भारत में पुरुषों में मुंह व फेफड़ों तथा महिलाओं में, स्तन व ग्रीवा कैंसर हैं सबसे आम

विचार II - दर्शन/गणित/चिकित्सा
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भारत में पुरुषों में मुंह व फेफड़ों तथा महिलाओं में, स्तन व ग्रीवा कैंसर  हैं सबसे आम

'विश्व स्वास्थ्य संगठन' (World Health Organization (WHO)) के अनुसार, कैंसर विश्व स्तर पर बीमारी से होने वाली मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है । 2020 में,  विश्व में लगभग 10 मिलियन लोगों ने कैंसर से अपनी जान गवाईं। वहीं वर्ष 2020 में, भारत में कैंसर के 13.92 लाख मामले सामने आए थे। कैंसर, एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की कुछ कोशिकाएं, नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं और शरीर के अन्य भागों में फैल जाती हैं। शरीर में, कोशिका प्रसार और गुणन की प्रक्रिया कभी-कभी विकृत हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप क्षतिग्रस्त या विकृत कोशिकाएँ बढ़ने लगती हैं जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। कैंसर कारक-ऊतक इन कोशिकाओं से विकसित हो सकते हैं। कैंसरग्रस्त ऊतक नए ऊतक बनाने के लिए शरीर के अन्य भागों में फैलते हैं, और वे आस-पास के ऊतकों पर भी आक्रमण कर सकते हैं। भारत में स्तन, गर्भाशय ग्रीवा और मुंह का कैंसर सबसे आम कैंसर है। तो आइए, आज भारत में सबसे ज़्यादा  प्रचलित कैंसर के प्रकारों के बारे में जानते हैं और देखते हैं कि, उत्तर प्रदेश में, हाल के वर्षों में कैंसर के कितने मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही, हम भारत में सबसे अधिक कैंसर के मामलों वाले राज्यों पर प्रकाश डालेंगे और भारत में विभिन्न कैंसर उपचार प्रक्रियाओं की लागत पर ध्यान केंद्रित करेंगे। अंत में, हम भारत में कैंसर के मामलों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण आंकड़ों के बारे में जानेंगे।

भारत में सबसे आम कैंसर:
 

स्तन कैंसर का चौथा चरण (Stage 4) | Source: Wikimedia

स्तन कैंसर: भारत में स्तन कैंसर, तेज़ी से युवा महिलाओं को प्रभावित कर रहा है। शहरी क्षेत्रों में स्तन कैंसर से पीड़ित आधे से अधिक महिलाओं की आयु 50 वर्ष से कम है। इसके प्रमुख कारणों में देर से विवाह और बच्चे का जन्म, सीमित स्तनपान प्रथाएं और अन्य जीवनशैली विकल्प शामिल हैं। आनुवंशिक प्रवृत्ति भी एक प्रमुख कारण है। स्तन कैंसर केवल पीड़ित महिला को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि उनके परिवार और पूरे समाज पर गहरा प्रभाव डालता है। 

Source: Wikimedia

मुँह का कैंसर: पूरे विश्व में, भारत में मुँह का कैंसर सबसे अधिक होता है, जिसका मुख्य कारण तम्बाकू और शराब का बड़े पैमाने पर सेवन है। यहां गुटका और पान मसाला जैसे धुआं रहित तंबाकू का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है जो 90% मुँह के कैंसर का कारण बनता है। मुंह की उचित स्वच्छता आदतों की कमी और फलों और सब्जियों की कम मात्रा वाला आहार समस्या को और बढ़ा देता है।
 

एच पी वी (Human Papillomavirus) से होने वाला गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर | Source: Wikimedia

ग्रीवा कैंसर: ग्रामीण भारत में महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर सबसे अधिक देखा जाता है, जिसका मुख्य कारण जागरूकता और स्वच्छता की कमी, स्वास्थ्य सुविधाओं तक सीमित पहुंच और अपर्याप्त स्क्रीनिंग कार्यक्रम हैं। लगातार एच पी वी (Human Papillomavirus (HPV)) संक्रमण, प्रारंभिक यौन गतिविधि, एकाधिक साथी और एचपीवी के खिलाफ टीकाकरण की कमी से इसकी घटनाएं अधिक सामने आती हैं।
 

छाती का एक्स-रे जिसमें दाएं फ़ेफ़डे़े में ट्यूमर दिख रहा है (तीर से चिह्नित) | Source: Wikimedia

फेफड़ों का कैंसर: फेफड़ों के कैंसर का मुख्य कारण धूम्रपान की आदत है। वहीं ग्रामीण इलाकों में भोजन पकाने के ईंधन से पर्यावरण प्रदूषकों और और शहरी इलाकों में वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से जोखिम और बढ़ जाता है। बड़ी संख्या में फेफड़ों के कैंसर के ऐसे रोगी सामने आए हैं, जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया है। अनुमान है कि, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR Region) में, एक व्यक्ति  रोज़ाना औसत 15 से 20 सिगरेट पीने के बराबर पर्यावरण प्रदूषण झेलता है। 
 

Source: Wikimedia

कोलोरेक्टल कैंसर: भारत में कोलोरेक्टल कैंसर तेज़ी से बढ़ रहा है, जिसका कारण आहार में प्रसंस्कृत या जंक फ़ूड की ओर झुकाव और फ़ाइबर का कम सेवन है। इसके अलावा, निष्क्रिय जीवनशैली, मोटापा और आनुवंशिक प्रवृत्ति अन्य योगदान कारक हैं। 

सिर और गर्दन का कैंसर: सिर और गर्दन का कैंसर भी मुंह के कैंसर के समान खराब मौखिक स्वच्छता, धूम्रपान, तंबाकू चबाना, पान और बार-बार शराब के कारण फैलता है।

प्रोस्टेट कैंसर: प्रोस्टेट कैंसर, मूल रूप से  बुज़ुर्ग भारतीय आबादी में होने वाली बीमारी है। प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने के लिए, विशेष रूप से रात में बार-बार पेशाब आने या मूत्र प्रवाह में कमी की जांच की जानी चाहिए।

हाल के वर्षों में उत्तर प्रदेश में कैंसर रोगियों की स्थिति:

हाल ही के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में    14,26,447  कैंसर के मामले दर्ज किए गए थे। जबकि 2021 और 2020 में  ये आंकड़े, 14,61,427 और 13,92,179  थे। भारत में सभी राज्यों में, उत्तर प्रदेश 2.10 लाख नए मामलों के साथ शीर्ष पर है, जबकि 2020 में मामलों की संख्या 2.01 लाख से अधिक थी। महाराष्ट्र 1,21,717 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है और क्रमशः 113581, 109274, और 93,536 मामलों के साथ पश्चिम बंगाल बिहार और तमिलनाडु का स्थान इसके बाद है। कैंसर से होने वाली मृत्यु में वृद्धि भी मामलों के अनुरूप है। 2022 में भारत भर में दर्ज किए गए कुल मामलों में से 8,08,558 लोगों की मृत्यु हो गई, जिससे मृत्यु दर 55% से अधिक हो गई। इसका अर्थ यह है कि 2023 में कैंसर से पीड़ित हर दूसरा व्यक्ति जीवित नहीं रह सका। यहां भी 1,16,818 मौतों के साथ उत्तर प्रदेश शीर्ष पर है। उत्तर प्रदेश में मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत के समान थी। विशेषज्ञों का मानना है कि ये आकड़ें वास्तविक स्थिति से बेहद कम हो सकते हैं और वास्तविक स्थिति इससे भी खराब हो सकती है।

भारत में कैंसर के इलाज की लागत:

कैंसर का इलाज़भारत में लागत (रुपए में)
शल्य चिकित्साअंग-विशिष्ट कैंसर का उपचार, आमतौर पर  2,80,000 से  10,50,000 रुपये तक होता है। कैंसर के स्थान और चरण के आधार पर, ये कीमत, भिन्न हो सकती है।

रोबोटिक शल्य चिकित्सा

 

रोबोटिक शल्य चिकित्सा की  औसतन लागत, लगभग 5,25,000 रुपये होती है।
कीमोथेरेपी

भारत में कैंसर की गंभीरता के आधार पर, कीमोथेरेपी की औसतन लागत, लगभग 18,000 रुपये प्रति सत्र होती है।

 

विकिरण चिकित्सा

भारत में रेडियोथेरेपी उपचार की कोई निश्चित लागत नहीं है क्योंकि यह इस बात पर निर्भर  करता है कि रोगी को इसकी कितनी आवश्यकता है। आंतरिक और बाह्य विकिरण के लिए अनुमानित राशि इस प्रकार है:

  • आंतरिक विकिरण- 61,960 रुपये से 5,16,337 रुपये तक
  • बाहरी विकिरण- 30,000 रुपये से 20,00,000 रुपये तक

रोगक्षमता चिकित्सा

 

इसकी लागत, 4,41,000 रुपये से 4,55,000 रुपये के बीच होती है। यह लागत कम से कम दो वर्षों की अवधि में महीने में एक बार आती है।

अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण

 

रक्त कैंसर के उपचार के मामलों में अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है। इसकी लागत, आमतौर पर, 15,00,000 रुपये से 48,00,000 रुपये तक होती है।
लक्षित थेरेपीयह थेरेपी, आमतौर पर कीमोथेरेपी के साथ दी जाती है; इसकी कीमत, लगभग 2,00,000 रुपये से लेकर 2,50,000 रुपये तक होती है।

हार्मोन थेरेपी

 

हार्मोन थेरेपी की लागत, आमतौर पर कैंसर की गंभीरता पर निर्भर करती है, लेकिन आमतौर पर, इसकी लागत, 3,22,845 रुपये से शुरू होती है।

 

भारत में कैंसर से संबंधित आंकड़े:

  • भारत में कैंसर से पीड़ित लोगों की अनुमानित संख्या, लगभग 2.5 मिलियन है।
  • हर साल, पंजीकृत होने वाले नए कैंसर मरीज़ों की संख्या, 7 लाख से अधिक है।
  • हर साल, कैंसर से लगभग 5,56,400  लोगों की मृत्यु हो जाती है।
  • भारत में, हर 8 मिनट में, एक महिला की, सर्वाइकल कैंसर से मृत्यु हो जाती है।
  • भारत में स्तन कैंसर से पीड़ित प्रत्येक 2 महिलाओं में से एक महिला की मृत्यु हो जाती है।
  • भारत में तंबाकू से संबंधित बीमारियों के कारण, प्रतिदिन 2,500 लोगों की मृत्यु हो जाती है।
  • भारत में कैंसर से होने वाली 50% से अधिक मौतें, पुरुषों में मुंह और फेफड़ों और महिलाओं में, गर्भाशय ग्रीवा और स्तन के कैंसर के कारण होती हैं। 

30-69 वर्ष के बीच आयु वर्ग में मृत्यु के आंकड़े:

  • कुल: 3,95,400 (कैंसर से संबंधित सभी मौतों का 71%)
  • पुरुष: 2,00,100
  • महिलाएँ: 1,95,300

पुरुषों और महिलाओं में होने वाले निम्न शीर्ष पांच कैंसर, सभी कैंसरों का 47.2% हिस्सा साबित होते हैं:

पुरुषमहिलाएं
होंठ, मुंहस्तन
फेफड़ेगर्भाशय ग्रीवा
पेटकोलोरेक्टल
कोलोरेक्टलअंडाशय
ग्रसनीहोंठ, मुंह

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/yt88rxmm

https://tinyurl.com/4wx8ke8t

https://tinyurl.com/4pm4d7du

https://tinyurl.com/muwkyd2c

https://tinyurl.com/44wdw8uy

मुख्य चित्र स्रोत : (Wikimedia)