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क्या कभी आपके पास कोई ऐसा संदेश आया है जिसमें कहा गया है कि आपके बिजली बिल का पैसा बकाया है और आपके घर की बिजली जल्द ही काट दी जाएगी। आज की दुनिया में, अधिकांश लेन-देन ऑनलाइन होते हैं। इससे जहां समय की बचत होती है, वहीं यह हमारे लिए घोटालों के जोखिम का रास्ता भी खोलता है। आजकल देश में बिजली बिल घोटाले काफ़ी आम हो गए हैं। तो आइए, आज 'विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस' (World Consumer Rights Day) पर इस प्रकार के घोटाले और इस प्रकार के घोटालेबाज़ों द्वारा अपनाई जाने वाली रणनीति के बारे में जानते हैं और साथ ही बिजली बिल धोखाधड़ी से बचने के लिए कुछ कदम और उपायों के बारे में समझते हैं। इसके साथ ही, हम भारत में बिजली वितरण कंपनी से मुआवज़ा प्राप्त करने के मानदंडों के बारे में जानेंगे। अंत में, हम इस बात पर प्रकाश डालेंगे कि यदि आप मुआवज़े से असंतुष्ट हैं या कोई मुआवज़ा नहीं दिया गया है तो आप कहां शिकायत दर्ज कर सकते हैं?
बिजली बिल घोटाला:
बिजली बिल घोटालों में धोखाधड़ी करने वाले उपयोगिता कंपनियों या सरकारी एजेंसियों के प्रतिनिधियों के रूप में निजी जानकारी प्राप्त करने या तत्काल भुगतान मांगने के लिए बिल छूट या रिफ़ंड के वादे वाले संदेश उपयोगकर्ताओं भेजते हैं। ये संदेश कथित बकाया राशि का तुरंत भुगतान नहीं करने पर तत्काल बिजली काटने की धमकी भी देते हैं। चूंकि शहरों में अधिकांश उपभोक्ता अब बिजली बिल का भुगतान ऑनलाइन करते हैं, इसलिए डिस्कॉम (बिजली विक्रेता), ग्राहकों को एस एम एस या वॉट्सऐप संदेशों के माध्यम से बिल राशि और देय तिथि के बारे में सूचित करते हैं। लेकिन, जालसाज़ बकाया बिजली बिलों के संबंध में फ़र्ज़ी संदेश भेजकर इस संचार पद्धति का फ़ायदा उठाते हैं और फ़िशिंग तकनीकों (Phishing techniques) का उपयोग करते हैं। इसके अलावा, घोटालेबाज़ खाते का विवरण चुराने या बिजली की खपत को नियंत्रित करने के लिए पीड़ितों के उपकरणों पर मैलवेयर (Malware) इंस्टॉल करने के लिए सोशल इंजीनियरिंग का उपयोग कर सकते हैं। वे ऊर्जा-बचत उपकरणों की पेशकश करने वाले वैध प्रदाताओं के रूप में भी सेवाएं प्रदान किए बिना पैसे ले सकते हैं।
बिजली बिल घोटालेबाज़ों द्वारा अपनाई जाने वाली रणनीतियां:
प्रभारी व्यक्ति होने का दिखावा करना: जालसाज़ अक्सर ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे वे बिजली कंपनी से हों। वे फ़र्ज़ी संदेश भेजने के लिए व्यक्तिगत फोन नंबरों का उपयोग करते हैं। जबकि वास्तविक बिजली अधिकारी इस तरह से संवाद नहीं करते हैं।
जल्दबाजी वाली स्थितियाँ बनाना: धोखाधड़ी वाले संदेश अक्सर आपको ऐसा महसूस कराते हैं कि आपको तुरंत उनके द्वारा बताया गया कार्य करना होगा, जो या तो भुगतान अथवा किसी विशेष लिंग पर क्लिक करना हो सकता है। वे ऐसा प्रतीत करते हैं कि बिना ऐसा किए आपकी बिजली काट दी जाएगी। इससे लोग यह जाँचे बिना कि यह वास्तविक है या नहीं, तुरंत कार्य करते हैं और धोखेबाज़ इसका फ़ायदा उठाते हैं।
बिजली बिल धोखाधड़ी में फंसने से बचने के लिए कदम और उपाय:
विद्युत वितरण कंपनी से मुआवज़ा प्राप्त करने के मानदंड:
31 दिसंबर, 2020 को अधिसूचित, बिजली (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, 2020 (Electricity (Rights of Consumers) Rules, 2020) के अनुसार, यहां कुछ विशिष्ट मानदंड हैं, जिनके अनुसार, आप सेवा प्राप्त न होने पर मुआवज़े का दावा कर सकते हैं। ये मानदंड, अलग-अलग राज्यों में भिन्न हो सकते हैं जैसे कि।
आपको राज्य विद्युत अधिनियम और नियमों के माध्यम से मुआवज़ा प्राप्त करने के लिए लागू शर्तों के बारे में जानकारी प्राप्त करनी होगी। यदि कोई डिस्कॉम, निर्दिष्ट समयसीमा का पालन करने में विफल रहता है या यदि बिजली की रुकावट निर्धारित सीमा से अधिक हो जाती है, तो नियम के अनुसार, उपभोक्ता मुआवज़ा प्राप्त कर सकते हैं।
बिजली सेवा में कमी के लिए मुआवज़े का दावा कैसे करें ?
दोषपूर्ण मीटर, बाधित बिजली आपूर्ति आदि जैसी विभिन्न कमियों के लिए मुआवज़ा या तो स्वचालित रूप से या शिकायत दर्ज होने पर दिया जाना चाहिए, जैसा कि नियम में निर्दिष्ट हो। उदाहरण के लिए, यदि बिजली आपूर्ति की बहाली में देरी होती है, तो डिस्कॉम स्वचालित रूप से मुआवज़ा प्रदान करने के लिए बाध्य है, जो उपभोक्ता के बिजली बिल में परिलक्षित होता है। नए या मौजूदा कनेक्शन में संशोधन जैसी सेवाएं प्रदान करने में देरी के मामलों में, उपभोक्ता दावा प्रस्तुत करके इसके लिए आवेदन कर सकता है।
यदि आप मुआवज़े से असंतुष्ट हैं या कोई मुआवज़ा नहीं दिया गया, तो शिकायत कहाँ दर्ज करें ?
मुआवज़े के दावे, संबंधित राज्य बिजली आयोग द्वारा पूर्व-निर्धारित होते हैं। यदि आपको अपनी समस्या से संबंधित कोई मुआवज़ा नहीं मिला है या कम मुआवज़ा मिला है, तो आप अपने डिस्कॉम के ऑनलाइन शिकायत पोर्टल के माध्यम से शिकायत दर्ज कर सकते हैं। बिलिंग विवादों के लिए, डिस्कॉम, एक उपभोक्ता शिकायत निवारण फ़ोरम (Consumer Grievance Redressal Forum (CGRF)) स्थापित करने के लिए बाध्य हैं। सी जी आर एफ़ में विवादों की उचित सुनवाई एवं निर्णय होता है। यदि कोई उपभोक्ता, सी जी आर एफ़ के निर्णय से संतुष्ट नहीं है, तो वह राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा नियुक्त लोकपाल से संपर्क कर सकते हैं।
संदर्भ:
मुख्य चित्र स्रोत : Wikimedia