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आप इस बात से सहमत होंगे कि, कोई भी दावत, सलाद के बिना पूरी नहीं होती और कोई भी सलाद, खीरे के बिना पूरा नहीं होता। खीरे में पानी की मात्रा अधिक होने के कारण, यह अविश्वसनीय रूप से हाइड्रेटिंग (hydrating) होता है। इसके अलावा, खीरे में कैलोरी (calorie) की मात्रा भी कम होती है। घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाज़ारों में खीरे की उच्च मांग होने के कारण, भारत में खीरे की खेती कृषि का एक अनिवार्य हिस्सा है। खीरे की फ़सल को विभिन्न तकनीकों और प्रथाओं का उपयोग करके उगाया जाता है। सही दृष्टिकोण के साथ, खीरे की खेती, भारत में किसानों के लिए, एक लाभदायक व्यवसाय हो सकती है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में, भारत में, खीरे के उत्पादन में, 103,740 टन के साथ, उत्तर प्रदेश का हिस्सा 6.45% था, जिससे हमारा राज्य, भारत का छठा सबसे बड़ा खीरा उत्पादक राज्य बन गया। आइए आज, भारत में उगाई जाने वाले खीरे की विभिन्न किस्मों के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही हम यह भी सीखेंगे कि खीरे के बीज कैसे और कब बोये जाते हैं। इस संदर्भ में, हम बुवाई की विभिन्न विधियों जैसे लो टनल तकनीक, ड्रिब्लिंग विधि, बेसिंग विधि आदि, खीरे की खेती के लिए कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं जैसे उपयुक्त जलवायु एवं मिट्टी, भूमि की तैयारी, बीज उपचार आदि पर चर्चा करेंगे। अंत में, घर पर खीरे उगाने की विधि के बारे में जानेंगे।
भारत में उगाई जाने वाली खीरे की विभिन्न किस्में:
भारत में खीरे की कई किस्में उगाई जाती हैं, जिनमें पॉइन्सेट (Poinsett), एशले (Ashley), स्ट्रेट एट (Straight Eight) और मार्केटमोर (Marketmore) शामिल हैं। प्रत्येक प्रकार की किस्म की अलग-अलग विशेषताएं होती हैं, जैसे फल का आकार, आकृति और स्वाद। पॉइन्सेट खीरे का उपयोग, मुख्य रूप से अचार बनाने के लिए किया जाता है | इसके फल का आकार छोटा होता है, जबकि एशले खीरे का उपयोग, सलाद के लिए किया जाता है और इसके फल का आकार बड़ा होता है। स्ट्रेट एट खीरा भी, सलाद के लिए एक अच्छा विकल्प है और इसका फल चिकनी त्वचा वाला और लंबा होता है। मार्केटमोर खीरा, बेलनाकार आकार और हरे रंग के साथ अधिक उपज देने वाली किस्म है।
खीरे की बुवाई का समय और विधि:
मैदानी इलाकों में मानसूनी या बरसाती फ़सलों के लिए, इसकी बुआई जून-जुलाई में और पहाड़ी इलाकों में अप्रैल में की जाती है। ग्रीष्मकालीन फ़सलों के लिए, इसकी बुआई जनवरी से फ़रवरी के अंत तक की जाती है। इसके बीज बोने के लिए लगभग 2.5 मीटर चौड़ी क्यारी या मेड़ बनाई जाती है और एक साथ दो बीज बोए जाते हैं। बीजों के बीच, 60 सेंटीमीटर की दूरी होना चाहिए। ये बीज, 2-3 सेंटीमीटर की गहराई पर बोए जाते हैं।
लो टनल तकनीक: इस तकनीक का उपयोग, गर्मियों की शुरुआत में खीरे की अच्छी और जल्दी उपज प्राप्त करने के लिए किया जाता है। ठंड के मौसम अर्थात दिसंबर और जनवरी के में, महीनों यह विधि फ़सल को ठंड से बचाने में मदद करती है। दिसंबर माह में 2.5 मीटर चौड़ी क्यारियों में बीज बोए जाते हैं। बीजों को क्यारी के दोनों ओर 45 सेंटीमीटर की दूरी पर बोया जाता है। बुआई से पहले, 45-60 सेंटीमीटर लंबाई की सहायक छड़ें मिट्टी में गाड़ दी जाती हैं। समर्थन छड़ों की सहायता से खेत को 100 गेज मोटाई की प्लास्टिक शीट से ढका जाता है। प्लास्टिक शीट को मुख्यतः फ़रवरी के महीने में हटा देना चाहिए, जब बाहर का तापमान उपयुक्त हो। इसके अलावा, खीरे की खेती डिबलिंग विधि, बेसिंग विधि और रिंग विधि से भी की जाती है।
जलवायु:
खीरे की खेती के लिए नम और गर्म जलवायु परिस्थितियों की आवश्यकता होती है। यह सब्ज़ी, पाला सहन नहीं कर पाती। इसकी बेहतर वृद्धि के लिए, 4 महीने तक पाला नहीं पड़ना चाहिए। इसलिए, इसे प्लास्टिक शीट से ढका जाता है। इसकी खेती के लिए उपयुक्त तापमान 20-32° सेल्सियस है।
मिट्टी:
खीरे को विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। लेकिन यह अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी में सबसे अच्छी तरह उगता है।
मिट्टी की तैयारी:
इसकी खेती के लिए, उपयुक्त मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए 6-7 जुताई के बाद हैरो से जुताई करनी चाहिए। मिट्टी का पी एच स्तर (pH level), 6.5-7.5 के बीच होना चाहिए। सब्ज़ियों की बेहतर पैदावार और अच्छी गुणवत्ता के लिए, मिट्टी को समृद्ध बनाने के लिए कार्बनिक पदार्थ या खाद मिलानी चाहिए।
बीज दर:
सामान्यतः खीरे की खेती के लिए, प्रति हेक्टेयर, 3.5 - 6 किलोग्राम बीजों की आवश्यकता होती है।
बीज उपचार:
बुआई से पहले, प्रति किलो बीजों को, 10 ग्राम स्यूडोमोनास फ़्लोरेसेंस (Pseudomonas fluorescens) या 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडे (Trichoderma Viridae) या 2 ग्राम कार्बेन्डाज़िम (Carbendazim) से उपचारित करना चाहिए।
घर पर बीज से खीरा कैसे उगाएं?
खीरे को घर पर उगाना आसान है। खीरे को एक बार रोपने के बाद अधिक ध्यान देने की आवश्यकता नहीं होती है। आप इन्हें गमलों, किचन गार्डन, छत और यहां तक कि घर के अंदर भी उगा सकते हैं। खीरे के पौधे, दो रूपों में आते हैं - झाड़ी और लताएँ। झाड़ीदार खीरे के पौधे, घर के अंदर और कंटेनरों में उगाने के लिए सबसे अच्छा विकल्प हैं।
खीरे को ऐसे किचन गार्डन में आसानी से उगाया जा सकता है, जहां प्रतिदिन कम से कम 6-8 घंटे धूप आती हो। कंटेनरों में उगाते समय, ऐसा गमला चुनें, जिसमें 2-3 पौधों को रखने के लिए न्यूनतम 12-20 किलोग्राम की मिट्टी भरी जा सके। लताओं को सहारा देने के लिए, एक जाली बनाने की आवश्यकता होती है। खीरे को मटर, और कद्दू के पास उगाया जा सकता है, लेकिन इसे जड़ी-बूटियों और आलू के साथ नहीं उगाना चाहिए।
संदर्भ
मुख्य चित्र: खीरे की खेती (Wkimedia)