़ी बिक्री प्रमुख वजह थी। भारत ने फ़्रांस से 62 लड़ाकू विमान और चार पनडुब्बियाँ खरीदीं। यह बिक्री फ्रांस के कुल हथियार व्यापार का एक-तिहाई है। इस कारण, फ्रांस अमेरिका को पीछे छोड़कर भारत का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बन गया।
रामपुरी चाकू उद्योग की मौजूदा स्थिति: पहले के समय में लोग घर की सजावट के लिए रामपुरी चाकू खरीदते थे। लेकिन आज सरकारी नीतियां बदल चुकी हैं। सबसे पहले, सरकार ने 4.5 इंच से ज़्यादा लंबे ब्लेड वाले चाकुओं पर प्रतिबंध लगाया। फिर, नोटबंदी ने इस उद्योग पर और बुरा असर डाला।

रामपुरी चाकू के एक निर्माता, शहज़ाद बताते हैं कि, 2005 तक, रामपुरी चाकू का बाज़ार अच्छा चल रहा था। लेकिन धीरे-धीरे लोगों ने इन्हें खरीदना बंद कर दिया। इसके कारण यह उद्योग अपनी पहचान खोता चला गया। आज एक आम रामपुरी चाकू की कीमत 100 से 120 रुपये के बीच होती है। इसे बनाने में 40 से 50 रुपये की लागत आती है। पहले हर दिन 10 से 20 चाकू बेचे जाते थे। अब केवल पत्रकार, जो रामपुर में न्यूज़ कवरेज के लिए आते हैं, इन्हें खरीदते हैं।
पहले, रामपुरी चाकू बनाने वाले कारीगर, एक चाकू (जो प्रेस बटन के साथ आता था।) पर 60 रुपये कमाते थे। इससे वे हर दिन कम से कम 300 रुपये कमा लेते थे। अब उनकी कमाई, 100 रुपये प्रतिदिन से भी कम रह गई है। असली रामपुरी चाकू के खरीदार, लगभग खत्म हो गए हैं। इसलिए ये कारीगर अब, साधारण घरेलू चाकू बनाने लगे हैं जिनसे उन्हें सिर्फ़ 20 रुपये प्रति चाकू की कमाई होती है। इस बदलाव ने उनके जीवन स्तर को बुरी तरह प्रभावित किया है। रामपुरी चाकू बनाने वालों की हालत खराब हो गई है। साथ ही, कारीगरों के बीच एकता की कमी ने उद्योग को और नुकसान पहुंचाया है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/23ur92zj
https://tinyurl.com/yopl3p2t
https://tinyurl.com/2afrjgot
चित्र संदर्भ
1. नाग मिसाइल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. बेंगलुरु में एच ए एल (Hindustan Aeronautics LImited) द्वारा निर्मित, लक्ष्य नामक एक मानवरहित लड़ाकू विमान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. भारतीय वायु सेना के तेजस विमान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. रामपुरी चाकू को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)